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कविता: निस्वार्थ... बड़ा मासूम सा बच्चा था वो

raghvendra
Published on: 26 Oct 2018 5:10 PM IST
कविता: निस्वार्थ... बड़ा मासूम सा बच्चा था वो
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नीरज त्यागी

बड़ा मासूम सा बच्चा था वो,

पता नही क्यों कूड़ा चुग रहा,

क्या पाने की उम्मीद है उसे, वो

क्यों खुद को मैला कर रहा,

पढऩे लिखने की उम्र है उसकी,

पता नही क्यों कूड़े में घुस रहा,

अचानक ही उसने अपने हाथ

मेरी ओर बढ़ाए,खाना खाने की

आस से वो मुझको देखे जाए,

दो रोटी खाकर वो हँसता गाता

चला गया , पता नही क्या था

उसकी आँखों मे जो मेरी

आँखो को गीला सा कर गया,

अहंकार में भरे मेरे मन को कहीं

अंदर तक वो हिला सा गया , पता

नहीं कौन सी जिम्मेदारी है उस पर

जो अपने छोटे काँधे पर ढो रहा है,

हर एक व्यक्ति आज थोड़ा सा भी

करके काम , उसे बड़ा सा दिखा रहा,

पर ये मासूम बच्चा बिन सोचे समझे

ना जाने किसकी जिम्मेदारी उठा रहा॥

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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