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श्री राम शलाका प्रश्नावली : अक्षर पर रखिये उगली और जानिए कार्य का फल
अनूप ओझा
जीवन में सुख - दुख के मर्म को जानने के लिए मानव में बेचैनी है। मानव को हर दृश्य -अदृश्य कारणों के रहस्य के बारे में जानने की उत्सुकता सदियों से रही है। मन दुखी है तो कारण जानने के बाद निवारण की खोज में मानव सदियों से भटक रहा है। हर युग के ज्ञानी जनों ने मानव पर बीतने वाली हर परिस्थितियों के मूल कारण को जानने के लिए निरंतर शोध किए हैं। ज्ञानियों ने शोध के उपरान्त निवारण के लिए मार्गदर्शन किए है। आज हम आपको बताने जा रहें है एक ऐसी विद्या के बारे में जो सरल होने के साथ ही अचूक परिणाम देने वाली है। हम बात कर रहें राम शलाका के बारे में जो श्री राम चरित मानस की चौपाइयों के माध्यम से कार्य के परिणाम के बारे में बताती है। श्री गोस्वामी जी के द्वारा रचित नौ चौपाई का प्रयोग इस श्री राम शलाका प्रश्नावली में किया है। एक चार्ट के माध्यम से इन चौपाइयों का अर्थ जान कर व्यक्ति मन में उठ रही हर प्रकार की शंकाओं के बारे में पूर्व से सटीक जानकारी प्राप्त कर सकता है।
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श्री राम शलाका प्रश्नावली में 225 खाने है। इनका मूलांक 2+2+5=9 आता है। इसमें एक एक चौपाई अलग अलग ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है। गोस्वामी तुलसीदास जी का ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान है। ज्योतिष के बारे उन्होंने विस्तार पूर्वक प्रकाश ड़ाला है।विद्वानों द्वारा राम चरित मानस का निरंतर अध्ययन करते हुए चौपाइयों के सार के बारे विस्तृत व्याख्या की गई है। विद्वानों का ऐसा मत है कि श्री राम चरित मानस को यदि हम ज्योतिष का मानस शास्त्र कहें तो भी ठीक है। गोस्वामी जी ने मानव जाति के जीवन के सभी प्रश्नों के उत्तर राम चरित मानस में स्पष्ट दिए है।
इन नौ चौपाइयों में से तीन चौपाइयों के अंतर्गत कार्य में संदेह दिखाया गया है जो कि शनि,राहू, और केतु का फल बताती है।
श्री राम शलाका प्रश्नावली में तीन चौपाइयों में कार्य सिद्ध होना बताया है जो कि चन्द्र,वृहस्पति और शुक्र का फल हमारे सामने रखता है।
श्री राम शलाका प्रश्नावली में तीन चौपाइयों में अनिश्चय की स्थिति रख कर सूर्य,मंगल और बुध के गुणों को हमारे सामने रखा गया है।
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ये हैं वो चौपाइयां
श्री राम शलाका प्रश्नावली में गोस्वामी जी ने तीन तीन चौपाई द्वारा फल को बाँट कर अपने आत्म ज्ञान से सत ,रज और तम का सन्देश दिया है।
1- सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी।
कार्य सिद्ध होगा।
2- प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। हृदय राखि कोसलपुर राजा।
सफलता मिलेगी।
3- उघरें अंत न होइ निबाहू। कालनेमि जिमि रावन राहू।।
सफलता में सन्देह है।
4- बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं। फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं।।
सफलता में सन्देह है।
5- मुद मंगलमय संत समाजू। जिमि जग जंगम तीरथ राजू।।
कार्य सिद्ध होगा।
6- होइ है सोई जो राम रचि राखा। को करि तरक बढ़ावहिं साषा।।
सन्देह है, कार्य सिद्ध होगा।
7- गरल सुधा रिपु करय मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई।।
कार्य सफल होगा।
8- बरुन कुबेर सुरेस समीरा। रन सनमुख धरि काह न धीरा।।
सन्देह है।
9 - सुफल मनोरथ होहुँ तुम्हारे। राम लखनु सुनि भए सुखारे।।
कार्य सिद्ध होगा।