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कविता: खफा न रहा कीजिए- हो वहम तो दूर किया कीजिए
शशि पाण्डेय
खफा रह कर न रहा कीजिये
हो वहम तो दूर किया कीजिये
रहती हैं शिकायतें बहुत आपसे
बैठकर सुलह किया कीजिये
करने को बदनाम दुनिया है तैयार
कोई ग़लती तो किया कीजिये
करने को जब हों न बातें कोई
‘सुनती हो’ कह शुरू किया कीजिये
हम जैसा मिलेगा न जहां में कोई
समझ कर फैसला किया कीजिये
लगे कभी हो रहा है प्यार कम
बेवज़ह इज़हार किया कीजिये
तारीफ चांदनी की ही क्यों करें
तारीफ ‘शशि’ की भी किया कीजिये
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