×

कविता: फूल सफेद कांस के: बीज बिखेर दिए ये किसने अंधकार में ज्यों उजास के !

raghvendra
Published on: 12 Jan 2018 4:06 PM IST
कविता: फूल सफेद कांस के: बीज बिखेर दिए ये किसने अंधकार में ज्यों उजास के !
X

डॉ. रविशंकर पाण्डेय

धानी धूसर हरी दरी पर

फूले फूल सफेद कांस के,

बीज बिखेर दिए ये किसने

अंधकार में ज्यों उजास के !

ज्वार बाजरे की खेती यह

खेती है चांदी सोने की,

मौसम आये हैं पकने के

ऋतु आई सपने बोने की;

बाढ़ और सूखे वाले सब

बीत गए दिन भूख प्यास के !

हरे धान के खेत झूमते

लहराये चूनर ज्यों धानी,

कच्ची धूप क्वार कातिक की

बैठ ब्याह की बुने कहानी;

वन तुलसी के गंध ज्वार में

घर डूबे सब आस पास के !

ऊसर बंजर मिट्टी में ज्यों

फूटे बादल राग रेत से,

खून पसीने के बलबूते

जाग गये हैं भाग खेत के;

क्या हजूर अब क्या मजूर

जब भेद मिट गये आम - खास के !!

raghvendra

raghvendra

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

Next Story