कविता: फिर तेज हवा का...

raghvendra
Published on: 13 July 2018 11:09 AM GMT
कविता: फिर तेज हवा का...
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अब्बास रजा अलवी

फिर तेज हवा का यह झोंका सावन की याद दिलाता है

शायद तुमने फिर याद किया चिठ्ठी का रंग बतलाता है।

शायद अमिया के पेड़ों पर फिर बौर नया लग आया हो

कोयल की गूँजी कु कू ने हर गीत मेरा दोहराया हो।

फिर पक्षी डाल पे डोला हो हर गुन्चा गुन्चा झूला हो

बीते बचपन की यादों में क्यों बिछड़ा पल तड़पाता है।

फिर तेज हवा का यह झोंका सावन की याद दिलाता है

शायद पीपल की छावों में एक याद सताने लगती हो

बीते बचपन की बातों में ये बात रूलाने लगती हो।

क्यों रिश्ते नाते टूट गए क्यों साथी सारे छूट गए

किस्मत ने कैसी चाल चली क्यों हर पल तुम्हें रुलाता है।

फिर तेज हवा का यह झोंका सावन की याद दिलाता है॥

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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