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ये है यूपी से राज्यसभा जा रहे 10 नेता, भाजपा के आठ, सपा -बसपा के एक-एक
भाजपा ने राज्यसभा के लिए 18 लोगों की अपनी दूसरी सूची जारी कर दी है। इस सूची में भाजपा ने यूपी के लिए 7 उम्मीदवार घोषित किए हैं। अब यह तय हो गया है कि उत्तर प्रदेश में राज्यसभा के चुनाव निर्विरोध ही होंगे।
Anurag Shukla
लखनऊ: भाजपा ने राज्यसभा के लिए 18 लोगों की अपनी दूसरी सूची जारी कर दी है। इस सूची में भाजपा ने यूपी के लिए 7 उम्मीदवार घोषित किए हैं। अब यह तय हो गया है कि उत्तर प्रदेश में राज्यसभा के चुनाव निर्विरोध ही होंगे। अब हम आपको बताते हैं कि यूपी से कौन 10 लोग राज्यसभा जा रहे हैं। जानिए अपने 10 राज्यसभा सांसदों को
भाजपा
अरुण जेटली – भारत सरकार में वित्त मंत्री अरुण जेटली को उत्तर प्रदेश से राज्यसभा भेजने के पीछे माना जा रहा है कि प्रदेश को महत्व देने की रणनीति है। यूपी से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, कई मंत्री ( पहले रक्षा मंत्री रहे पारिकर) के बाद अब वित्तमंत्री को यूपी से भेजने के साथ ही यूपी के महत्व को दर्शाया जा रहा है। दरअसल 2014 लोकसभा में भाजपा को यूपी की 80 में 71 और एनडीए को 73 सीटें मिली थी ऐसे में यूपी के महत्व का यह संदेश काफी अहम है।
अरुण सिंह – देश के गृहमंत्री के रिश्तेदार औऱ कई बार से लोकसभा और राज्यसभा में नज़रअंदाज किए जाने के बाद अरुण सिंह को अंततः टिकट मिल ही गया है। इस टिकट के जरिए राजपूत कार्ड के संतुलन का खेल है।
डॉ अनिल जैन- भाजपा के अल्पसंख्यक कोटे का संतुलन बनाने वाले अनिल जैन पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव हैं। और कई अहम पदों पर हैं। ऐसे में अनिल जैन का नाम रेस शुरु होने से पहले ही तय माना जा रहा था।
विजय पाल सिंह तोमर – भाजपा के किसान मोर्चे के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और जाट- गुर्जर समीकरण में फिट होने वाले विजय पाल सिंह तोमर को टिकट देकर किसान हितैषी और कार्यकर्तापरस्त होने के दोनों कार्ड खेल लिए हैं।
कांता कर्दम जाटव- उत्तर प्रदेश के मेरठ से मेयर का चुनाव हार चुकी कांता कर्दम जाटव को टिकट देकर भाजपा ने जहां अपना दलित और महिला का कार्ड दुरुस्त किया है वहीं मेरठ में उन्हें चुनाव हराने वाले लोगों को जवाब भी दिया है। मेरठ में जब कांता चुनाव हारी थीं तो उन्हें हराने में कुछ भाजपा नेताओं के नाम भी आए थे। वे नेता भी राज्यसभा की सीट के लिए टकटकी लगा रहे थे पर पार्टी ने उन्हें एक मैसेज दिया है।
जीवीएल नरसिम्हाराव- आंध्र प्रदेश में हो रही दिक्कतों से निपटने और राज्य के प्रति अपनी सहानुभूति दिखाने का कार्ड खेलने के साथ ही पार्टी ने जीवीएल नरसिम्हाराव को टिकट देकर राज्यसभा में अपनी आवाज को बुलंद किया है। जीवीएल नरसिम्हाराव पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और चुनाव विश्लेषक भी हैं।
डॉ.अशोक वाजपेयी- सपा के संस्थापक सदस्यों में से एक डा अशोक वाजपेयी ने समाजवादी पार्टी छोड़कर भाजपा ने दामन थामा। जब उन्होंने भाजपा ज्वाइन की थी तो गृहमंत्री राजनाथ सिंह खुद उन्हें शामिल कराने आए थे और कहा था कि यह हमारे पुराने साथी रहे हैं। डा वाजपेयी को टिकट देने के पीछे ब्राह्मण वोटों को तरजीह देने के साथ ही हरदोई से सपा के क्षत्रप नरेश अग्रवाल का सत्ता संतुलन बिगाड़ना है।
सकलदीप राजभर - एक पिछड़े नेता के तौर पर सकलदीप राजभर के तौर पर अपने पुराने कार्यकर्ता को पार्टी ने टिकट दिया है। यूपी में राजभर वोटों के लिए अपने सहयोगी दल सुहेलदेव भारत समाज पार्टी पर निर्भरता खत्म करने का यह बड़ा कदम माना जा रहा है। इस समय सुहेलदेव भारत समाज पार्टी के 4 विधायक यूपी सरकार में शामिल हैं और तीन मंत्री हैं। पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर कई बार सरकार की किरकिरी करा चुके हैं और इस समय भी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
हरनाम सिंह यादव- कभी संघ की प़ृष्ठभूमि वाले हरनाम सिंह यादव एटा के हैं और भाजपा के दिग्गज औऱ राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के किसी समय करीबी थे। हरनाम का बाद में उनसे समय खराब हो गया और वह सपा में शामिल हो गए थे। सपा में मुलायम युग खत्म होते होते वह फिर से पार्टी में वापस आ गये। हरनाम को टिकट देकर यादव वोटरों को मैसेज दिया गया है।
सपा
जया बच्चन- फिल्म अभिनेत्री और तीन बार से राज्यसभा सांसद जया बच्चन को टिकट देकर समाजवादी पार्टी ने अपनी प्रोग्रेसिव छवि के साथ ही महिला परस्त होने की छवि को भुनाने की कोशिश की है। माना जा रहा है कि उनके टिकट में राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश य़ादव की पत्नी सांसद डिंपल यादव का बडा योगदान रहा है।
बसपा
भीमराव अंबेडकर
बसपा ने अपने पूर्व विधायक भीमराव अंबेडकर को मैदान में उतारा है और सपा की मदद से उसे पार लगाने क योजना बनाई थी पर अब तो उनका चुना जाना तय है। अंबेडकर जहां काडर से आते हैं वहीं उनका नाम भी दलित सियासत में एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल हो सकता है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने चुनकर उन्हें ही मैदान में उतारा था जिससे उनकी अगर हार होती तो यह कह सकती थी कि भाजपा या सपा (जैसी आवश्यकता हो) ने अंबेडकर को राज्यसभा में जाने से रोक दिया था।