TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

जानिए मिलता है एक महिला को मुफ्त कानूनी मदद, ये है उनके कानूनी अधिकार

suman
Published on: 8 March 2019 11:24 AM IST
जानिए मिलता है एक महिला को मुफ्त कानूनी मदद, ये है उनके कानूनी अधिकार
X

जयपुर : महिलाएं आज हर क्षेत्र में हैं। जमीन से लेकर आसमान में ही नहीं, अंतरिक्ष में भी उनके कदमों की छाप मौजूद है। जिस तरह से उनका कद बढ़ा है, तो अब वे अपने हक और उससे जुड़े कानूनों के बारे में भी जानना चाती हैं। घर से लेकर दफ्तर में एक महिला के क्या मुख्य अधिकार होते हैं.....

समान वेतन का अधिकार समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार, अगर बात वेतन या मजदूरी की हो तो लिंग के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता।

काम पर हुए उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार काम पर हुए यौन उत्पीड़न अधिनियम के अनुसार आपको यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का पूरा अधिकार है।

गोपनीयता का अधिकार यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को नाम न छापने देने का अधिकार है. अपनी गोपनीयता की रक्षा करने के लिए यौन उत्पीड़न की शिकार हुई महिला अकेले अपना बयान किसी महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में या फिर जिलाधिकारी के सामने दर्ज करा सकती है।

घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार ये अधिनियम मुख्य रूप से पति, पुरुष लिव इन पार्टनर या रिश्तेदारों द्वारा एक पत्नी, एक महिला लिव इन पार्टनर या फिर घर में रह रही किसी भी महिला जैसे मां या बहन पर की गई घरेलू हिंसा से सुरक्षा करने के लिए बनाया गया है। आप या आपकी ओर से कोई भी शिकायत दर्ज करा सकता है।

मातृत्व लाभ का अधिकार मातृत्व लाभ कामकाजी महिलाओं के लिए सिर्फ सुविधा नहीं बल्कि ये उनका अधिकार है। मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत एक नई मां के प्रसव के बाद 12 सप्ताह(तीन महीने) तक महिला के वेतन में कोई कटौती नहीं की जाती और वो फिर से काम शुरू कर सकती हैं।

कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार भारत के हर नागरिक का ये कर्तव्य है कि वो एक महिला को उसके मूल अधिकार- 'जीने के अधिकार' का अनुभव करने दें, गर्भाधान और प्रसव से पूर्व पहचान करने की तकनीक(लिंग चयन पर रोक) अधिनियम कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार देता है।

WOMENS DAY SPECIAL: ऐसे जाने अपने अधिकार, नहीं होगी कोई महिला हिंसा का शिकार

मुफ्त कानूनी मदद के लिए अधिकार बलात्कार की शिकार हुई किसी भी महिला को मुफ्त कानूनी मदद पाने का पूरा अधिकार है। स्टेशन हाउस आफिसर(SHO) के लिए ये ज़रूरी है कि वो विधिक सेवा प्राधिकरण को वकील की व्यवस्था करने के लिए सूचित करे।

रात में गिरफ्तार न होने का अधिकार एक महिला को सूरज डूबने के बाद और सूरज उगने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, किसी खास मामले में एक प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही ये संभव है।

गरिमा और शालीनता के लिए अधिकार किसी मामले में अगर आरोपी एक महिला है तो, उस पर की जाने वाली कोई भी चिकित्सा जांच प्रक्रिया किसी महिला द्वारा या किसी दूसरी महिला की उपस्थिति में ही की जानी चाहिए।

संपत्ति पर अधिकार हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत नए नियमों के आधार पर पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का बराबर हक है।



\
suman

suman

Next Story