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कविता: ओंठों पर मुस्कान, दिल में आँसू के सागर हैं

raghvendra
Published on: 22 Jun 2018 4:28 PM IST
कविता: ओंठों पर मुस्कान, दिल में आँसू के सागर हैं
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दिल में आँसू के सागर हैं

ओंठों पर मुस्कान धरी है

सबसे आगे हो जाने की

बस जीवन में होड़ मची है

सुबह शाम के सोपानों ने

टेढ़ी मेढ़ी कथा रची है

काँटों पर बैठे फूलों के

चेहरों पर उजास बिखरी है

कोलाहल है जगर मगर है

भीड़ भाड़ है यहाँ शहर में

दो जोड़ी बूढ़ी आँखों में

खालीपन पसरा है घर में

आशंकाओं की साँसों में

अन्दर तक उम्मीद भरी है

मगर हो सके तो सचमुच में

तन से मन से तुम खुश रहना

दुख की धूप तेज होगी, पर

उसको भी तुम हँस कर सहना

पैरों में बबूल के कांटे?

देखो आगे मौलसिरी है

डॉ. प्रदीप शुक्ल



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raghvendra

raghvendra

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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