TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

गुस्ताखी माफ! राहुल बाबा राजनीति करनी है, तो इमोशंस से खेलना अपनी दादी से सीखो

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज एक बड़ा ऐलान किया, उन्होंने कहा कि सरकार आने के बाद देश के 20 प्रतिशत गरीबों को न्यूनतम आय योजना के तहत 12 हजार रूपये प्रति महीने देगी। देश को गरीबी से निकालने की ओर कांग्रेस पार्टी का एक बड़ा कदम है।

Rishi
Published on: 25 March 2019 10:25 PM IST
गुस्ताखी माफ! राहुल बाबा राजनीति करनी है, तो इमोशंस से खेलना अपनी दादी से सीखो
X

आशीष शर्मा 'ऋषि' आशीष शर्मा 'ऋषि'

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज एक बड़ा ऐलान किया, उन्होंने कहा कि सरकार आने के बाद देश के 20 प्रतिशत गरीबों को न्यूनतम आय योजना के तहत 12 हजार रूपये प्रति महीने देगी। देश को गरीबी से निकालने की ओर कांग्रेस पार्टी का एक बड़ा कदम है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, दो हिन्दुस्तान बनाये जा रहे हैं एक गरीबों का और दूसरा अमीरों का और कांग्रेस पार्टी ऐसा नहीं होने देगी। इसके बाद हमें उनकी मरहूम दादी इंदिरा गांधी बहुत याद आईं...

ये भी देखें : राहुल गांधी का बड़ा ऐलान, गरीबों के खाते में हर साल आएंगे 72 हजार रुपये

*फिलहाल आप नोट करिए, राहुल अपने आरंभ से अभीतक बोलने की कला सीख नहीं सके हैं। लेकिन आज उन्होंने गरीबों का नाम जिस तरह लिया कसम से दादी बहुत याद आईं, अमा हमारी नहीं उनकी बताया तो ऊपर।

मुद्दे पर आते हैं राहुल ने आज जिस तरह अपनी बात शुरू की उसमें पहले कोई दम नजर नहीं आया। लेकिन बाद में तो बंदे ने समां बांध दिया। इसके लिए उनकी मां को दोषी नहीं कहा जा सकता। क्योंकि उन्हें तो ज़बरदस्ती राजनीति में ढकेला गया था। इसके लिए दोषी हैं दिग्गी राजा जैसे नेता जो राहुल बाबा के संरक्षक बने और उन्हें भी अपनी तरह बना दिया। जबकि राष्ट्रवादी दल के लोग इमोशनल पिच पर बाउंड्री पार छक्का जड़ते हैं।

इसमें भाजपा को या फिर कहा जाए कि पीएम नरेंद्र मोदी को खासी महारथ हासिल है। कांग्रेसियों के पास ये कला इंदिरा गांधी तक ही रही। कौन भूल सकता है 1971 का वर्ष जब यह महिला सिंडिकेट के छक्के छुड़ा रही थी।

उन्होंने तब जो कहा था, उस लाइन पर आज उनके धुर विरोधी भी चलने को विवश हैं। "में कहती हूँ गरीबी हटाओ, वो कहते हैं इंदिरा हटाओ"। कुछ सुना सुना सा लग रहा होगा न राहुल बाबा!

नहीं समझ आया-कोई नहीं समझा देते हैं...इंदिरा ने जहां समाप्त किया मोदी ने वहीं से शुरू किया है

राहुल बाबा इंदिरा को विरासत में मिली थी राजनीति, ये तो पता होगा आपको। तत्कालीन पीएम लाल बहादुर शास्त्री की अकाल मौत ने इंदिरा को पीएम पद तक पहुंचा दिया। कांग्रेस संगठन में काफी विरोध भी रहा।

राहुल बाबा आपको बता दें आपकी दादी को शुरू में गूंगी गुड़िया की उपाधि दी गई, और भी बहुत कुछ कहा गया। नेहरू के निधन के बाद वो पहला चुनाव लड़ी और शास्त्री सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रही। लेकिन पीएम बनते ही उन्होंने गूंगी गुड़िया का चोला उतार फेंका।

इंदिरा 1966 से 1977 तक पीएम रहीं, इस दौरान देश ने पाकिस्तान को न सिर्फ पराजित किया, बल्कि उसके टुकड़े भी कर दिए। इमरजेंसी के दौरान साख पर बट्टा जरुर लगा, लेकिन पाकिस्तान के साथ उन्होंने जैसा किया उससे उनकी दुर्गा वाली छवि मजबूत होती चली गई।

ये भी देखें :वोट देने से पहले जानिए राहुल गांधी की ‘न्याय स्कीम’ के बारे में, क्या है नफा-नुकसान

देश की नब्ज समझने की उनमें विलक्षण क्षमता थी। देश और समाज को भले ही वो उनके मनमुताबिक बातें सुनाती लेकिन करती अपने मन की थी। आज देशभक्ति का ज्वर कुछ भी नहीं है उस समय के मुकाबले। जो विरोधी उन्हें कामराज की कठपुतली और गूंगी गुड़िया कहते थे वही बाद में उनके मुरीद हो गए।

इंदिरा गांधी ने 1971 में पाकिस्तान को ही नहीं, देश में अपने विरोधियों को भी निर्णायक मात दी। गरीबी हटाओ का उनका नारा सिर चढ़कर बोला। 1974 में पोखरण में परमाणु विस्फोट कर उन्होंने दुनिया को चौंका दिया। आलम ये था कि इंदिरा देशभक्ति का पर्याय बन गईं। एशिया में उस समय ताकत का सिर्फ एक नाम था इंदिरा।

1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनके निर्वाचन को रट्ट कर दिया। लगा कि इंदिरा की सत्ता चली जाएगी। इंदिरा ने इमरजेंसी लगा दी। उस दौरान इंदिरा कांग्रेस के अध्यक्ष देवकांत बरुआ ने 'इंदिरा इज इंडिया एंड इंडिया इज इंदिरा' का नारा दिया, जो आज भी उतना प्रभावी है जितना कल था।

इंदिरा ने इमरजेंसी के बाद आम चुनाव करवाए, उन्हें बड़ी हार झेलनी पड़ी। इंदिरा रायबरेली से चुनाव हार गईं, लेकिन उन्होंने कोई भी बचकानापन नहीं दिखाया। गद्दी छोड़े 3 साल ही होने को थे, कि फिर चुनाव का बिगुल बज उठा।

ये भी देखें :नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने अपना नामांकन दाखिल कराया

1980 के चुनाव में फिर से इंदिरा पर जनता ने भरोसा जताया और वो प्रधानमंत्री बनीं। इंदिरा ने जो काम बखूबी किया वो ये था कि उन्होंने अपने सभी निर्णय देश हित से जोड़ जनता के सामने पेश किये। जिसका नतीजा ये हुआ कि जनता ने सिर्फ उनको सुना उनको ही चुना।

इतना कुछ बताने के बाद आपको समझ आया होगा कि आपकी दादी इंदिरा इस देश की नब्ज समझतीं थीं। जो कहती थीं, उसके मायने जानती थीं, इसलिए उन्होंने इमोशनल पिच पर जमकर बैटिंग की। और कभी 'बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है, मौत के सौदागर और आलू की फैक्ट्री' जैसे बयान नहीं दिए। आपको को भी इसी लेवल पर आना होगा।

वैसे गुस्ताखी माफ राहुल बाबा इमोशनल पिच पर बैटिंग करना आपके बस की बात नहीं है हां! प्रियंका इस भूमिका में सफल होती नजर आ रही हैं।



\
Rishi

Rishi

आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

Next Story