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नौनिहालों के पांव में जूते नहीं पहना पाई सरकार, शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के दावे फेल
सुधांशु सक्सेना
लखनऊ: यूपी में योगी सरकार ने सत्तासीन होते ही शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के बड़े बड़े दावे किए थे। लोगों को उम्मीद थी कि अब प्रदेश के खस्ताहाल शिक्षा विभाग की सूरत बदलेगी, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं। सबसे बुरा हाल तो प्रदेश के बेसिक स्कूलों का है।
इन स्कूलों में अभी तक नौनिहालों के पांव में जूते तक पहुंच पाए हैं। नौनिहाल अभी भी नंगे पांव ही स्कूल जाने को मजबूर हैं। प्रदेश के 60 प्रतिशत स्कूलों में यही हाल है। इतना ही नहीं अधिकांश स्कूलों में पाठ्यक्रम के मुताबिक सारी किताबें भी नहीं पहुंच पाई हैं। बरसात ने जर्जर स्कूलों की मरम्मत की पोल भी खोल दी है। आधी अधूरी व्यवस्था के साथ नंगे पांव स्कूल जाने को मजबूर बच्चे अपने सुनहरे भविष्य का ताने बाने को बुनने का जतन कर रह है,लेकिन जिम्मेदारों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है।
स्कूलों में नहीं पहुंचीं पूरी किताबें
जियामऊ प्राथमिक स्कूल की अध्यापिका नेहा शर्मा ने बताया कि स्कूलों में बच्चों को कुछ ही किताबें मिली हैं। अभी कई किताबें आना जरूरी हैं। ज्यादातर बच्चों को कलरव, हमारा भूगोल सहित दो से तीन किताबें ही मिल पाई हैं। इसके अलावा अभी तक बच्चों को जूते-मोजे नहीं मिले हैं।
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उम्मीद है कि जल्द ही बच्चों को जूते-मोजे मिल जाएंगे। इसके अलावा स्कूल के हैंडपंप से पानी भरने के इरादे से मोहल्ले वालों ने स्कूल की बाउंड्रीवाल तोड़ दी थी। इसके लिए कई बार अधिकारियों को पत्र लिखा गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। स्कूल में कक्षा 1 के बच्चे सौरभ ने बताया कि स्कूल में जमीन पर बैठना पड़ता है। यहां बैठने के लिए बेंच नहीं है।
प्राथमिक स्कूल रामआसरे पुरवा में बच्चों को गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान सहित कई विषयों की किताबें नहीं मिली हैं। यहां तैनात सपना सिंह ने बताया कि अफसरों ने यहां फर्नीचर मुहैया कराने का आश्वासन दिया था, लेकिन यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है कि बच्चों के लिए फर्नीचर इस साल मिल जाएगा या इस साल भी बच्चे दरी पर बैठकर पढ़ाई करेंगे। यहां भी नौनिहालों के पांवों में सरकार जूते नहीं पहना पाई है।
प्राथमिक स्कूल जगपालखेड़ा की इंजार्ज सुजाता मेहता ने बताया कि इस स्कूल में तो बहुत बुरा हाल है। बरसात होने पर स्कूल जाने वाला कच्चा रास्ता कीचड़ में बदल जाता है। इसके चलते बच्चों के लिए स्कूल तक पहुंचना कठिन हो जाता है। स्कूल में जर्जर छतें बारिश में टपकती हैं और ग्राउंड में तो लबालब पानी भर जाता है। यहां न तो अभी तक बिजली पहुंची है और न तो यहां बिजली पहुंचने के कोई आसार दिख रहे हैं। यहां भी जूते और मोजे का कोई अता-पता नहीं है।
ये तीन स्कूल मात्र बानगी भर हैं। प्रदेश के अधिकांश स्कूलों में कमोबेश यही दशा है। ग्रामीण अंचलों में तो हालत और खराब है। इसके चलते शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं।
जूते-मोजे का टेंडर कर दिया निरस्त
जूते मोजे बांटने के लिए 289 करोड़ के टेंडर को निविदा पत्र आमंत्रण के कुछ दिनों के बाद ही निरस्त कर दिया गया। ऐसे में इस बार भी बेसिक स्कूल के बच्चे नंगे पैर स्कूल जाने को मजबूर होंगे। ऐसे में योगी सरकार के 1 से 10 जुलाई के बीच पोशाक, पुस्तकों और बैग के वितरण करने के दावों की हवा निकलती नजर आ रही है। हालांकि इस बारे में बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल का कहना है कि बच्चों को गुणवत्तापरक जूते मोजे सप्लाई करने के उद्देश्य से ही टेंडर निरस्त किया गया है। लेकिन नौनिहालों को आखिर कब तक जूते मोजे बांटे जाएंगे, इसका सही जवाब कोई नहीं दे पा रहा है।
आनन-फानन में लांच कराया स्कूल चलो अभियान
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने पहली जुलाई को सीएम योगी आदित्यनाथ से स्कूल चलो अभियान की शुरुआत करा दी। इसमें सीएम ने 10 बच्चों को मंच पर बुलाकर और कुल 200 बच्चों को यूनीफार्म, बैग और किताबें बांटीं। इसमें भी कई बच्चों को तो मात्र एक या दो किताबें ही मिलीं। जूते मोजे का कोई अता पता नहीं था। सीएम ने अधिकारियों को मंच से जुलाई माह में हर हाल में शत प्रतिशत किताबें बांटने से लेकर बेसिक स्कूलों की समस्याएं दूर करने के निर्देश दिए, लेकिन अभी तक बेसिक स्कूलों की हालत में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है।
पूरी किताबें जल्द बंटवाने का वादा
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण कुमार त्रिपाठी ने बताया कि किताबों की सप्लाई बड़ी मात्रा में करवाई जा रही है। अभी पहली खेप में कुछ ही किताबें ही आ पाई हैं। जल्द ही किताबों का शत प्रतिशत वितरण सुनिश्चित करवाया जाएगा। इसके अलावा गुणवत्तापरक जूते मोजे के लिए निविदा आमंत्रित करके जल्द ही वितरण करवाया जाएगा। जिन स्कूलों में मरम्मत कार्य होना है, उसे भी जल्द शुरू करवाया जाएगा।