TRENDING TAGS :
NaMo टीवी पर विज्ञापनों का खर्च बीजेपी के खाते में जाएगा, मना करने के बाद भी प्रचार जारी
चुनाव आयोग ने NaMo TV पर होने वाले प्रचार का खर्च भाजपा के खाते में जोड़ने का फैसला किया है। एक चुनाव में किसी राजनैतिक दल के खर्च की सीमा तय नहीं है।
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 के पहले चरण के मतदान से दो दिन पहले, 9 अप्रैल की शाम 5 बजे प्रचार का शोर थम गया। अब 20 राज्यों की 91 सीटों पर 11 अप्रैल को मतदान से पहले तक, राजनैतिक दल प्रचार नहीं कर सकेंगे।
NaMo TV नाम के चैनल के जरिए लाखों घरों तक प्रचार होता रहा, उन क्षेत्रों में भी जहां 11 अप्रैल को मतदान होना है। NaMo TV पर मंगलवार शाम 5 बजे के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण लगातार दिखाए जा रहे थे। मंगलवार रात तक चुनाव आयोग ने NaMo TV या डीटीएच ऑपरेटर पर कोई कार्रवाई नहीं थी। यह जन प्रतिनिधि कानून, 1951 की धारा 126 का उल्लंघन है।
ये भी देखें:राफेल डीलः केंद्र सरकार को सुप्रीम झटका, जारी रहेगी सुनवाई
सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग ने NaMo TV पर होने वाले प्रचार का खर्च भाजपा के खाते में जोड़ने का फैसला किया है। एक चुनाव में किसी राजनैतिक दल के खर्च की सीमा तय नहीं है।
आयोग दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के दफ्तर को पत्र लिखकर निर्देश देने जा रहा है कि उसकी मीडिया प्रमाणन और निगरानी आयोग यह जांचे कि NaMo TV पर प्रसारित राजनैतिक कंटेंट की पहले से अनुमति ली गई थी या नहीं। साथ ही यह भी जांचा जाएगा कि चैनल ने चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन तो नहीं किया।
देश के प्रमुख डीटीएच प्लैटफॉर्म्स पर मौजूद इस चैनल को लेकर को चुनाव आयोग ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से जवाब मांगा था। मंत्रालय ने कहा कि यह डीटीएच ऑपरेटर्स द्वारा दी जा रही एक ‘प्लैटफॉर्म सेवा’ है। चैनल हो या प्लैटफॉर्म सेवा, NaMo TV पर मोदी के भाषणों के लगातार प्रसारण से जनप्रतिनिधि कानून का उल्लंघन हो सकता है।
धारा 126 के अनुसार, किसी इलाके में मतदान खत्म होने से 48 घंटे पहले तक किसी तरह के सिनेमैटोग्राफ, टेलीविजन या ऐसे किसी अन्य साधन के जरिए किसी भी तरह की चुनावी सामग्री को प्रदर्शिन नहीं किया जा सकता।
ये भी देखें:इस दिन है रामनवमी, हवन,कन्या पूजन के बाद करें नवरात्र व्रत का समापन
50 वर्षों से भी ज्यादा समय तक चुनाव आयोग के कानूनी सलाहकार रहे एसके मेहंदीरत्ता ने बताया कि चैनल “असल में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के तहत आता है और नहीं चलना चाहिए।” उन्होंने कहा, “मैं सिर्फ यही कह सकता हूं कि (मतदान से पहले) 48 घंटों के भीतर, आपको इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए…. यही कानून है।”