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सांसद का रिपोर्ट कार्ड: निधि का पैसा खर्च करने में सुस्त रहे सांसद

raghvendra
Published on: 30 March 2019 8:45 AM GMT
सांसद का रिपोर्ट कार्ड: निधि का पैसा खर्च करने में सुस्त रहे सांसद
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तेज प्रताप सिंह

गोंडा: लोकसभा क्षेत्र गोंडा भाजपा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह राजा भैय की परंपरागत सीट रही है। यहां अब तक हुए 18 चुनाव में सात बार सीट उनके परिवार के खाते में रही है। चार बार उनके पिता और मनकापुर राजघराने के महराज कुंवर आनन्द सिंह कांग्रेस के टिकट पर जीते जबकि मौजूदा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह इससे पूर्व दो बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। 2014 के चुनाव में उन्होंने सपा की नन्दिता शुक्ला को एक लाख 60 हजार मतों से पराजित किया था।

सरलता, सहजता और ईमानदार छवि के कारण ही क्षेत्र की जनता ने सात बार मनकापुर राजघराने को सर आंखों पर बिठाया। कुंवर आनंद सिंह ने कांग्रेस शासनकाल में एशिया की सबसे बड़ी कम्पनी मनकापुर आईटीआई की स्थापना जिले में कराकर कीर्तिमान गढ़ा तो अवैध खनन माफियाओं पर कराया सवा दो अरब 12 करोड़ रुपए जुर्माना कराकर सांसद राजा भैया ने भी रिकॉर्ड बनाया। एनजीटी द्वारा देश में जुर्माने की यह सबसे बड़ी रकम है।

क्षेत्र में कम रहने की शिकायत

सांसद पर सबसे बड़ा आरोप है कि वह क्षेत्र में कम रहते हैं और मतदाताओं के सुख दु:ख में शामिल नहीं होते। उपेक्षा के कारण ही वह सांसद निधि की मिली हुई नौंवी किश्त भी खर्च नहीं कर पाए। परिणामस्वरूप उन्हें 10वीं किश्त जारी ही नहीं हुई। इस प्रकार सांसद उदासीनता के कारण क्षेत्र में ढाई करोड़ रुपये का काम नहीं कराया जा सका। यही नहीं, लक्ष्मनपुर लाल नगर गांव जो सांसद ने गोद लिया है, वहां वह बहुत कम ही गए। संसद में उनकी उपस्थिति 76 प्रतिशत रही है। लोकसभा सत्र के दौरान उन्होंने 126 महत्वपूर्ण सवाल उठाए।

इस मामले में दिखाई सुस्ती

सांसद विकास निधि से विकास के मामले में देखा जाए तो गोंडा सांसद को पांच साल में 20 करोड़ ही मिल सका जिसमें डेढ़ करोड़ शेष है। वर्ष 2014-15 में यहां के लिए 2.50 करोड़ ही मिले। उसमें मात्र पांच परियोजनाओं पर कुल 66.42 लाख ही खर्च हो पाए। वर्ष 2015-16 में 101 परियोजनाओं पर 5.72 करोड़ खर्च हुआ। वर्ष 2016-17 में फिर 2.50 करोड़ ही मिले, जिससे 87 परियोजनाओं पर चार करोड़ 83 लाख व्यय हुआ। इसके बाद वर्ष 2017-18 में पांच करोड़ मिला जिसमें लेकिन इस बार भी 66 कार्यों पर तीन करोड़ 24 लाख ही व्यय हो पाया। वर्ष 2018-19 में पांच करोड़ मिला और बीते साल का भी लगभग दो करोड़ अवशेष पड़ा था। चालू वित्तीय वर्ष में चुनाव की तिथि घोषित होने तक 69 कार्यों पर पांच करोड़ 22 लाख ही खर्च हो पाया था।

सडक़, बिजली, शौचालय पर जोर

संसदीय क्षेत्र गोंडा में सांसद ने सडक़, बिजली, पानी जैसे परम्परागत कार्यों से इतर सुलभ शौचालयों का भी निर्माण कराया। सांसद निधि से इंटियाथोक, खरगूपुर और धानेपुर बाजार में सार्वजनिक सुलभ शौचालय का निर्माण कराया गया। बजट से सैकड़ों सडक़ों के साथ-साथ तमाम सालों से प्रकाश की बाट जोह रहे सैकड़ों मजरों में विद्युतीकरण कराकर गरीबों के घर में उजाला किया।

गोद लिए गांव का हाल

जनपद मुख्यालय से 42 किलोमीटर दूर बलरामपुर जिले के सरहद पर बसा इंटियाथोक ब्लाक का गांव लक्ष्मनपुर लाल नगर जंगलों से घिरा है। दोनों जिलों की सीमा पर बहने वाली कुआंनों नदी इस गांव के उत्तरी तट से होकर गुजरती है। यहां के लोग बलरामपुर कुआंनों नदी के तट पर बने पीपे के पुल से होकर जाते हैं। बरसात में ये पुल भी नदी का जलस्तर से बढऩे से डूब जाता है, जिससे लोगों को जंगलों से होकर गुजरना पड़ता है। यहां के तीन मजरे आज भी बिजली की रोशनी को तरसते हैं। यहां के लोग भी रोटी, कपड़ा और मकान के लिए दुश्वारियों से जूझ रहे हैं। यहां पंचायत भवन, डाकघर, एटीएम, स्वास्थ्य उपकेंद्र, संचार, रोजगार आदि की व्यवस्थाएं नदारद हैं।

भाजपा के सांसद कीर्तिवर्धन सिंह ने इंटियाथोक ब्लाक के लक्ष्मणपुर गांव को सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया था। पांच साल में गांव में कुल आधा दर्जन बार आए होंगे। एक साल से वे यहां बिल्कुल नहीं आए। गोद लिए जाने के बाद सांसद द्वारा दर्जनों वादों में से अधिकांश हवा हवाई निकले। पूरे गांव में कहीं भी पक्की सीसी सडक़ें नहीं दिखती। कुछ सडक़ें खड़ंजा हैं और इनमें ज्यादातर कच्चे हैं। जंगल किनारे बसा मनोहर पुरवा आज भी सडक़ से अछूता ही है। गांव की सबसे बड़ी समस्या जल निकासी की है। 22 मजरों वाले इस ग्राम पंचायत में कुल 716 घर हैं जिसमें 70 फीसदी पिछड़े वर्ग के लोग रहते हैं। यहां की लगभग 6500 आबादी के लिए एक भी स्वास्थ्य केन्द्र नहीं है।

इतनी बड़ी आबादी के बीच यहां केवल एक सफाई कर्मी है। गांव की गन्दगी देखकर लगता है जैसे स्वच्छता अभियान यहां आखिरी सांसें गिन रहा हो। गांव के बूटीपुरवा मजरे में एक को छोडक़र किसी घर में शौचालय नहीं है। सांसद कीर्तिवर्धन सिंह ने पंचायत भवन और सामुदायिक केन्द्र बनवाने का वादा किया था मगर वो अब तक पूरा न हो सका। गांव में बैंक और डाकघर खुलवाने का वादा भी अबतक अधूरा है। यहां खेल का मैदान बनवाने का भी वादा किया गया था। गांव वाले अब भी उस वादे के पूरा होने के इंतजार में है।

प्रधान रामदास यादव का कहना है कि सांसद के प्रयास से गांव में बड़ी पानी टंकी का निर्माण हुआ है, जिससे सभी मजरों के लोगों को शुद्ध पेयजल मिल रहा है। विद्युतीकरण का काम पूरा हो गया है और सभी मजरों में निर्बाध रूप से बिजली की आपूर्ति हो रही है। गांव में पांच आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवन बन गए हैं। ग्राम पंचायत सचिवालय का निर्माण प्रारंभ हो गया है। सांसद विकास निधि से तेलीपुरवा और बढ़ईपुरवा मजरों में इंटरलाकिंग सडक़ बनी है।

पूर्व प्रधान दशरथ लाल के मुताबिक गांव में सडक़ें पुरानी और जर्जर अवस्था में हैं। रमेश फारम और गौरी पुरवा के लिए कोई सम्पर्क मार्ग नहीं है। जो है वह आधा अधूरा खडज़ा है। सीसी रोड मात्र मुख्य गांव लक्ष्मनपुर में लगभग 50 मीटर ही बना है। साल भर से वह गांव आए भी नहीं हैं।

वादे नहीं बने हकीकत

सांसद ने लखनऊ से गोंडा की कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए फोरलेन सडक़, मेडिकल कालेज खोलवाने, सरकारी इंजीनियरिंग कालेज की शुरू कराने, जनपद मुख्यालय को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए रिंगरोड का निर्माण, सीवर लाइन बनवाने, जाम की समस्या से जूझ रहे सोनी, मिश्रौलिया, गोंडा कचहरी और मनकापुर रेलवे क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज का निर्माण और औद्योगिक क्षेत्र के लिए तमाम काम कराने के वादे किए थे। इसमें गोंडा-लखनऊ फोरलेन को छोडक़र अन्य कार्यों पर अभी तक काम शुरू नहीं किया जा सका है। पिछले चुनाव में सांसद ने चुनाव जीतने के बाद जिले के शहर व ग्रामीण इलाकों की सडक़ों की बदहाली दूर कराने का वादा किया था। यह वादा बस वादा ही रह गया। आज भी शहर की गली-मोहल्लों की सडक़ों को छोडि़ए गोंडा-मनकापुर, आर्यनगर-खरगूपुर मार्ग का बुरा हाल है। ग्रामीण क्षेत्रों की सडक़ों का भी कमोवेश यही हाल है।

सांसद के दावे

चार हजार नौ सौ 39 करोड़ की लागत उतरौला रेल लाइन (श्रावस्ती-बलरामपुर-उतरौला-खलीलाबाद) निर्माण की स्वीकृति। जिले के गोंडा जंक्शन समेत सभी रेलवे स्टेशनों का विकास। टिकरी हाल्ट स्टेशन का विस्तारीकरण कराया। मनकापुर, मसकनवा, छपिया और बभनान समेत एक दर्जन रेलवे क्रॉसिंग पर अंडरपास निर्माण की स्वीकृति। पासपोर्ट सेवा केन्द्र शुरू कराया। केन्द्रीय ज्वैलरी प्रशिक्षण केन्द्र प्रारंभ कराया। 560 करोड़ की लागत से होने वाले दर्जीकुंआ से मनकापुर बभनान होते हुए बस्ती के हरैया तक फोरलेन सडक़ निर्माण शिलान्यास कराया। 770 करोड़ की लागत से कटरा शिव दयालगंज से बहराइच तक 96 किमी फोरलेन स्वीकृत कराकर शिलान्यास। केन्द्रीय रिजर्व निधि द्वारा 35 करोड़ की लागत से नवाबगंज-टिकरी मार्ग का निर्माण।

राज्य सरकार के बजट से टिकरी से मनकापुर और उतरौला मार्ग का निर्माण शुरू कराया। सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए नगर में जन औषधि केन्द्र खुलवाए। प्रधानमंत्री राहत कोष से 125 लोगों को इलाज में मदद के लिए रुपए दिलवाए। उज्जवला योजना में हजारों महिलाओं को नि:शुल्क गैस कनेक्शन। पं. दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में विद्युत उपकेन्द्रों का निर्माण कराया। सांसद निधि से 100 मजरों का विद्युतीकरण।

खनन माफिया पर कराया 212 करोड़ जुर्माना

भाजपा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह की शिकायत पर जिले में अवैध खनन करने वालों से राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने 24 जुलाई 2018 को जांच रिपोर्ट के आधार पर अवैध खनन के दोषी पाए गए 43 लोगों से 212 करोड़ की धनराशि वसूलने का आदेश दिया। जब जिले में खनन माफिया रसूख के बल पर राजस्व को अरबों का चूना लगाते हुए पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहे थे तो उनके खिलाफ जिले में किसी ने भी आवाज उठाने की हिमाकत नहीं की थी। भाजपा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में न्याय मित्र रचित मित्तल के माध्यम से दायर याचिका में जिले के नवाबगंज क्षेत्र के चकरशूल गांव में मनकापुर-अयोध्या रेल लाइन के समीप हो रहे अवैध बालू खनन से पर्यावरण व रेल लाइन पर मंडरा रहे खतरों से अवगत कराया।

सांसद ने कहा कि रेलवे रुट के किनारे हो रहे इस खनन से मनकापुर-फैजाबाद रेल ट्रैक के धंसने का भी खतरा बना हुआ है। उन्होंने वीडियोग्राफी कराकर यह दर्शाया कि किस तरह से मशीन द्वारा जमीन की गहराइयों से बालू खनन करवाया जा रहा है। सांसद ने यह भी दर्शाया कि मशीन द्वारा बालू निकाले जाने के कारण किस तरह से बगल से गुजरने वाली रेलवे लाइन को भी धंस जाने का खतरा हो सकता है, जिसमें हजारों लोगों की जान जा सकती है। सांसद ने खनन माफिया के सिंडीकेट को तोडऩे का काम अकेले दम पर किया। एनजीटी ने उनके पक्ष में फैसला सुनाकर उनकी पर्यावरण की सुरक्षा के लिए लड़ी जा रही लड़ाई को एक बड़ी जीत में बदल दिया।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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