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जनहित के नाम पर डॉक्टरों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने से नहीं रोक सकती सरकार

Rishi
Published on: 29 Nov 2017 10:37 PM IST
जनहित के नाम पर डॉक्टरों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने से नहीं रोक सकती सरकार
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लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पर एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए स्पष्ट किया है, कि वर्तमान सरकारी नियमों में नियुक्ति प्राधिकरी को यह अधिकार नहीं है कि जनहित के नाम पर किसी सरकारी कर्मी को स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने से रोक सके। कोर्ट ने इस सम्बंध में दाखिल कुछ सरकारी डॉक्टरों की याचिकाओं पर दिए आदेश में कहा कि राज्य सरकार को यह भी जानकारी करनी चाहिए कि सरकारी डॉक्टर आए दिन स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति क्यों ले रहे हैं।

यह आदेश जस्टिस डीके अरोड़ा और जस्टिस रजनीश कुमार की खंडपीठ ने डॉ आचल सिंह व चार अन्य डॉक्टरों की ओर से दाखिल अलग-अलग याचिकाओं पर पारित किया। तीन याचियों की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के प्रार्थना पत्र को सरकार ने नामंजूर कर दिया था जबकि दो का मामला समय से लम्बित रखा गया है।

याचियों की ओर से अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा व नूतन ठाकुर इत्यादि ने दलील दी कि मूल नियमावली के अनुसार एक सरकारी कर्मचारी 45 वर्ष की आयु पूरी करने के उपरांत अथवा 20 साल की नौकरी करने के पश्चात स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले सकता है। जबकि याचियों के प्रार्थना पत्र को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया है कि डॉक्टरों की काफी कमी है। राज्य सरकार की ओर से फैसले का बचाव करते हुए कहा गया कि कि नियुक्ति प्राधिकारी को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के प्रार्थना पत्र को मंजूर अथवा नामंजूर करने का अधिकार है। लेकिन कोर्ट सरकार के दलील से सहमत नहीं हुई। कोर्ट ने कहा कि नियमों में नियुक्ति प्राधिकरी को यह अधिकार नहीं है कि जनहित के नाम पर किसी सरकारी कर्मी को स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने से रोक सके।

कोर्ट ने स्वास्थ्य सेवा पर नसीहत देते हुए कहा कि सरकार को आम लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं तथा बेहतर सरकारी अस्पतालों की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रयास करने चाहिए और यह भी जानकारी करनी चाहिए कि आखिर सरकारी डॉक्टर स्वैच्छिक सेवानिवृति क्यों ले रहे हैं। कोर्ट ने डॉक्टरों से प्रशासकीय कार्य लिए जाने के मुद्दे पर भी टिप्पणी की। कोर्ट ने डॉक्टरों के लिए ग्रेडिंग सिस्टम भी लाने की आवश्यकता पर बल दिया। कोर्ट ने कहा कि डॉक्टरों को सेमिनार आदि में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। सेमिनारों आदि जगहों पर शोधपत्र प्रस्तुत करने वाले डॉक्टरों को कुछ पॉइंट्स दिए जाने चाहिए जो उनके प्रमोशन में काम आएं।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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