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Railway: पटरियों को छोड़कर ऑफिसों में काम रहे हैं ट्रैक मैन

seema
Published on: 27 Oct 2017 2:02 PM IST
Railway: पटरियों को छोड़कर ऑफिसों में काम रहे हैं ट्रैक मैन
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अमित यादव

लखनऊ। हाल के दिनों में रेल हादसों में लगातार इजाफा हो रहा है। रेल मंत्रालय की ओर से समय-समय पर यह दावा किया जाता है कि रेल हादसे रोकने के लिए कई कदम उठो गए हैं। रेल मंत्रालय का यह भी कहना है कि सरकार रेल यात्रियों की जान-माल की रक्षा के प्रति गंभीर है मगर हकीकत उल्टी दिखती है। सरकार का दावा सिर्फ कागजी दिखता है। हकीकत यह है कि रेल लाइनों की निगरानी करने वाले ट्रैक मैन से लेकर फीटर तक अपना असल काम नहीं कर पा रहे हैं। ये विभाग के आला अफसरों के दफ्तरों में ड्यूटी दे रहे हैं। अधिकारियों ने उन्हें अपने निजी काम में भी लगा रखा है। यही कारण है कि ट्रैकों की निगरानी नहीं हो पाती है और आए दिन ट्रेनों के पटरी से उतरने की घटनाएं हो रही हैं।

ट्रैक मैन जो लखनऊ के ऑफिसों में कर रहे हैं काम

-आलोक श्रीवास्तव (लाइन ऑफिस में),आनंद स्वरूप (लाइन ऑफिस में),विजय वर्मा (लाइन ऑफिस में), रमेश वर्मा (लाइन ऑफिस में),प्रेमनारायण (एडीईएन-2 ऑफिस में), तवरेज सिद्दकी (एडीईएन-2 ऑफिस में), प्रमोद मिश्रा (डीआरएम ऑफिस), रितेश यादव (ट्रेनिंग सेंटर), राजेश यादव (एडीईएन-1 में पीडब्लू-1 में), राजनारायण तिवारी (एडीईएन-1 में पीडब्लू-1 में)

ये फीटर भी लगे हैं दफ्तरों में

परमिंदर सिंह (एडीईएन-2 ऑफिस में), मुकेश कुमार मीना (लाइन ऑफिस में)

ट्रैक मैन जो उन्नाव एसएसई के ऑफिस में दे रहे हैं ड्यूटी

मुकेश कुमार यादव, देवेंद्र यादव, विनय कुमार, लाजजी शर्मा, अनिल मिश्रा, नितिन कुमार, योगेंद्र साहू, विनोद यादव।

बाराबंकी का यह है हाल

धमेंद्र सिंह, प्रभाकर सिंह, शिवेंद्र सिंह, रवि कुमार एसएसई-2 कार्यालय में दे रहे ड्यूटी। सुनीत मिश्रा इन दिनों बाराबंकी डीआरएम ऑफिस में दे रहे हैं ड्यूटी।

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ये है जिम्मेदारों का ब्योरा

राजधानी में सहायक मंडल अभियंता-1 (एसएसई) तथा सहायक मंडल अभियंता-2 (एसएसई) के दफ्तर आलमबाग थाने के पीछे है। एक एसएसई के अंडर में करीब 600-700 ट्रैकमैन व फीटर कार्य करते हैं। इसके अलावा 3 सीनियर सेक्शन इंजीनियर भी इन्हीं के अंतर्गत ड्यूटी देते हैं। एक सीनियर सेक्शन इंजीनियर के अंतर्गत करीब 200 ट्रैकमैन काम करते हैं।

कौन ऑफिस कहां है

एसएसई-1 के अंतर्गत आने वाले 3 सीनियर सेक्शन इंजीनियरों के ऑफिस राजधानी में ही है। वहीं एसएसई-2 में कार्य करने वाले 3 सीनियर सेक्शन इंजीनियरों के दफ्तर एक उन्नाव, दूसरा एसएसई लाइन लखनऊ तथा तीसरा एसएसई बाराबंकी में है। इन्हीं ऑफिसों में अधिकारियों ने ट्रैक मैनों को लगा रखा है।

मनमाने तरीके से भरी जाती है मस्टर शीट

रेलवे कर्मचारी ट्रेक मेनटेनर एसोसिएशन (आरकेटीए) के सहायक सचिव विश्वनाथ सिंह यादव ने बताया कि लखनऊ में सहायक मंडल अभियंता-1 के किसी भी ऑफिस में मस्टर शीट तैयार करने का कोई नियम नहीं है। वहीं सहायक मंडल अभियंता-2 ट्रैकमैन ऑफिस में काम कर रहे हैं। केवल एसएसई लाइन लखनऊ, उन्नाव तथा बाराबंकी में मस्टर शीट रोजाना तैयार होती है।

रेलवे का नियम है कि सुबह ट्रैकमैनों को जब लाइन पर जाना होता है तो मस्टर शीट पर हस्ताक्षर करना होता है, लेकिन मस्टर शीट का काम ठीक तरीके से नहीं किया जा रहा है। अधिकारी के साथ मिलकर ट्रैकमैन मनमाने तरीके से मस्टर शीट बना लेते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि यूपी की राजधानी में ही मस्टर शीट रोजाना अपडेट नहीं होती है।रेलवे कर्मचारी ट्रेक मेनटेनर एसोसिएशन (आरकेटीए) के सदस्य इसकी शिकायत रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी से मिलकर कर चुके हैं। उन्होंने जल्दी ही कार्रवाई करने का आदेश दिया है।

रेलवे से ले रहे अधिक पैसे

आरकेटीए के सहायक सचिव विश्वनाथ सिंह यादव ने बताया कि रेलवे ट्रेक मैनों के हर महीने हार्ड एलाउंस के लिए 2700 रुपये देती है, लेकिन जो ट्रैकमैन दफ्तर में कार्य कर रहे हैं वे 5000 रुपये तक का टीए बनाकर अधिक पैसे ले रहे हैं। उनके मुताबिक आठ किमी से अधिक दूरी जाने पर ट्रैकमैनों को अतिरिक्त बोनस मिलता है, लेकिन कर्मचारी ऑफिस में कार्य करने वाले ट्रैकमैन अधिकारियों की सहायता से रेलवे से अधिक रुपये ले रहे हैं।

डीआरएम देंगे जवाब

एडीईएन-1 राहुल जब्रवाल से ट्रैकमैन के ऑफिस में काम करने के बाबत पूछने पर उन्होंने जवाब दिया कि रेलवे के नियमों के अनुसार मुझे मीडिया से बात करने की अनुमति नहीं है। इस बारे में डीआरएम से बात करें।



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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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