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कविता: फूल ने सीखा- मैं तुझे उपहार में, कुछ पुष्प देना चाहती हूँ 

raghvendra
Published on: 30 Jun 2018 2:12 PM IST
कविता: फूल ने सीखा- मैं तुझे उपहार में, कुछ पुष्प देना चाहती हूँ 
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आभा सक्सेना दूनवी

मैं तुझे उपहार में

कुछ पुष्प देना चाहती हूँ

बात कुछ भी है नहीं

बस मन की करना चाहती हूँ

हाथ में हैं फूल इतने

नाम क्या हैं मैं तो भूली

याद आते हैं न मुझ को

कितना मैं यादों में झूली

मेरा मकसद है यही बस

प्यार देना चाहती हूँ

बात कुछ भी है नहीं

बस मन की करना चाहती हूँ!!

जब मैं दूँगी पुष्प तुझको

तू गले लग जाएगी

एक निश्छल मुस्कराहट

होठों पर खिल जाएगी

ओ सखी, प्यारी सखी

मैं पल वो जीना चाहती हूँ

बात कुछ भी है नहीं

बस मन की करना चाहती हूँ!!



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raghvendra

raghvendra

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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