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कविता: कर कृपा भोले, हे भोले आज मेरा रंग कुछ तेरे संग ऐसा रंग जाए

raghvendra
Published on: 10 Aug 2018 4:20 PM IST
कविता: कर कृपा भोले, हे भोले आज मेरा रंग कुछ तेरे संग ऐसा रंग जाए
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नीरज त्यागी

हे भोले आज मेरा रंग कुछ तेरे संग ऐसा रंग जाए।

ऐसी भक्ति दे मुझे,मेरा तन मन सब कुछ आज नीलकंठ हो जाए।।

मैं कर दूं तुझ को सब कुछ अपना अर्पण।

तू मेरे तन मन मे बन श्रृंगार मुझ में बस जाए।।

जल,दूध,इत्र,केसर,चीनी,दही या भांग कुछ भी बनना मंजूर मुझे।

कुछ भी बना मुझे जिससे मुझे तेरा आलिंगन हो जाये।।

एक आलिंगन को तेरे जलकर भस्म भी बनना मंजूर है मुझे।

एक बार मुझे शरीर पर लगाओ,तो ये भस्म भी मेरी चंदन हो जाये।।

जहर ईर्ष्या का भरा मेरे तन मन मे,ये मानता हूँ मैं।

हाँ मान जाओ तुझे,जो मुझे विष समझ कर ही तू पी जाएं।

मुंडमाला गले मे धार कर मृत्यु को वश में किया आपने।

थाम ले गर मुझे भी इस तरह,तब मेरा भी तेरे कंठ से आलिंगन हो जाये।।

अहंकार से भरे व्याग्र(बाघ) जैसा बनना भी मंजूर है मुझे।

गर मुझे मार कर मेरी खाल को पहन कर मुझ पर विराजना तुझे मंजूर हो जाए।।

कर कृपा मुझ पर हे भोले नाथ अब कुछ इस तरह।

मन मेरा तेरी जटाओं से निकला हुआ गंगाजल हो जाये।।



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raghvendra

raghvendra

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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