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इस राइटर की रचना पर बनीं अंगूर से लेकर हैदर तक कई फिल्में
Vinod Kapoor
लखनऊ: अंग्रेजी के अब तक के सबसे बड़े साहित्यकार विलियम शेक्सपियर के निधन के पूरे 400 साल पूरे हो गए। उनका निधन जन्म 23अप्रैल 1616 को हुआ। शेक्सपियर को हिन्दुस्तान में भले ही 10 प्रतिशत लोगों ने नहीं पढ़ा हो या उनका नाम नहीं सुना हो, लेकिन उनके नाटकों पर बनी फिल्में न केवल चर्चित हुईं, बल्कि उसे पूरी सराहना भी मिली।
मैकबेथ पर फिल्म
शेक्सपियर के नाटकों पर अंग्रेजी में फिल्मों का बनना कोई बड़ी बात नहीं मानी जाती, लेकिन हिन्दी में बनना इस बात का प्रमाण है कि निर्माताओं के जेहन में वह अभी तक मौजूद हैं। शेक्सपियर के नाटक पर फिल्म में अभिनय का पहला संदर्भ अप्रैल 1611 का है जब हॉलीवुड निर्माता साइमन ने मैकबेथ पर उसी नाम से फिल्म बनायी। मैकबेथ एक शोकांत नाटक है।
शेक्सपियर के नाटक ओथेलो, किंगलियर, हेमलेट, रोमियो जुलियट, कॉमेडी ऑफ एरर, द मर्चेंट ऑफ बेनिस पर अंग्रेजी में कई फिल्में बनीं और खूब चलीं। खासकर रोमियो जुलियट पर तो अंग्रेजी फिल्मों की बाढ़ सी आ गयी।
हिंदी में पहली बार
निर्माता और कलाकार किशोर साहू ने 1940 में शेक्सपीयर के नाटक हेमलेट को पहली बार हिन्दी फिल्म में पर्दे पर उतारा। उन्होंने इसी नाम से फिल्म का निर्माण किया, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल सकी।
कॉमेडी ऑफ एरर
आंधी, माचिस और हुतूतू जैसी फिल्में देने वाले गुलजार 1990 के दशक में शेक्सपियर के नाटक 'कामेडी आफ एरर' को अंगूर नाम से पर्दे पर लेकर आए। संजीव कुमार, देवेन वर्मा और मौसमी चटर्जी के अभिनय और प्रस्तुतिकरण के कारण फिल्म बहुत सफल साबित हुई। दोनों कलाकार की दोहरी भूमिका के कारण हास्य के ऐसे प्रसंग पैदा हुए जिसने दर्शकों को हंसने पर विवश किया। हंसना भी विवशता होती है इसे अंगूर ने साबित किया।
अब गुलजार के अंगूर के रीमेक पर हिन्दी के दो बडे निर्माता रोहित शेट्टी और साजिद खान आमने सामने हैँ। दोनों इसका रीमेक बनाना चाहते हैं। झगडा इस बात का कि इसे पहले कौन बनाए।
विशाल भारद्वाज
निर्माता निर्देशक और गीतकार विशाल भारद्वाज शेक्सपियर से काफी प्रभावित हैं। वह अब तक उनके नाटकों पर बनी चार सफल फिल्में ला चुके हैं। विशाल ने नाटक मैकबेथ पर मकबूल फिल्म बनायी जो अपने प्रस्तुतिकरण के अलावा पंकज कपूर, तब्बू तथा इरफान खान जैसे मंजे कलाकरों के अभिनय के कारण चर्चा में रही।
विलियम शेक्सपियर
विशाल ने नाटक हेमलेट पर आधारित हैदर का निर्माण किया। शाहिद कपूर, तब्बू, इरफान खान तथा के के मेनन के शानदार अभिनय तथा कश्मीर की पृष्ठभूमि के कारण इसे नौवें रोम फिल्म महोत्सव में पीपुल्स चायस अवार्ड दिया गया।
विशाल भारद्वाज नाटक ओथेलो को ओमकारा के नाम से पर्दे पर लेकर आये। उत्तर प्रदेश की पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म में अपराधी और ठग बंदूक से राज करते हैं। विशाल ने यहीं की भाषा तथा तौरतरीके को अपनाते हुए फिल्म को स्थानीय रुप दिया। एक साधारण प्रेम कहानी से एक चौंकाने वाला दुखद अन्त भयानक प्रभाव उत्पन्न करता है।
अंग्रेजी में तो शेक्सपियर के एक नाटक पर कई कई फिल्म बनी। हालीवुड तथा ब्रिटेन के निर्माता खासकर रोमियो जुलियट से ज्यादा प्रभावित नजर आये। नाटक रोमियो जुलियट के नाम से तो फिल्म बनी ही। इसके अलावा इस नाटक पर आधारित ‘रोमियो मस्ट डाई ‘स्काटलैंड पीए, वेस्ट साईड स्टोरी भी सामने आयी। इनमें रोमियो जुलियट सबसे ज्यादा चर्चित हुई।
हेमलेट- ओथेलो
इसके अलावा नाटक ओथेलो पर 1947 में ए डबल लाइफ, 1962 में आल नाईट लांग, 1974 में कैच माई सायल बनी। नाटक किंग लियर पर 1997 में ए थाउजंग आर्क तथा 2002 में किंग आफ टेक्सास बनी जिसे काफी सराहना मिली।
हेमलेट पर 1999 में लेट द डेबिल ब्लैक बनी तो इसी नाटक पर आधारित स्ट्रेंज ब्रुई का निर्माण 1983 में किया गया।
शेक्सपियर से प्रभावित निर्माता निर्देशक विशाल भारद्वाज कहते हैं कि किसी नाटक या उपन्यास को सिनेमा के पर्दे पर उतारना मुश्किल काम माना जाता है। खासकर शेक्सपियर के नाटकों के मामले में तो यह और भी कठिन है क्योंकि इसमें समय की सीमा होती है और उसका ध्यान रखना होता है।
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