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मेडक : आदिवासियों में ‘इंदिरा अम्मा’ की यादें अब भी ताजा

गेंदे के फूलों, पीतल के मटके के ‘तोहफे’ से लेकर छह सूत्री विकास नीति तक तेलंगाना में मेडक संसदीय क्षेत्र के आदिवासियों को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिली ये सभी चीजें अच्छी तरह याद हैं। इंदिरा गांधी 1980 में यहीं से जीती थीं।

Anoop Ojha
Published on: 2 April 2019 4:42 PM IST
मेडक : आदिवासियों में ‘इंदिरा अम्मा’ की यादें अब भी ताजा
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मेडक: गेंदे के फूलों, पीतल के मटके के ‘तोहफे’ से लेकर छह सूत्री विकास नीति तक के आदिवासियों को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिली ये सभी चीजें अच्छी तरह याद हैं। इंदिरा गांधी 1980 में यहीं से जीती थीं।

उनकी जीत के 39 साल बाद भी इस निर्वाचन क्षेत्र के बुजुर्ग बड़े सम्मान के साथ गांधी की चुनावी रैलियों को याद करते हैं जबकि कुछ का मानना है कि ‘इंदिरा अम्मा स्वर्ग से यहां लोगों को अब भी आशीर्वाद’’ दे रही हैं।

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मौजूदा चुनावों के बारे में पूछे जाने पर फरीदपुर गांव के लंबाणी आदिवासी किसान 90 वर्षीय रुपला पंथलोठ ने कहा, ‘‘अब भी अपना दिल इंदिरा को। कितना सोना दे, फिर भी दिल और वोट इंदिरा को।’’

दो एकड़ की कृषि भूमि रखने वाले पंथलोठ को साल 1980 के संसदीय चुनावों में गांधी से पीतल का पानी का मटका मिला था। उस समय गांधी ने जनता पार्टी के एस. जयपाल रेड्डी को दो लाख से अधिक वोटों से हराया था।

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उन्होंने कहा, ‘‘हर लंबाणी टांडा को 10 पीतल के पानी मटके मिले। मुझे भी एक मिला और उसे सुरक्षित रखा है।’’

85 वर्षीय लंबाणी आदिवासी महिला भूली जंबाला को बमुश्किल याद है कि गांधी ने उस समय चुनावी रैली में क्या बोला था लेकिन उन्होंने कहा, ‘‘मैं उनकी प्रशंसा करती हूं। उन्होंने हमारे समुदाय को जीवन दिया। मुझे याद है कि उन्होंने मंच से गेंदे के फूल फेंके थे, मुझे एक मिला था।’’

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तब आदिवासियों को बैंक से कर्ज नहीं मिलता था- किसान बनोथ मधु

इंदिरा गांधी के शासन के दौरान बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद अपने पिता को फायदा मिलने को याद करते हुए किसान बनोथ मधु ने कहा, ‘‘तब आदिवासियों को बैंक से कर्ज नहीं मिलता था और दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। जब बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ तो मेरे पिता को 5,000 रुपये का कर्ज मिल सका।’’

मेडक में कई लोगों को 1984 में गांधी का गिरिजाघर का मशहूर दौरा भी याद है।

इन यादों के बीच, आदिवासियों ने इलाके में विकास ना होने पर भी चिंताएं जताईं।

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इस निर्वाचन क्षेत्र की अपनी अलग पहचान है

भारतीय राजनीति में इस निर्वाचन क्षेत्र की अपनी अलग पहचान है क्योंकि इसने एक प्रधानमंत्री, तेलंगाना को मुख्यमंत्री, एक केंद्रीय मंत्री और अविभाजित आंध्रप्रदेश विधानसभा में अध्यक्ष दिया है।

कांग्रेस ने 1957 के बाद नौ बार इस क्षेत्र में जीत दर्ज की लेकिन पिछले 20 साल में वह जीतने में नाकाम रही। भाजपा यहां 1999 में जीती जबकि 2004 से टीआरसी ही यहां जीत का परचम लहरा रही है।

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तेलंगाना में 11 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव में टीआरएस के मौजूदा सांसद कोथा प्रभाकर रेड्डी इस सीट से फिर से चुनाव लड़ रहे हैं जबकि कांग्रेस ने जी अनिल कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया है और भाजपा ने रघुनंदन राव को खड़ा किया है।

(भाषा)



Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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