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सांसद का रिपोर्ट कार्ड: खुद के काम पर नहीं, मोदी के नाम पर भरोसा

raghvendra
Published on: 6 April 2019 1:09 PM IST
सांसद का रिपोर्ट कार्ड: खुद के काम पर नहीं, मोदी के नाम पर भरोसा
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पूर्णिमा श्रीवास्तव

गोरखपुर: संसद से लेकर अपने संसदीय क्षेत्र बस्ती में मौजूदगी के मामले में हरीश द्विवेदी भले ही प्रथम श्रेणी में पास होते दिखें लेकिन विकास कार्यों के मामले में वह बहुत कुछ बताने की स्थिति में नहीं हैं। केन्द्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं के कारण बस्ती जिले का बाहरी आवरण विकास के मामले में कुछ ठीक दिखता है लेकिन शहर के अंदर प्रवेश के साथ भारतेंदु हरीशचन्द्र की टिप्पणी मौजू दिखने लगती है कि ‘बस्ती को बस्ती कहूं तो काके कहूं उजाड़।’ खैर, सियासी समीकरण में फिट बैठते देख शीर्ष नेतृत्व ने एक बार फिर हरीश पर दांव खेला है। लेकिन गठबंधन की बढ़ी ताकत के बाद उनकी राह आसान नहीं दिख रही है। बदली परिस्थितियों में हरीश द्विवेदी को अपने काम पर नहीं बल्कि मोदी मैजिक पर भरोसा है।

गोरखपुर विश्वविद्यालय से राजनीतिक विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएट हरीश चंद्र उर्फ हरीश द्विवेदी (४५) मूल रूप से किसान हैं। पहली बार लोकसभा में पहुंचने वाले हरीश ऊर्जा और वित्त विभाग से जुड़ी स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य हैं। केंद्रीय योजनाओं को पतवार बना सांसद दावा करते हैं कि वह एक बार फिर विकास के मुद्दे पर चुनाव मैदान में हैं। अपने काम व विकास को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में फिर से सरकार बनेगी।

हरीश द्विवेदी 2012 में भाजपा से टिकट लेकर बस्ती सदर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े लेकिन लगभग 34 हजार वोट पाकर उन्हें तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा था। संगठन में प्रभावी रहने का इनाम हरीश द्विवेदी पर 2014 में मिला, जब अप्रत्याशित तरीके से भाजपा ने उनपर दांव लगाया। बसपा-सपा में दिग्गजों के चुनावी मैदान में होने के चलते बंटे मतों का लाभ लेते हुए हरीश द्विवेदी ने जीत हासिल की थी। 3.58 लाख वोट हासिल करते हुए वह सपा उम्मीदवार राजकिशोर सिंह व बसपा उम्मीदवार राम प्रसाद चौधरी को हराने में सफल हुए थे।

हरीश २०१० से २०१३ के बीच भाजयुमो की तिरंगा यात्रा में भाग लेकर सुर्खियों में आए। उन्हें अनुराग ठाकुर और अन्य वरिष्ठ भाजपा नेताओं के साथ पठानकोट में हिरासत में लिया गया था। पीएम मोदी के आह्वान पर हरीश ने अमोढ़ा ग्राम पंचायत का सांसद आदर्श ग्राम योजना में चयन किया था लेकिन गांव में विकास की किरण पहुंचाने में सांसद नाकाम रहे हैं। संसद में हरीश तब भी सुर्खियों में आए जब पूर्वी उत्तर प्रदेश में पराली जलाने के चक्कर में फुंक रही फसल को बचाने के लिए सांसद निधि से अग्निशमन यंत्र खरीदे जाने की अनुमति मांगी। जिसका समर्थन सदन में कांग्रेस दल के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने भी किया। जिसके बाद सदन में मौजूद मुलायम सिंह यादव ने सपा सरकार की तरफ से हर संभव मदद का भरोसा दिया था। शुरुआती दो वर्षों में हरीश ने विद्युतीकरण पर काफी जोर दिया। दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना के तहत दो वर्षों में ही 4200 गांवों और पुरवों का विद्युतीकरण कराया जा चुका था। बस्ती, नगर, बभनान और हर्रैया नगर में विद्युत व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिये आई.पी.डी.एस. योजना के तहत 26 करोड़ रुपए की स्वीकृति कराई। हरीश ने प्रियंका के एंट्री पर विवादित बयान देकर भी सुर्खियां बंटोरी। सांसद हरीश द्विवेदी ने प्रियंका गांधी के पहनावे को लेकर टिप्पणी विवादों में रही।

द्विवेदी ने मीडिया को दिए बयान में कहा, मेरे लिए या भाजपा के लिए, प्रियंका गांधी कोई मुद्दा नहीं है। अगर राहुल गांधी असफल हैं, तो प्रियंका भी असफल हैं। सभी जानते हैं कि जब प्रियंका गांधी दिल्ली में होती हैं, तो वह जींस और टॉप पहनती हैं, लेकिन जब वह निर्वाचन क्षेत्रों में आती हैं तो साड़ी पहनती हैं और सिंदूर लगाती हैं।

सांसद निधि खर्च करने में फिसड्डी

हरीश द्विवेदी सांसद निधि खर्च करने में खास सक्रिय नहीं दिखे। उन्होंने बीते दिसम्बर माह तक सांसद निधि से 17.51 करोड़ की राशि खर्च की थी। संसद में उपस्थिति के मामले में वह 92 फीसदी तक उपलब्धि हासिल करने में कामयाब रहे। अपने संसदीय कार्यों के दायित्यों के निवर्हन में हरीश ने 327 सवाल पूछे। 33 चर्चाओं में भाग लिया। वह एक भी प्राइवेट बिल नहीं लाए।

आसान नहीं है भाजपा की डगर

बस्ती संसदीय सीट पर 2014 का चुनाव कांटे का रहा था। सपा और बसपा वोटों के बंटवारे का लाभ लेते हुए भाजपा के हरीश चंद्र ने महज 3.2 फीसदी मतों के अंतर से यह जीत हासिल की थी। इस बार उनकी राह आसान नहीं दिख रही. दूसरे और तीसरे स्थान पर रही सपा और बसपा इस बार एक हो गए हैं।

चुनावी मैदान में बसपा के टिकट पर उतरे रामप्रसाद चौधरी वोटों की अंकगणित में मजबूत दिख रहे हैं। 2014 में हुए चुनाव में सपा और बसपा को मिले मतों को जोड़ा जाए तो उनके खाते में 58 फीसदी वोट आ जाते हैं। हालांकि विधानसभा के समीकरण को देखे तो भाजपा मजबूत दिखती है। बस्ती लोकसभा सीट में 5 विधानसभा सीट (हरैया, कप्तानगंज, रुधौली, बस्ती सदर और महादेवा) है और सभी सीट पर भाजपा का ही कब्जा है।

दूसरी ओर प्रियंका गांधी के राजनीति में कूदने और पूर्वांचल का प्रभार लेने से कांग्रेस भी अपनी चुनौती पेश कर सकती है। कांग्रेस ने गठबंधन करके बस्ती लोकसभा सीट से जन अधिकारी पार्टी के उम्मीदवार को चुनाव में उतार दिया है। इसका ऐलान होने के बाद से ही कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ता बेहद नाराज चल रहे है। कार्यकर्ताओं ने कुछ दिन पहले ही पार्टी कार्यालय पर इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया था।

मेडिकल कॉलेज का निर्माण

बस्ती में 195 करोड़ रुपए की लागत से बना मेडिकल कालेज जल्द शुरू होने वाला है। मुख्यमंत्री ने मेडिकल कॉलेज का नाम गुरु वशिष्ठ के नाम पर रखने का प्रस्ताव दिया है। बीते वर्ष बस्ती महोत्सव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 33 करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण किया था।

बस्ती रेलवे स्टेशन के विकास को लेकर हुआ काम सांसद अपनी उपलब्धियों में गिना रहा है। उनके मुताबिक बस्ती रेलवे स्टेशन पर करीब 20 करोड़ की लागत से एस्केलेटर और कंक्रीट रोड का निर्माण हुआ है।

आदर्श नहीं बन सका सांसद का गोद लिया गांव

सांसद ने विक्रमजोत ब्लॉक के गांव अमोढ़ा को सांसद आदर्श गांव के रूप में चयनित किया है। कार्यकाल पूरा होने को है और गांव में धरातल पर 65 में से अधिकांश कार्य अधूूरे हैं। गांव के शत-प्रतिशत विद्युतीकरण का दावा भी हकीकत में तब्दील नहीं हो सका। गांव के चार तालाब सूखे पड़े हैं। ग्रामीणों को अब तक विकास की आस है। गांव की ऐतिहासिक विरासत राजा जालिम सिंह की कोर्ट के सुंदरीकरण पर सांसद हरीश द्विवेदी व विधायक अजय सिंह ने लाखों रुपये खर्च कर दिए, मगर कोर्ट का अधिकांश भाग आज भी झाडिय़ों से घिरा है। 12 मजरों में बसे अमोढ़ा गांव के विद्युतीकरण का काम पांच साल बाद भी पूरा नहीं हो सका है। इसमें बनकटवा, लोनियापार के लोग रोशनी के लिए तरस रहे हैं। गर्मी के दिनों में अमोढ़ा के तालाबों में बच्चे क्रिकेट खेलते नजर आते हैं।

तालाब के किनारे लगाए गए पौधे, तारों की बैरीकेडिंग, सीमेंट की बनीं कुर्सियां गायब हो गई हैं। अमोढ़ा के मजरों को जोडऩे के लिए चार वर्ष में बनी सात किमी इंटरलॉकिंग सडक़ घटिया सामग्री के कारण या तो टूट गई हैं या गड्ढे में तब्दील हो गई हैं। अमोढ़ा में पीएनबी की शाखा खुल गई है। यहां पहले से स्थापित एक प्राथमिक विद्यालय व एक पूर्व माध्यमिक विद्यालय है। पांच हजार की आबादी वाली ग्राम पंचायत में वाटरहेड टैंक, पशु चिकित्सालय, एनएएम सेंटर की घोषणा हुई लेकिन कई काम अधूरे पड़े हैं।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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