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कभी 250 RS. महीने की सैलरी पर होटल में धोते थे बर्तन, आज है कंपनी के मालिक

Aditya Mishra
Published on: 23 July 2018 2:03 PM GMT
कभी 250 RS. महीने की सैलरी पर होटल में धोते थे बर्तन, आज है कंपनी के मालिक
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झारखंड: कुछ कर गुजरने के लिए जज्बा, जिद और जुनून का होना जरूरी है। यदि ये हैं तो जिंदगी की कहानी को इंसान अपने तरीके से लिख सकता है। घर से रोजगार के लिए निकले सातवीं पास विनोद कुमार को दो जून की रोटी के लिए कभी 250 रुपये महीने की सैलरी पर होटल में बर्तन भी धोने पड़े थे। आज वह अपनी कंपनी के मालिक हैं।

newstrack.com आपको विनोद कुमार की अनटोल्ड स्टोरी के बारे में बता रहा है।

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सातवीं के बाद छोड़ दी पढ़ाई

विनोद कुमार का जन्म झारखंड के कोडरमा अंतर्गत जयनगर में एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था। विनोद ने होश संभाला तब तीन भाई एक बहन और माता-पिता का बोझ सताने लगा।

मां सीता देवी ने भी मजदूरी कर अपने बच्चों को पालने का काम किया। उससे जब अपनी मां का ये का दुख सहन नहीं हो पाया तो उसने सातवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी।

छोटी उम में ही उसके कंधे पर घर की पूरी जिम्मेदारी आ गई। उसने होटल में 250 रुपये रोज पर बर्तन धोने का काम शुरू कर दिया। बदले में 250 रुपये मिलते थे उससे परिवार का खर्च चलता था।

पैसे कमाने के लिए किया ये काम

विनोद के मन में हमेशा से कुछ कर गुजरने का जुनून था। वह लाइफ में खूब सारा पैसा और नाम दोनों ही कमाना चाहता था। लिहाजा वह कुछ बेहतर काम करने के लिए 2004 में दिल्ली निकल गए।

इधर-उधर धक्के खाने के बाद वहां होजरी कंपनी में कुछ साल तक काम किया। इसी दौरान होजरी व्यापार के तरीके, मार्केटिंग आदि की जानकारी प्राप्त की।

कम्पनी के मालिक ने की थी मदद

विनोद दिल्ली में घूमकर कंपनी के लिए मन लगाकर सेल्समैन का काम करते और बेहतर परिणाम देते। धीरे –धीरे इस काम में उन्हें काफी अनुभव हासिल हो गया। इसी आत्मविश्वास ने उन्हें आगे अपने लिए कुछ करने का संबल दिया।

इस बात को विनोद ने अपने मालिक के पास रखा। फिर क्या था, बिना कुछ सोचे ही विनोद की ईमानदारी और लगन से प्रभावित हो उसके मालिक ने उसे दो लाख रुपये का सहयोग किया।

उसने उसी पैसे से इनफैंट वियर के नाम से नवजात बच्चों के कपड़े बनाने का काम शुरू कर दिया। जिसमें बच्चों के नैपकिन के साथ-साथ अन्य बहुत तरह के आइटम शामिल हैं।

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ऐसे बन गये कपड़ा फैक्ट्री के मालिक

विनोद ने बड़े शहरों की थोक मंडी में इन उत्पादों को बेचना शुरू किया। 2010 में जयनगर में ही उसने इनफैंट वियर ब्रांड से अपनी दूसरी ब्रांच खोल दी।

बैंक से लोन लेकर बढि़या मशीनें खरीदी। वह आज जयनगर में किड्स वियर (बच्चों के कपड़े) की अपनी फैक्ट्री चला रहे हैं। सालाना करोड़ों का कारोबार जम चुका है।

आज करीब दो दर्जन से ज्यादा महिला-पुरुषों उनकी पकड़ा बनाने की फैक्ट्री में काम कर रहे है। उनके साथ उनके परिवार के बाकि लोग भी लगे हुए है।

Aditya Mishra

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