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INTERVIEW: आशियाना गैंगरेप विक्टिम ने बयां किया दर्द, कहा-बस 2 दिन और

आशियाना गैंग रेप मामले में मंगलवार को फैसले का दिन था, लेकिन हाईकोर्ट में आरोपी की रिवीजन पीटिशन के कारण फैसले को टाल दिया गया। और एक बार फिर न्याय की उम्मीद में बैठी विक्टिम का इंतजार लंबा हो गया। 11 साल से अपने लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ रही विक्टिम के लिए दो दिन अब बड़ी बात नहीं है।

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Published on: 9 Feb 2016 9:14 PM IST
INTERVIEW: आशियाना गैंगरेप विक्टिम ने बयां किया दर्द, कहा-बस 2 दिन और
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VP SINGH

लखनऊ: आशियाना गैंग रेप मामले में मंगलवार को फैसले का दिन था, लेकिन हाईकोर्ट में आरोपी की रिवीजन पीटिशन के कारण फैसले को टाल दिया गया। और एक बार फिर न्याय की उम्मीद में बैठी विक्टिम का इंतजार लंबा हो गया। 11 साल से अपने लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ रही विक्टिम के लिए दो दिन अब बड़ी बात नहीं है। newztrack.com से खास बातचीत में उसने अपने दर्द को बयां किया।

फैसला टलने पर क्या कहा?

विक्टिम ने कहा, ''जब पता चला तो थोड़ी निराशा हुई। लेकिन दिल को आज भी इस बात की तसल्ली है कि अब आरोपी कहां जाएगा। हाईकोर्ट के आगे सुप्रीम कोर्ट...बस। अभी उसे उसके किए की सजा मिलने वाली है और मुझे इंसाफ। मेरी इंसाफ की लड़ाई बस इसलिए है कि आगे कोई किसी लड़की की इज्जत से खेलने की कोशिश न करें।

11 साल इंतजार कर लिया तो दो दिन क्या है?

मैंने इस लड़ाई के लिए अब तक 11 साल का इंतजार कर लिया तो अब दो दिन क्या बात है। उसका भी इंतजार कर लूंगी। बस अब तो अंतिम लड़ाई है।

फैसले वाली सुबह का इंतजार किस तरह कटा?

विक्टिम ने कहा, ''रात को ना नींद आई और ना ही ठीक से कुछ खाते बना। आखिर कैसे खा-सो सकती थी इसी दिन के लिए मैंने 11 साल की लंबी लड़ाई लड़ी थी। मंगलवार को दिल में बेहद बेचैनी थी कि क्या होगा? लेकिन इस बात से आश्वस्त थी कि यह लड़ाई मैंने लंबी लड़ी है तो इसका फल मुझे जरूर मिलेगा।''

क्या सजा मिले दोषियों को?

यह सवाल सुनते ही बेहद शांत स्वभाव की विक्टिम की आंखों जैसे वह मंजर ताजा हो गया हो। आंखों में गुस्सा, लेकिन गला भर आया। उसने कहा, ''उसे तीन में से कोई कोई भी सजा मिले। पहली फांसी, दूसरी कि उसका हाथ पैर काट कर चौहारे पर छोड़ दें या फिर वह मरते दम तक जेल के भीतर ही रहे।

जस्टिस सिस्टम पर क्या कहेंगी?

विक्टिम ने कहा, ''भले ही मुझे न्याय के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़े, लेकिन कोर्ट को यह बात सोचनी चाहिए कि इस लड़ाई के बाद की भी एक दुनिया होती है, महिलाओं के लिए। इसलिए ऐसे मामलों में तुरंत न्याय मिले। जिससे लोग अपने खिलाफ होने वाले इस हैवानियत के खिलाफ आवाज उठा सकें और इस हादसे से भी आगे निकल कर अपना भविष्य सोच सकें।''



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