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नवरात्र में सरल सहज सबके लिए अचूक साधना पूरी करे कामना
लखनऊ। 18 मार्च से नवरात्र शुरू हो चुके हैं और आस्थावान भक्त मां की पूजा अर्चना में लगे हैं। कुछ लोग भक्ति भाव से पूजा अर्चना कर रहे हैं तो कुछ अपनी कामना या मंत्र की सिद्धि के लिए जप अनुष्ठान इत्यादि कर रहे हैं। इस बार नवरात्रि की शुरुआत सर्वार्थ सिद्धि योग में प्रतिपदा से हुई। इसलिए सभी भक्तों को अच्छे फल की सहज प्राप्ति की संभावना है। इस बार नवरात्र आठ दिन के हैं क्योंकि अष्टमी व नवमी एक ही दिन पड़ रही है।
नवरात्रि में जो भक्त जितना कर पाए उसे बिना किसी झिझक के उतना करना चाहिए व्रत एक दिन का भी व्रत है दो दिन का भी और आठों दिन का भी। व्रत का मतलब सिर्फ भोजन छोड़ना नहीं है आप कोई अच्छा संकल्प ले सकते हैं कि मै आज से नवमी तक रोज एक व्यक्ति की मदद करूंगा तो यह भी व्रत है। मै झूठ नहीं बोलूंगा तो यह भी व्रत है इसके साथ यदि आप पूरे दिन में एक बार भी देवी का स्मरण करते हैं तो यह सोचकर छोड़ना नहीं है इससे क्या होगा।
मां सिर्फ भाव की भूखी हैं। आप नवरात्रि में जितना जब कर पाएं करें जिस तरह मां अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए यह नहीं देखती कि वह कितना गंदा है। उसे उठाकर गोद में ले लेती है उसी तरह जगत जननी तो सबकी मां है आप मां को एक बार बुलाएं या लगातार बुलाएं मां की आपकी फरियाद को जरूर सुनेगी। आपका बच्चा एक बार कहे मां भूख लगी है या रट लगा दे मां भूख लगी है की तो, आप तो उसे खाना दोनो हालात में दोगे। यही बात जगत जननी के लिए है।
हां, मां से कुछ ज्यादा या विशेष पाने के लिए बच्चा जिस तरह जिद करता है, उस तरह हठ करने से आपकी अपनी मां जिस तरह पसीजती है यदि वह जिद पूरी करने लायक होगी तो जरूर होगी यदि उसमें आपका या समाज का भला होता हो लेकिन गलत जिद को तो आपकी मां भी पूरी नहीं करती जगत जननी भी न सुने तो आश्चर्य कैसा।
कोई एक मंत्र या श्लोक या देवी के नाम एक बार से लेकर लाख या करोड़ बार जप करने पर भी यदि आप वह भाव नहीं ला पाए तो सब बेकार है। मां की साधना आराधना अपनी मां को ध्यान में रखकर करिये और खुद को अबोध शिशु मानिये जब आपका ख्याल आपकी मां रखती थी। फिर देखिये मां को बुलाएंगे तो वह कैसे आपकी पुकार सुनती है। सबसे बड़ी चीज विश्वास है। यदि विश्वास है तो सब कुछ संभव है। तो मित्रों देर न करें। मां की साधना आराधना का छोटे से छोटा मौका भी न छोड़ें। मां की कामना पूरी करेंगी।
सबसे बड़ी साधना है कि सुबह उठने के बाद हर काम करने से पहले सिर्फ मां का स्मरण करें। मन में सोचें मां को सबसे सुंदर पवित्र जल से नहला रहे हैं। सबसे सुंदर कपड़ों आभूषणों से अलंकृत कर रहे हैं। सोलह सिंगार कर रहे हैं। मां को गंध समर्पित कर रहे हैं। सबसे सुंदर ताजे फलों का भोग लगा रहे हैं। सबसे बढ़िया भोजन मिष्ठान्न खिला रहे हैं। फिर मां से संस्कृत नहीं आती तो कोई बात नहीं जो भाषा आती है उसमें अपनी बात बताएं। बोलकर कहें। कल्पना करें मां आपकी बात सुनकर आपको आशीर्वाद दे रही हैं। आप देखेंगे आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी। मां जगदम्बे कल्याण करें।