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Loksabha Election: 2019- कानपुर-बुंदेलखंड के चर्चित चेहरों की साख दांव पर

कानपुर बुंदेलखंड के ये प्रभावशाली चेहरे बीते कई वर्षों से लगातार चुनाव जीतते चले आ रहे है। डिंपल यादव को छोड़ कर ये बड़े नाम 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर का सामना नहीं कर पाए थे। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में ये फिर से मैदान में है। इस चुनाव में मतदाता पूरी तरह से खामोश हैं।

SK Gautam
Published on: 28 April 2019 12:02 PM GMT
Loksabha Election: 2019- कानपुर-बुंदेलखंड के चर्चित चेहरों की साख दांव पर
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कानपुर: कानपुर बुंदेलखंड में 29 अप्रैल को मतदान होना है। बीते शनिवार शाम 5 बजे से चुनावी प्रचार थम गया है। रविवार को सुबह से ही पोलिंग पार्टियां मतदान केन्द्रों के लिए रवाना हो रही है। कानपुर बुंदेलखंड के चर्चित चेहरे अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ,पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ,पूर्व केंद्रीय श्रीप्रकाश जायसवाल, प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी जैसे बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। साइलेंट मोड में रहने वाला वोटर 29 अप्रैल को इनकी किस्मत का फैसला करेगा।

कानपुर बुंदेलखंड के ये प्रभावशाली चेहरे बीते कई वर्षों से लगातार चुनाव जीतते चले आ रहे है। डिंपल यादव को छोड़ कर ये बड़े नाम 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर का सामना नहीं कर पाए थे। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में ये फिर से मैदान में है। इस चुनाव में मतदाता पूरी तरह से खामोश हैं। सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों ने वोटरों को लुभाने के लिए तमाम वादे किए है। जनसंपर्क, स्टार प्रचारकों से रोड शो और जनसभा कर खुद को स्थापित करने में जुटे रहे।

कन्नौज से डिंपल यादव

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव कन्नौज से चुनावी मैदान में है। कन्नौज लोकसभा सीट पर मुलायम सिंह के परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इस सीट पर समाजवादी पार्टी का बीते तीन दशक कब्ज़ा है। 2014 में सपा के इस मजबूत गढ़ को मोदी लहर भी भेद नहीं सकी। डिंपल यादव इस बार जीत हसिल करके हैट्रिक बनाना चाहती है। लेकिन उनकी इस हैट्रिक को रोकने के लिए बीजेपी ने घेराबंदी कर रखी है । डिंपल यादव की सीधी लड़ाई बीजेपी के सुब्रत पाठक से है। लेकिन सपा-बसपा गठबंधन होने के बाद डिंपल यादव मजबूत स्थिति में है।

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सुब्रत पाठक डिंपल यादव से महज 19,907 वोटों से हार गए थे । बीजेपी की इतनी कम वोटों से हार संजीवनी का काम कर गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में इसी संजीवनी के सहारे बीजेपी पूरी ताकत के साथ एक बार फिर से सुब्रत पाठक को डिंपल के खिलाफ मैदान में उतारा है।

फर्रुखाबाद से सलमान खुर्शीद

पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता है। सलमान खुर्शीद फर्रुखाबाद लोकसभा सीट कांग्रेस कैंडिडेट है। सलमान खुर्शीद कानपुर बुंदेलखंड के एकलौते मुस्लिम कैंडिडेट है । इस सीट पर सलमान खुर्शीद की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पोटैटो सिटी के नाम से फेमस है ये नाम सलमान खुर्शीद की देन है । उनके पिता आलम खुर्शीद भी फर्रुखाबाद से सांसद रह चुके है ।

सलमान खुर्शीद की मुस्लिम वोटरों में बहुत अच्छी पकड़ है। सलमान खुर्शीद फर्रुखाबाद लोकसभा सीट से दो बार सांसद रह चुके है। 1991 में वो पहली बार फर्रुखाबाद से सांसद बने थे ,इसके बाद 2009 में उन्होंने भी जीत दर्ज करके यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री बने थे। सलमान खुर्शीद को भरोसा है कि 201 9 के लोकसभा चुनाव में फर्रुखाबाद की जनता उनके साथ है।

कानपुर से श्रीप्रकाश जायसवाल और सत्यदेव पचौरी

कानपुर लोकसभा सीट से दो बड़े चेहरे आमने सामने है। कांग्रेस पार्टी से पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल और बीजेपी से उत्तर पदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी के बीच कांटे की टक्कर है। दोनों ही वरिष्ट नेताओं की साख दांव पर लगी है। 2004 के लोकसभा चुनाव में श्रीप्रकाश जायसवाल और सत्यदेव पचौरी के बीच मुकाबला हुआ था । इस मुकाबले में श्रीप्रकाश जायसवाल ने बीजेपी के सत्यदेव पचौरी को हरा दिया था। 15 वर्षों बाद दोनों नेता उम्र के इस पड़ाव में फिर से आमने सामने है। दोनों ही नेता अपनी-अपनी पार्टियों के महारथी है।

श्रीप्रकाश जायसवाल 1999 से लेकर 2014 तक लगातार सांसद रह चुके है । यूपीए सरकार में वो गृह राज्यमंत्री रहे इसके साथ ही 2009 में केंद्रीय कोयला मंत्री भी रहे। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के कद्दावर नेता डॉ मुरली मनोहर जोशी ने उनके विजय अभियान को रोकने का काम किया था। श्रीप्रकाश जायसवाल बीते 44 वर्षो से कांग्रेस पार्टी की सेवा कर रहे है। श्रीप्रकाश जायसवाल इंदिरा गाँधी से लेकर राजीव गाँधी ,सोनिया गाँधी के साथ काम कर चुके है और अब राहुल गाँधी के साथ भी कंधे से कन्धा मिलाकर चल रहे है। दरसल श्रीप्रकाश जायसवाल राजीव गाँधी के बेहद करीबी माने जाते रहे है । इसी वजह से गाँधी परिवार को उन पर सबसे ज्यादा भरोसा है।

संघ ने सत्यदेव पचौरी के नाम पर मोहर लगाई है। सत्यदेव पचौरी कानपुर की गोविन्द नगर विधानसभा से विधायक है और उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री है। सत्यदेव पचौरी सन 1972 में बीएसएसडी कॉलेज से छात्रसंघ अध्यक्ष विद्यार्थी परिषद् का चुनाव जीता था। इसके बाद वो जय प्रकाश के आंदोलन में कूद पड़े थे। सत्यदेव पचौरी 1980 में भाजपा यूपी कार्य समिति के सदस्य रहे। 1991 में बीजेपी ने आर्यनगर विधानसभा से पहली बार टिकट दिया था। सत्यदेव पचौरी ने धमाकेदार जीत दर्ज की थी। इसके बाद सत्यदेव पचौरी 1993 और 1996 में विधानसभा चुनाव हार गए थे।

पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई ने उन्हें 2004 के लोकसभा चुनाव में कानपुर से कैंडिडेट बनाया था। लेकिन वो कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल से लगभग 5638 वोटों से हार गए थे। इसके बाद 2012 के विधानसभा चुनाव में गोविंद नगर से विधायक बने और 2017 के विधासभा चुनाव में गोविन्द नगर विधानसभा से दोबारा विधायक बने और प्रदेश सरकार में मंत्री भी बने। सत्यदेव पचौरी और श्रीप्रकाश जायसवाल एक बार फिर से आमने सामनें होंगे।

SK Gautam

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