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कविता: कवि तो कहेगा, जब जब सूरज को देखेगा

raghvendra
Published on: 22 Jun 2018 11:09 AM GMT
कविता: कवि तो कहेगा, जब जब सूरज को देखेगा
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जब जब सूरज को देखेगा

उसके उगने की बात कहेगा

समुद्र के गर्भ से शनै: शनै:

ऊपर उठने की

नरम गुलाबी रंगत से बदल कर

गर्म अग्नि में बदलने की

पूरे आकाश को लांघ कर

धीरे धीरे नीचे उतरने की

और पुन: समुद्र की गोद में विलीन होने

की बातें विस्तार से कहेगा

उसके शब्द इतने जीवंत होंगे

कि कल सूरज रहे न रहे

उसका मिजाज उसका रुप और पृथ्वी पर

शासन करने का तरीका उसका

अंकित रहेगा समय के पन्नों पर

उसके उदय से उजाला और

अस्त से अंधेरा होता है।

उसके अस्तित्व से ही जीवन है

जीवन में गति है

सब कुछ अक्षरों में बाँच देगा

पीढिय़ाँ जाने समझें और कविता में साक्षात्

देख लें उसका स्वरूप

इसलिए कहेगा

कवि तो कहेगा.. ..

शशिबाला

raghvendra

raghvendra

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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