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पांच दशकों से चली आ रही शगुन की परंपरा को सोनिया ने भी निभाया

हवन में आहुति दी, शगुन लिया और आशीर्वाद की कामना के साथ नामांकन के लिए निकली। पांच दशक से चली आ रही परम्परा काे सोनिया गांधी ने गुरुवार को भी निभाया। इस बार भी कभी केंद्रीय कार्यालय के मुखिया रहे गया प्रसाद शुक्ल की बहू प्रीति शुक्ला ने शगुन देने की परंपरा निभाई। हमेशा की भांति इस बार भी उन्होंने प्रियंका और सोनिया को शगुन के रूप में अक्षत और नारियल भेंट किये। हालांकि केंद्रीय कार्यालय अब केवल नाममात्र का है और 2004 के बाद से यहां गांधी परिवार केवल नामांकन के दौरान ही आता है।

Dhananjay Singh
Published on: 11 April 2019 2:06 PM GMT
पांच दशकों से चली आ रही शगुन की परंपरा को सोनिया ने भी निभाया
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धनंजय सिंह

लखनऊ: हवन में आहुति दी, शगुन लिया और आशीर्वाद की कामना के साथ नामांकन के लिए निकली। पांच दशक से चली आ रही परम्परा काे सोनिया गांधी ने गुरुवार को भी निभाया। इस बार भी कभी केंद्रीय कार्यालय के मुखिया रहे गया प्रसाद शुक्ल की बहू प्रीति शुक्ला ने शगुन देने की परंपरा निभाई। हमेशा की भांति इस बार भी उन्होंने प्रियंका और सोनिया को शगुन के रूप में अक्षत और नारियल भेंट किये। हालांकि केंद्रीय कार्यालय अब केवल नाममात्र का है और 2004 के बाद से यहां गांधी परिवार केवल नामांकन के दौरान ही आता है।

नामांकन से पहले गया प्रसाद शुक्ल की बहू प्रीति ने अक्षत और नारियल किया भेंट

केंद्रीय कार्यालय की व्यवस्था देख रहे बुजुर्ग जगदीश शुक्ल बताते हैं कि पहली बार 1967 के अपने पहले चुनाव में इंदिरा गांधी ने हवन पूजन के बाद अपना नामंकन किया था, उसके बाद शीला कौल, कैप्टन सतीश शर्मा और अब सोनिया गांधी इस परंपरा को निभा रही हैं।

2004 से ही सोनिया गांधी के इस कार्यालय पर हवन पूजन कराने वाले पंडित राधेश्याम दीक्षित का कहना है कि प्रत्येक चुनाव के पहले वह यहां पूजा पाठ कराते हैं। इस बार भी विशेष पूजा की गई, जिसमें सोनिया और प्रियंका सहित सभी ने हवन में आहुति दी और बाद में सभी को कलावा बांधा गया। हर चुनाव की तरह इस बार भी इस कार्यालय में काफी गहमागहमी रही लेकिन कभी रायबरेली में कांग्रेस का गढ़ रहे इस कार्यालय में अब सन्नाटा ही रहता है।

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पांच साल तक इसमें न तो पार्टी नेताओं और न ही गांधी परिवार के किसी सदस्य का आना जाना रहता है। कभी प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के लिए महत्वपूर्ण रहे इस कार्यालय की दशा अब खराब है लेकिन चुनाव के बहाने ही सही एक बार फिर यह कार्यालय चर्चा में है।

Dhananjay Singh

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