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लोकसभा सीट पटना साहिब और बेगूसराय में फंसा पेंच
शिशिर कुमार सिन्हा
पटना: लोकसभा चुनाव के पहले चरण में बिहार की चार सीटों औरंगाबाद, नवादा, जमुई और गया में मतदान होना है लेकिन इन सीटों से ज्यादा चर्चा पटना साहिब और बेगूसराय की है। पटना साहिब की चर्चा इसलिए क्योंकि वहां बगावती तेवर के कारण भाजपा का टिकट गंवाने वाले शॉटगन शत्रुघ्न सिन्हा की जगह राज्यसभा सांसद रविशंकर प्रसाद को प्रत्याशी बनाए जाने का विरोध थम नहीं रहा है। बेगूसराय के खबरों में रहने की वजह जेएनयू से चर्चा में आए कन्हैया कुमार और केंद्रीय मंत्री गिरिराज हैं।
रविशंकर अपनों से परेशान, शत्रुघ्न ‘चाहने वालों’ से
पटना साहिब लोकसभा सीट इस बार कुछ ज्यादा ही चर्चा में है। एक साथ कई कारण भी हैं इसके पीछे। एक कारण तो यह कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ लगातार जुबानी हमला कर रहे शत्रुघ्न सिन्हा लंबे समय से राष्ट्रीय जनता दल के आसपास मंडरा रहे थे लेकिन खुद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने सीटें बांटते समय शत्रु की सीट कांग्रेस को सौंप दी। राजद ने यहां से संभावना नहीं देखी, क्योंकि उसे लग रहा था कि लंबे समय से यहां अपनी जमीन तैयार कर रहे राज्यसभा सांसद रवींद्र किशोर सिन्हा यहां भाजपा के टिकट पर उतरने वाले हैं। आर.के. सिन्हा ने लोकसभा क्षेत्र में हर तरफ काफी समय से फील्डिंग सजा रखी थी।
राजद को इसी कारण इस सीट से कोई उम्मीद नहीं थी तो उसने कांग्रेस के खाते में इसे जाने दिया। कांग्रेस ने यहां पहले से कोई तैयारी नहीं रखी थी, इसलिए उसके पास शत्रुघ्न के अलावा कोई विकल्प नहीं है। शत्रुघ्न कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लडऩे की तैयारी में अब जाकर जुटे हैं, इससे पहले वह लगातार राजद की भाषा बोल रहे थे। पहली बार उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के मिनिमन इनकम प्लान की सराहना कर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को अपने पाले में लेने की कोशिश की, लेकिन फिलहाल बात बहुत बनती नहीं दिख रही है। ऐसे में शत्रुघ्न भी परेशान हैं और कांग्रेस भी। उम्मीद से उलट भाजपा की ओर से रविशंकर प्रसाद का नाम आने के बाद राजद ने कांग्रेस से पटना साहिब सीट हल्के अंदाज में मांगी भी, लेकिन औरंगाबाद की कुर्बानी के बाद गतिरोध के देखते हुए पार्टी ने राजद नेताओं को रिस्पांस नहीं दिया। इधर, रविशंकर खुद अपनों से परेशान हैं। सीटों पर नाम की घोषणा के बाद 26 मार्च को जब रविशंकर पहली बार पटना आए तो एयरपोर्ट पर दर्जनभर लोगों ने उन्हें काला झंडा दिखा दिया।
बताया गया कि काला झंडा दिखाने वाले आर. के. सिन्हा के समर्थक थे, हालांकि राज्यसभा सांसद सिन्हा खुद ऋषिकेश में गंगा स्नान करते दिख रहे थे और सांसद प्रतिनिधि ने एयरपोर्ट पर प्रर्दशन करने वालों अपना मानने से इनकार किया है। प्रदर्शन करने वाले आर. के. सिन्हा के समर्थक थे या नहीं, यह तो जांच का विषय है लेकिन एयरपोर्ट पर रविशंकर प्रसाद का गुस्सा और उनके समर्थकों का उग्र रूप चर्चा में है। रविशंकर इस प्रदर्शन से इतना गुस्साए कि उनके करीबी लोग एयरपोर्ट पर लात-घूंसों से प्रदर्शनकारियों पर टूट पड़े। पटना में रविशंकर प्रसाद के साथ साये की तरह रहने वाले प्रदेश भाजपा कला-संस्कृति मंच के वरीय पदाधिकारी वरुण कुमार सिंह की लात चलाती तस्वीरें सामने आने के साथ ही यह तय हो गया है कि पटना साहिब सीट पर भाजपा के अंदर का गतिरोध इसी तरह कभी भी दिख सकता है।
लोजपा को घुटने के बल लाए बगैर राजी नहीं गिरिराज
रामबिलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में नवादा की सीट अपने नाम कराने के लिए पहले तो एड़ी-चोटी की ताकत लगा दी। बताया जाता है कि भाजपा के प्रदेश नेतृत्व में कुछ लोग इसके समर्थन में भी रहे। यही कारण है कि केंद्रीय नेतृत्व ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की सीट बदलने में हिचक नहीं दिखाई। गिरिराज इसी बात से खफा हैं कि सीट बदले जाने वालों में वह अकेले क्यों हैं और इस बदलाव के बारे में प्रदेश भाजपा ने उनसे बात क्यों नहीं की। गिरिराज खफा तो लोजपा से भी हैं लेकिन गुस्सा भाजपा पर दिखा रहे हैं।
भाजपा के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो चुनाव के बहाने ही कुछ नेताओं को शंट करने की तैयारी चल रही थी और इसी में गिरिराज का भी नाम था। यह बात गिरिराज तक भी पहुंची थी, इसलिए उन्होंने सीधे प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय का नाम तक लेकर हमला कर दिया। वैसे, अंदर की बात यह है कि भाजपा की जीती नवादा सीट इस बार फंस रही है। नवादा में भाजपा सांसद गिरिराज सिंह के समर्थक गुस्से में हैं और लोजपा को इसकी जानकारी मिल चुकी है। लोजपा ने यहां से बाहुबली सूरजभान सिंह के भाई चंदन सिंह को उतारा है। लोजपा के कई नेता यहां अब गिरिराज का गुस्सा शांत कराने में लगे हैं। गिरिराज को गुस्सा इस बात का भी है कि वह पिछली बार बेगूसराय से लडऩा चाह रहे थे तो नहीं दिया गया और इस बार नवादा से उतरने की इच्छा को जबरन बदल दिया गया। इधर, वामपंथी नेता कन्हैया कुमार बार-बार गिरिराज सिंह को पोक कर रहे हैं। ट्वीट्स के जरिए कन्हैया गिरिराज को ललकार रहे हैं। गिरिराज सीधे तौर पर इसका जवाब नहीं दे रहे, बल्कि उनके समर्थकों का एक समूह इसके जवाब में सोशल साइट्स पर लड़ाई में जुट गया है।