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कविता: कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगा

raghvendra
Published on: 29 Sep 2018 7:11 AM GMT
कविता: कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगा
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कैफ भोपाली

कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगा

मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा

दिल-ए-नादाँ न धडक़ ऐ दिल-ए-नादाँ न धडक़

कोई ख़त ले के पड़ोसी के घर आया होगा

इस गुलिस्ताँ की यही रीत है ऐ शाख़-ए-गुल

तू ने जिस फूल को पाला वो पराया होगा

दिल की किस्मत ही में लिक्खा था अंधेरा शायद

वर्ना मस्जिद का दिया किस ने बुझाया होगा

गुल से लिपटी हुई तितली को गिरा कर देखो

आँधियो तुम ने दरख्तों को गिराया होगा

खेलने के लिए बच्चे निकल आए होंगे

चाँद अब उस की गली में उतर आया होगा

‘कैफ’ परदेस में मत याद करो अपना मकाँ

अब के बारिश ने उसे तोड़ गिराया होगा।

raghvendra

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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