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यूपी माध्यमिक शिक्षा परिषद: दागी केन्द्रों के लिए फिर खेल

raghvendra
Published on: 17 Nov 2017 7:04 AM GMT
यूपी माध्यमिक शिक्षा परिषद: दागी केन्द्रों के लिए फिर खेल
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सुधांशु सक्सेना की रिपोर्ट

लखनऊ: यूपी माध्यमिक शिक्षा परिषद ने बोर्ड परीक्षा 2018 का कार्यक्रम जारी कर दिया है। योगी सरकार की यह पहली बोर्ड परीक्षा है। उपमुख्यमंत्री (जो माध्यमिक शिक्षा विभाग के मुखिया भी हैं) डॉ. दिनेश शर्मा ने ऐलान कर रखा है कि इस बार बोर्ड परीक्षा को हर हाल में पूरी तरह से नकलविहीन बनाया जाएगा। उनके आदेश पर ही इस बार परीक्षा कार्यक्रम जल्दी घोषित किया गया है ताकि बोर्ड परीक्षा में सम्मिलित होने वाले विद्यार्थी तैयारी करके परीक्षा दें और नकल से दूर रहें।

इतना ही नहीं परीक्षा केंद्रों के निर्धारण में भी सख्ती बरतने की बात की जा रही है। ऐसे दावे किए जा रहे हैं कि इस बार अच्छी छवि वाले परीक्षा केंद्रों पर सख्ती और निगरानी के बीच परीक्षा को आयोजन करके इसे नकलविहीन बनाया जाएगा,लेकिन इसके साथ यह भी सच है कि दागी केन्द्रों को फिर परीक्षा केन्द्र बनाने का खेल भी चल रहा है। ऐसे में नकलविहीन परीक्षा को लेकर सवाल खड़े होना लाजिमी है।

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केस 1: दयानंद इंटर कालेज, इंदिरानगर

दयानंद इंटर कालेज को देश की सर्वोच्च परीक्षा कराने वाले संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने अपनी सूची में डिबार कर रखा है। यूपीएससी का मानना है कि इस स्कूल में परीक्षा कराने से परीक्षा की शुचिता पर खतरा उत्पन्न हो सकता है। इसके बावजूद इसे पिछले वर्ष बोर्ड परीक्षा में परीक्षा केंद्र बनाया गया। इसके बाद यहां पर नकल होने की चर्चाएं आम रहीं।

इस बार भी इस स्कूल ने परीक्षा केंद्र बनने के लिए आवेदन किया है जिसके लिए जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के बाबुओं को इस स्कूल की भौतिक स्थिति का जायजा लेकर रिपोर्ट माध्यमिक शिक्षा परिषद को भेजनी है। सूत्रों के अनुसार आलम यह है कि जिस परीक्षा केंद्र को यूपीएससी अपनी परीक्षा के लिए उचित नहीं मानता, उस कालेज को जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के बाबू साठगांठ करके इस बार केंद्र बनाने पर आमादा है।

केस २: एसबीएन इंटर कालेज, नरपतखेड़ा

कालेज के भौतिक सत्यापन रिपोर्ट में कुछ कमियां पाई गई हैं। इसके परीक्षा कक्षों की खिड़कियां बाहरी रोड पर खुलती हैं। इसके चलते परीक्षा देने वाले अभ्यॢथयों को बाहर से मदद किए जाने की संभावना जताई गई। इसके चलते यूपीएससी ने इस स्कूल को भी अपनी सारी परीक्षाओं के लिए बैन कर दिया, लेकिन डीआईओएस कार्यालय के बाबू यहां भी खेल खेलने पर आमादा हैं।

केस 3: आवासीय पब्लिक इंटर कालेज, रायबरेली रोड

इसे 18 जून 2017 की यूपीएससी परीक्षा में दागी करार दिया गया है। यहां प्रश्नपत्रों की जिम्मेदारी संभाल रहे स्टाफ के पास संदिग्ध परिस्थितियों में मोबाइल फोन बरामद हुआ था। कक्ष परीक्षक के पास पहचान पत्र नहीं था। कुछ लोग शिक्षक के तौर पर डयूटी करते मिले थे, जो वास्तव में जुगाड़ से बाहर से लाए गए बेरोजगार लोग थे। सचल दस्ते ने कई को संदिग्ध मानकर डयूटी करने से रोका था।

कई परीक्षकों को उनके लापरवाह रवैये को लेकर टोका भी गया था। इसके साथ ही यहंा पर शौचालय, पेयजल और सुरक्षा मानकों सहित जनसुविधाओं का टोटा पाया गया था। इस स्कूल ने परीक्षा केंद्र बनने के लिए आवेदन किया है। डीआईओएस कार्यालय के सूत्रों की मानें तो इन कमियों का तोड़ निकालने की कोशिश की जा रही है ताकि इस कॉलेज को दुबारा परीक्षा केंद्र बनाया जा सके।

केस 4: प्रियदर्शनी इंटर कालेज, साउथ सिटी

यह स्कूल मुख्य सडक़ मार्ग से काफी अंदर संचालित हो रहा है। यहां भी सुविधाओं का टोटा है। मानक के हिसाब से कई कमियां हैं। इसे सेंटर बनाए जाने पर संघ लोक सेवा आयोग,एसएससी समेत कई आयोग सवाल उठा चुके हैं। डीआईओएस कार्यालय के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शिक्षा विभाग के उच्च पद से सेवानिवृत्त एक अधिकारी के इशारे पर इसे परीक्षा केंद्रों की सूची में येन केन प्रकारेण शामिल कर लिया जाता है।

केस 5: एस आर मेमोरियल इंटर कालेज

यह स्कूल मुख्य मार्ग से बहुत अंदर है। एक टूटी फूटी सडक़ इसे मुख्य मार्ग से जोड़ती है। सचल दस्ते के अधिकारियों को इस स्कूल को ढूंढने में ही बहुत परेशानी होती है। इसके बाद अगर कहीं बारिश हो जाए तो पैदल ही मुख्य मार्ग से इस स्कूल तक पहुंचा जा सकता है। यहाँ मानकों की कमी है। यहाँ पर शौचालय, पेयजल, फर्नीचर आदि जनसुविधाओं का भी टोटा है। यूपीएससी ने इसे भी अपनी परीक्षाओं के लिए उपयुक्त नहीं माना है।

ये स्कूल तो महज बानगी भर हैं। पूरे प्रदेश में सैंकड़ों ऐसे स्कूल हैं जहां न तो जनसुविधाएं हैं और न सुरक्षा के इंतजाम। इन स्कूलों में प्रतियोगी परीक्षाओं से लेकर बोर्ड परीक्षाओं तक में नकल होते पकड़ी गई। मुकदमे भी दर्ज किए गए, लेकिन हर बार ये जुगाड़ भिड़ाकर परीक्षा केंद्र बन जाते हैं।

घूसखोरी प्रकरण की जांच का आदेश

डीएम कार्यालय के एक कर्मचारी ने बताया कि संघ लोक सेवा आयोग का 18 जून 2017 को सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा का पेपर था। उस पेपर को लेकर संघ लोक सेवा आयोग ने एक रिपोर्ट लखनऊ के जिला प्रशासन को भेजी है। इसमें कहा गया है कि 18 जून 2017 को राजधानी में हुई सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2017 में राजधानी के कई ऐसे स्कूलों को परीक्षा केंद्र बना दिया गया था जहां परीक्षा की शुचिता को भंग करने वाली घोर अनियमितताएं पाई गईं।

इसके साथ ही संघ लोक सेवा आयोग ने जिला प्रशासन से कहा कि भविष्य में इन विद्यालयों को किसी भी परीक्षा के लिए परीक्षा केंद्र न बनाया जाए। इसके बावजूद इन स्कूलों को उत्तर प्रदेश पात्रता परीक्षा में भी केंद्र बनाया गया था। इस मामले में तैयार गोपनीय रिपोर्ट में डीआईओएस कार्यालय के एक घूसखोर बाबू की भूमिका की जांच करने को कहा गया है।

केन्द्र बनाने में सावधानी बरतें: डीएम

डीएम कौशल राज शर्मा ने बताया कि संघ लोक सेवा आयोग ने राजधानी के कई स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाने पर कड़ी आपत्ति जताई है। इसके लिए डीआईओएस डॉ. मुकेश कुमार सिंह को भविष्य की सभी प्रतियोगी और बोर्ड परीक्षाओं में सावधानी से अपने सुपरविजन में परीक्षा केंद्र बनाने को कहा गया है। इसके साथ ही बाबुओं की भूमिका पर भी ध्यान देने को कहा गया है।

डीआईओएस डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि बोर्ड परीक्षा से लेकर सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया को सावधानीपूर्वक भौतिक सत्यापन के बाद ही पूरा किया जा रहा है। केंद्र निर्धारण में किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं होने दी जाएगी। हमारी प्राथमिकता है कि नकलविहीन परीक्षाएं संपादित हों। केन्द्र निर्धारण में इस बात का ध्यान रखा जा रहा है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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