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कोरोना संकट: महिला नेताओं ने दिखाई दुनिया को राह, इस कारण मिली जंग में कामयाबी
पूरी दुनिया इन दिनों कोरोना संकट से जूझ रही है और विभिन्न देशों के नेता इस संकट से बाहर निकलने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। दुनिया भर में गहराते संकट के बीच सात देशों की महिला नेताओं ने अपने नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाया है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: पूरी दुनिया इन दिनों कोरोना संकट से जूझ रही है और विभिन्न देशों के नेता इस संकट से बाहर निकलने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। दुनिया भर में गहराते संकट के बीच सात देशों की महिला नेताओं ने अपने नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाया है। न्यूजीलैंड, ताइवान, जर्मनी, नार्वे, आईसलैंड, फिनलैंड और डेनमार्क की महिला नेताओं ने कड़े फैसले लेकर कोरोना से जंग में काफी हद तक कामयाबी पाई है। ऐसे समय जब बड़े-बड़े देश अपने यहां कोरोना संकट की तबाही को नहीं रोक पा रहे हैं, इन महिला नेताओं ने कोरोना संकट से निपटने की सीख दी है।
दिखाया मुसीबत से लड़ने का जज्बा
इन महिला नेताओं ने लॉकडाउन के सख्ती से अनुपालन, स्वास्थ्य तंत्र के बेहतर इस्तेमाल, ज्यादा टेस्टिंग और बेहतर तैयारियों के जरिए इस बात को साबित किया है कि अगर मुसीबत से लड़ने का जज्बा हो तो उससे पार पाना कठिन नहीं होता। यही कारण है कि इन देशों में कोरोना से मरने वालों की संख्या काफी कम है और लोगों की जिंदगी फिर से पटरी पर लौटने लगी है। जानकारों का कहना है कि इन महिला नेताओं ने साबित किया है कि वे पुरुष नेताओं से किसी मायने में कम नहीं है। जानकारों का कहना है कि टेस्टिंग और मृत्यु दर में अच्छे प्रदर्शन करने वाले शीर्ष 10 देशों में सात देशों का नेतृत्व महिलाओं के हाथों में है।
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बेहतर नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन
फिनलैंड की 34 वर्षीय प्रधानमंत्री सना मरीन ने बेहतर तैयारियों और सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाकर कोरोना संकट से मौतों का आंकड़ा नहीं बढ़ने दिया। डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने लॉकडाउन का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित किया और लोगों को मुसीबत से बाहर निकालने के लिए काफी पहले ही आर्थिक पैकेज की घोषणा कर दी। नार्वे कई नेता एर्ना सोलबर्ग ने नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन करते हुए निजी और संस्कारी संस्थानों को समय से बंद करा दिया और देश के बच्चों से सीधी बातचीत की।
इस कारण मिली जंग में कामयाबी
जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने ज्यादा टेस्टिंग, प्रांतीय सरकारों के साथ अच्छे तालमेल व बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए कोरोना वायरस से जंग जीतने में काफी हद तक कामयाबी पाई है। ताइवान की राष्ट्रपति साईं इंग वेन ने कोरोना संकट के दिनों में गजब के नेतृत्व क्षमता की नजीर पेश की है। चीन से ही कोरोना वायरस की शुरुआत मानी जा रही है मगर ताइवान में इस वायरस का संक्रमण नहीं फैल सका। वेन ने कोरोना की तेज जांच, कांटेक्ट ट्रेसिंग और आइसोलेशन के दम पर इस वायरस को देश में फैलने ही नहीं दिया। उनके नेतृत्व की दुनिया भर में प्रशंसा की जा रही है।
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जनवरी से ही शुरू कर दी टेस्टिंग
न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने भी कोरोना वायरस से निपटने में नेतृत्व क्षमता का बेहतर उदाहरण पेश किया है। उन्होंने 25 मार्च को ही पूरे देश में लॉकडाउन लगाकर लोगों को कोरोना के खतरों से अवगत कराया और जागरूकता अभियान चलाकर इस संकट से निजात पाने में कामयाबी हासिल की। आइसलैंड की प्रधानमंत्री कैटरीन ने जनवरी से ही इस वायरस की व्यापक टेस्टिंग शुरू कर दी थी। उस समय दुनिया के तमाम बड़े देश इस वायरस के खतरे को भांप भी नहीं पाए थे। कैटरीन के इस कदम से आइसलैंड ने इस महामारी पर काबू पाने में कामयाबी हासिल की।
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महिला नेताओं ने दी महत्वपूर्ण सीख
विशेषज्ञों का कहना है कि इन महिला नेताओं की सफलता ने अन्य देशों को वर्तमान और भविष्य में पैदा होने वाले किसी संकट से निपटने के लिए महत्वपूर्ण सीख दी है। इन महिला नेताओं ने बेहतर फैसलों के जरिए यह साबित किया है कि जरूरत पड़ने पर सख्त फैसले लेकर किसी संकट पर विजय हासिल की जा सकती है। अमेरिका जैसा ताकतवर देश इस संकट के खिलाफ कोई प्रभावी नीति नहीं बना सका और कोरोना का ज्यादा का कहर इसी देश में दिख रहा है। ऐसे में इन महिला नेताओं ने अपनी नेतृत्व क्षमता से दुनिया का दिल जीता है।