प्राइमरी स्कूल को बना दिया मॉडल स्कूल, बायोमेट्रिक मशीन से लगती है हाजिरी, LED स्क्रीन पर होती है पढ़ाई

आज हम आपको एक ऐसे स्कूल के बारे में बताने जा रहे हैं, जो है तो सरकारी पर इसकी सुविधाएं किसी प्राइवेट स्कूल से काम नहीं हैं।

sujeetkumar
Published on: 22 April 2017 8:16 AM GMT
प्राइमरी स्कूल को बना दिया मॉडल स्कूल, बायोमेट्रिक मशीन से लगती है हाजिरी, LED स्क्रीन पर होती है पढ़ाई
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संभल: यूपी में ज्यादातर सरकारी स्कूलों की हालत जर्जर बनी हुई रहती है। पढ़ाई भी राम भरोसे चलती है। बच्चे पढ़ने के बजाए सिर्फ स्कालरशिप लेने आते हैं।हालांकि योगी सरकार के निर्देशों के बाद कुछ सरकारी स्कूलों की हालत थोड़ा सुधरने लगी हैं। आज हम आपको एक ऐसे स्कूल के बारे में बताने जा रहे हैं, जो है तो सरकारी पर इसकी सुविधाएं किसी प्राइवेट स्कूल से काम नहीं हैं।

इस प्राइमरी स्कूल को डिजिटल सुविधाओं से जोड़ा गया हैं। यहां बच्चों को ब्लैक बोर्ड पर नहीं बल्कि ‌एलइडी स्क्रीन पर पढ़ाई कराई जाती है। शिक्षा विभाग इस स्कूल को देखर आचार्य में है, वह इस स्कूल को एक मॉडल स्कूल मानता है। स्कूल में बच्चों की संख्या 300 पार कर चुकी है। यहां लोग बच्चों के दाखिले के लिए लंबी लाइन लगते हैं।

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शिक्षकों की उपस्थिति बेहतर

-स्कूल का नाम इटायला माफी प्राथमिक विधालय है।

-इसके प्रिंसिपल कपिल मलिक हैं।

-बच्चों की पढ़ाई का स्तर, उनके पढ़ाई के लिए व्यवस्थाएं किसी अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों से काफी ज्यादा है।

-बच्चों के स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए तीन सौ से अधिक गमलों में पौधे लगाए गए हैं।

-साथ ही मिड डे- मील बंटने से पहले बच्चों को हाथ साफ करना अनिवार्य है।

-बच्चों की उपस्थिति से लेकर शिक्षकों की उपस्थिति बेहतर रहती है।

1.20 लाख रुपए का चेक देकर सम्मानित

पहले इस स्कूल में मात्र 12 बच्चे पढ़ने आते थे, लेकिन प्रधानाचार्य कपिल के आने के बाद स्कूल में बच्चों की संख्या 12 से बढ़कर 309 हो गई। इस स्कूल के चर्चा जब पूरे यूपी में फैली तो सरकार को भी सुध आई और स्कूल का चयन आदर्श स्कूल के रूप में किया गया। शिक्षक दिवस पर स्कूल के प्रिंसिपल कपिल मलिक को लखनऊ में बेसिक शिक्षा निदेशक अजय कुमार ने शॉल ओढ़ाकर और 1.20 लाख रुपए का चेक देकर सम्मानित किया।

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बायोमीट्रिक मशीन से लगती है हाजिरी,सीसीटीवी कैमरे से हर क्लास की होजी है निगरानी

उत्तर प्रदेश का यह पहला प्राथमि‌क विधालय है, जहां शिक्ष‌क और छात्र बायोमी‌ट्रिक मशीन से बच्चों की उपस्थिति दर्ज की जाती है। रोजाना बच्चों को मशीन से ही हाजिरी लगानी होती है। खास बात यह है कि इसके लिए शासन से कोई बजट नहीं मिला पर स्कूल को मिली पुरस्कार राशि से यह मशीन प्रिंसिपल कपिल मलिक ने मंगवाकर लगवाई है। इस मशीन के लगने के बाद स्कूल में कोई भी देर से नहीं आता है। कपिल अपने कक्ष से कैमरों की सहायता से पूरे स्कूल की निगरानी रखते हैं।शिक्षक दिवस के मौके पर लखनऊ में एक लाख 20 हजार रुपए का पुरस्कार प्रिंसिपल मलिक को आदर्श विद्यालय घोषित होने पर मिला था। इस धनराशि से 30 हजार रुपए का लैपटॉप व 14 हजार रुपए की बायोमीट्रिक मशीन खरीदी गई। स्कूल में पढऩे वाले 308 बच्चे और छह शिक्षकों के फिंगर प्रिंट लेकर व लैपटॉप में सबके नामों की फीडिंग की गई। इसके अलावा पुरस्कार की जो धनराशि बची उससे बच्चों के लिए फर्नीचर भी खरीदा गया।

प्रथम स्थान लाने वाले बच्चों की दी जाती है साइकिल

प्राथतिक विधालय इटायलामाफी में बच्चों को परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले छात्र छात्राओं को प्रधानाचार्य कपिल कुमार पुरस्कार के रूप में साइकिल देकर सम्मानित करते है। ईनाम की धनराशि वह अपनी जेब से खर्च करते है। उन्होने कहा कि छात्रों को पुरस्कार वितरित करने से उनका हौसला बढ़ता है।स्कूल पर अपनी जेंब से खर्च कर चुके है 15 लाख रूपये प्रधानाचार्य कपिल ने बच्चों का भविष्य संभालने के लिए स्कूल को डिजिटल बनाया।

वह खुद ही स्कूल को वीआईपी बनाने के लिए अपनी जेब से 15 लाख रूपये खर्च कर चुके है। महीने की सैलरी को स्कूल के कार्यो में ही खर्च कर रहे है। उन्होने बताया कि स्कूल की चाहरदीवारी, सीसीटीवी कैमरे, क्लास में मयूजि‌क सिस्टम, सौलर सिस्टम, टंकी, कम्पयूटर लैब, समेत कई सामानों को अपनी जेब से लगाया है। शासान से केवल एक लाख बीस हजार रूपये की धनराशि पुररूकार के रूप में मिली है।

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कुछ मुख्य बातें जो इस स्कूल को बनाती हैं खास...

1. प्राथमिक विद्यालयों में लोग साधारण पढ़ाई होने की उम्मीद भी कम करते है, लेकिन इटायला माफी प्राथमिक विद्यालय में कक्षा तीन से पांच तक के बच्चों को प्रत्येक दिन एक घंटे कम्प्यूटर की शिक्षा दी जाती है।

2. इस स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए चाक और ब्लैक बोर्ड का इस्तेमाल नहीं किया जाता। बल्कि उसके स्थान पर व्हाइट बोर्ड और मार्कर का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिससे बच्चे आसानी उसे समझ सकें। साथ ही इस सबका खर्च प्रिंसिपल खुद उठाते है।

3. इस स्कूल बिजली न आने पर भी बच्चों को गर्मी नहीं लगेगी। क्योंकि प्रिंसिपल ने इसके लिए स्कूल में सोलर लाइट लगवा रखी है और स्कूल के सभी पंखे इसी सोलर शीशे से चलते है।4. जैसे ही स्कूल का सत्र शुरू होता है। उसी समय प्रिंसिपल अपनी तरफ से स्कूल के सभी बच्चों को बैग तथा टाई देते है। जिससे सभी बच्चे बैग लेकर आए और ड्रेस पर टाई लगाकर आए। साथ ही सभी को स्कूल का आई कार्ड दिया जाता है और स्कूल में हर माह बच्चों का टेस्ट लिया जाता है। इसके बाद जो बच्चा क्लास में सबसे ज्यादा नंबर लाता है उसका नाम स्कूल में लगे बोर्ड पर लिख दिया जाता है।

डॉ सत्यनारायण बीएसए संभल ने बताया कि इटायला माफी स्कूल की जितनी तारीफ की जाए कम है। कपिल मलिक ने स्कूल को मॉडल स्कूल बनाया है। स्कूल के अध्यापकों ने मेहनत से अग्रेजह माध्यम स्कूलों को भी पीछे कर दिया है। कम्पयूटर शिक्षा के साथ स्कूल में ऐसी बहुत चीजें है जो इंगिलश मीडियम स्कलों में भी देखने नही मिलती है। शासन ने स्कूल के प्राधानाध्यापक को 1 लाख 20 हजार रूपए देकर सम्मानित किया था।

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