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कविता: क्यों, आखिर क्यों? ... हो गई क्या हमसे

raghvendra
Published on: 25 Aug 2018 1:10 PM IST
कविता: क्यों, आखिर क्यों? ... हो गई क्या हमसे
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कन्हैयालाल नन्दन

हो गई क्या हमसे

कोई भूल?

बहके-बहके लगने लगे फूल!

अपनी समझ में तो

कुछ नहीं किया,

अधरों पर उठ रही शिकायतें

सिया, फूँक-फूँक कदम रखे,

चले साथ-साथ,

मगरतन पर क्यों उग रहे बबूल?

नजऱों में पनप गई

शंका की बेल,

हाथों में थमी कोई अजनबी नकेल!

आस्था का अटल सेतुबंध

लडख़ड़ाता है हिलती है एक-एक चूल!

रफू गलतफहमियाँ

जीते हैं दिन!

रातों को चूभते हैं

यादों के पिन

पतझर में भोर हुई

शाम हुई पतझर में

कब होगी मधुऋतु

अनुकूल

तन पर...



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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