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कविता, ऋतुओं में न्यारा वसंत: स्वप्न से किसने जगाया, मैं सुरभि हूँ

raghvendra
Published on: 19 Jan 2018 11:24 AM
कविता, ऋतुओं में न्यारा वसंत:  स्वप्न से किसने जगाया, मैं सुरभि हूँ
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महादेवी वर्मा

स्वप्न से किसने जगाया?

मैं सुरभि हूँ।

छोड़ कोमल फूल का घर

ढूँढती हूं कुंज निर्झर।

पूछती हूँ नभ धरा से-

क्या नहीं ऋतुराज आया?

मैं ऋतुओं में न्यारा वसंत

मै अग-जग का प्यारा वसंत।

मेरी पगध्वनि सुन जग जागा

कण-कण ने छवि मधुरस माँगा।

नव जीवन का संगीत बहा

पुलकों से भर आया दिगंत।

मेरी स्वप्नों की निधि अनंत

मैं ऋतुओं में न्यारा वसंत।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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