TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

सौहार्दः हनुमानगढ़ी मंदिर की जमीन पर फिर बनेगी आलमगीरी मस्जिद

By
Published on: 1 Sept 2016 6:30 AM IST
सौहार्दः हनुमानगढ़ी मंदिर की जमीन पर फिर बनेगी आलमगीरी मस्जिद
X

अयोध्याः इस शहर का नाम पूरी दुनिया बाबरी मस्जिद के विध्वंस के लिए जानती है। वो घटना करीब 24 साल पहले हुई थी। अब एक और बड़ी घटना यहां होने जा रही है, लेकिन ये उस घटना से बिल्कुल अलग है। बाबरी मस्जिद का ध्वंस जहां दो समुदायों के बीच रिश्तों को कड़वा बना गया था। वहीं, अब यही शहर सांप्रदायिक सौहार्द की नई मिसाल लिखने जा रहा है। यहां की मशहूर हनुमानगढ़ी मंदिर की जमीन पर 300 साल पुरानी मस्जिद दोबारा बनेगी।

क्या है मामला?

फैजाबाद नगर निगम ने 17वीं सदी में बनी आलमगीरी मस्जिद को खतरनाक घोषित कर दिया था। इस मस्जिद को मुगल बादशाह औरंगजेब के एक सेनापति ने बनवाया था। जिस जमीन पर मस्जिद थी, उसे अवध के नवाब शुजाउद्दौला ने साल 1765 में हनुमानगढ़ी मंदिर को दान दे दिया था। शर्त यही थी कि मस्जिद में मुस्लिम नमाज पढ़ सकेंगे। तभी से मंदिर की जमीन पर होने के बावजूद आलमगीरी मस्जिद में नमाज अदा हो रही थी। पुरानी होने की वजह से जब मस्जिद ढहने के कगार पर पहुंच गई, तो नमाज भी बंद हो गई। अब खतरनाक घोषित होने के बाद हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत ज्ञानदास ने मुसलमानों को दोबारा मस्जिद तामीर करने की मंजूरी दी है।

क्या कहते हैं ज्ञानदास?

इस बारे में महंत ज्ञानदास का कहना है कि उन्होंने मस्जिद को दोबारा बनाने के लिए मुस्लिमों से कहा है। खास बात ये भी है कि मस्जिद को दोबारा बनाने में खर्च होने वाला धन हनुमानगढ़ी मंदिर से दिया जाएगा। महंत के मुताबिक मंदिर की तरह मस्जिद भी खुदा का घर होती है। इसके अलावा जमीन पर मौजूद एक मकबरे की हालत सुधारने के लिए भी धन दिया जाएगा। बताया जा रहा है कि मकबरा भी मस्जिद जितना ही पुराना है।

नवाब ने क्यों दी थी जमीन?

1764 में बक्सर की जंग के बाद नवाब शुजाउद्दौला फैजाबाद से राजधानी को लखनऊ ले गए थे। फैजाबाद में रहने के दौरान उन्होंने हनुमानगढ़ी मंदिर बनाने के लिए जमीन दान दी थी। जमीन जब कम पड़ी तो मंदिर के महंत उनसे मिलने लखनऊ गए थे। उस वक्त नवाब ने उस चार बीघा जमीन को मंदिर को दान दिया, जिस पर आलमगीरी मस्जिद बनी हुई थी।



\

Next Story