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लोकतान्त्रिक व्यवस्था: कैसे-कैसे दल, तरह-तरह के सिम्बल!

raghvendra
Published on: 5 April 2019 6:06 PM IST
लोकतान्त्रिक व्यवस्था: कैसे-कैसे दल, तरह-तरह के सिम्बल!
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लखनऊ: दुनिया के सबसे बड़ी लोकतान्त्रिक व्यवस्था वाले देश में सबको अपनी बात कहने और चुनावी पर्व में हिस्सा लेने के अधिकार के कारण ही राजनीतिक दलों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। यूपी में राजनीतिक दलों की संख्या सबसे अधिक है जिसमें पूर्वांचल का क्षेत्र काफी आगे है। दिलचस्प बात यह है कि पहले से स्थापित दलों के मिलते जुलते नाम वाले दल भी है। तो ऐसे दल भी हैं जिनका जनाधार एक मोहल्ले तक भी सीमित है।

देश में राष्ट्रीय दलों के अलावा राज्य स्तरीय और पंजीकृत/ गैर मान्यता प्राप्त दलों की संख्या 2293 है। इसमें सबसे ज्यादा राजनीतिक दलों की संख्या यूपी में है। बहुजन समाज पार्टी एक राष्ट्रीय दल है लेकिन इस दल से मिलते जुलते नामों के भी कई दल हैं। बहुजन बल पार्टी, बहुजन किसान दल, बहुजन क्रांति पार्टी (माकर््सवाद- अम्बेडकरवाद), बहुजन मुक्ति पार्टी, बहुजन समाज विकास पार्टी, बहुजन सेना, बहुजन पार्टी, बहुजन उदय मंच, बहुजन उत्थान पार्टी, बहुजन विजय पार्टी, भारतीय बहुजन पार्टी, भारतीय बहुजन समता पार्टी, वाम पार्टी और आजाद समाज पार्टी भी है।

अगर राज्य स्तरीय दल राष्ट्रीय लोकदल है तो लोकदल भी और आदर्श लोकदल भी है। अखिल भारतीय गरीब पार्टी है तो अखिल भारतीय मानव सेवा दल भी है और अखिल भारतीय जनता सहारा पार्टी भी है। अनारक्षित समाज पार्टी है तो अंजान आदमी पार्टी भी है। नेशनल कांग्रेस पार्टी भले ही पूरे देश में चुनाव लड़ रही हो लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय स्वर्ण कांग्रेस पार्टी और राष्ट्रीय कांग्रेस (जे) पार्टी भी है। इन दोनों दलों का मुख्यालय मुरादाबाद में है। कभी भारतीय जनसंघ का बड़ा दल हुआ करता था लेकिन चुनाव आयोग में राष्ट्रीय जनसंघ के नाम से प्रदेश स्तरीय दल रजिस्टर्ड है। राष्ट्रीय समता पार्टी अगर बिहार का बड़ा दल कहा जाता है तो यूपी में राष्ट्रीय समता विकास पार्टी और समता दल (प्रगतिशील) है। समाजवादी क्रांति दल और समाजवादी समाज पार्टी जैसे गैरमान्यता प्राप्त दल हैं। इसी तरह अपना दल, अपना दल सोनेलाल, अपनी जिन्दगी अपना दल, अपना दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय अपना दल और हाल ही में अखिल भारतीय अपना दल की घोषणा की जा चुकी है। पिछड़ों और दलितों के नाम पर भी कई नेताओं ने अपने दलों के रजिस्ट्रेशन करा रखे हैं जिनमें अति पिछड़ा वर्ग महासंघ, अति पिछड़ा जनदल के अलावा कई अन्य दल भी है।

अब ‘आदर्श’ शब्द पता नहीं कितना प्रिय है कि आदर्श जनहित पार्टी, आदर्शवादी कांग्रेस पार्टी, आदर्श लोकदल, आदर्श मानवतावादी पार्टी, आदर्श राष्ट्रीय विकास पार्टी, आदर्श व्यवस्था पार्टी, आदर्शवादी दल, आदर्शवादी पार्टी (लोकतान्त्रिक), भी बन चुकी हैं। इस तरह के दल दूसरे राज्यों में भी चल रहे हैं।

आजमगढ़ की एक पार्टी है जिसने अपना नाम ही ‘बेस्ट पार्टी’ रखकर सबको किनारे कर दिया है। ऐसे ही एक दल है ‘भारत जन पार्टी’ जिसका मुख्यालय गाजियाबाद में है। एक दल ऐसा भी है जिसका भले ही कोई विधायक न हो लेकिन दल का नाम ‘विधायक दल’ है।

भारत और भारतीय नाम से एक दर्जन से अधिक दल यूपी में रजिस्टर्ड हैं। भारतीय भाईचारा पार्टी है तो भारतीय ईमानदार पार्टी भी है। एक पार्टी है ‘भ्रष्टाचार का अंत पार्टी’ जिसका मुख्यालय कानपुर में है तो एक और दल है जिसका नाम ‘गद्दार पार्टी’ है और इसका मुख्यालय प्रतापगढ़ में है। एक दल का नाम ‘हाईटेक पार्टी’ है तो एक पार्टी का नाम ‘हम सबकी पार्टी’ भी है। बिजनौर में किसी ने अपनी पार्टी का नाम ही ‘कठोर शासन पार्टी’ के नाम से रजिस्टर्ड करा रखा है। यही नहीं, एक पार्टी का नाम ‘साफ पार्टी’ भी है

आज तक भले ही बुंदेलखण्ड क्षेत्र का विकास न हो पाया हो लेकिन यहां राजनीतिक दलों की खेती खूब लहलहाई है। बुंदेलखण्ड के नाम पर बुंदेखण्ड कांग्रेस, बुंदेलखण्ड क्रांति दल, बुंदेलखण्ड मुक्तिमोर्चा नाम के दल चल है। किसान और मजदूरों के देश में उनके नाम पर दलों की कमी नहीं है जैसे-किसान क्रांति दल, किसान मजदूर बेरोजगार संघ, किसान मजदूर प्रजा पार्टी, किसान मजदूर प्रजा पार्टी, किसान मजदूर सुरक्षा पार्टी, किसान व्यवसायी मजदूर पार्टी और किसान मजदूर संघर्ष पार्टी। बढ़ते दलों की संख्या के कारण ही चुनाव आयोग के सामने उन्हें सिम्बल एलाट करने की भी बड़ी चुनौती है। यही कारण है कि बेबी वाकर बिस्कुट, केक, ड्रिल मशीन, गैस का चूल्हा, फोन चार्जर, तकिया, सेफ्टी पिन, टूथपेस्ट, टूथब्रश चप्पल, जूता, मोजा, पे्रशर कुकर, माचिस आदि एलाट करता है।

देश में राष्ट्रीय पार्टियों में आल इंडिया तृणमूल कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया, कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया (माक्र्सवादी), इंडियन नेशनल कांग्रेस के साथ ही नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी हैं। जबकि राज्य स्तरीय पार्टियों में आन्ध्रप्रदेश में तीन, अरुणाचल प्रदेश में एक, असम में तीन, बिहार में चार, गोवा में तीन झारखण्ड में चार, कर्नाटक में एक केरला में चार, महाराष्ट्र में दो मणिपुर में तीन, मेघालय में तीन, मिजोरम में तीन नगालैण्ड में एक दिल्ली मेें एक, उड़ीसा में एक, पुडुचेरी में चार, पंजाब में दो, सिक्किम में 2, तमिलनाडु में तीन, तेलंगाना में चार, पश्चिम बंगाल में दो, तथा उत्तर प्रदेश में दो दलों (राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी) को ही यह दर्जा हासिल है।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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