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'माइक्रो ATM' के जरिए कारीगरों को मिली SALARY, खुले नोटों के झंझट से मिला छुटकारा

कर्मचारी कारीगर राज कुमार ने बताया की नोट बन्द होने के बाद से तनख्वाह मिलने और घर खर्च की दिक्कतें आ रही थी पर अब इस तरह हमारे खाते भी हो गए और नए नोट भी मिल गए। इससे सभी कर्मचारी खुश हैं।

priyankajoshi
Published on: 2 Dec 2016 6:45 AM GMT
माइक्रो ATM के जरिए कारीगरों को मिली SALARY, खुले नोटों के झंझट से मिला छुटकारा
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आगरा: नोटबंदी के बाद से जूता उद्योग में जारी तनख्वाह की परेशाबी से अब लोगों को आराम मिलने लगा है। गुरुवार को पहली बार फैक्ट्री में जूता कारीगरों को 'माइक्रो एटीएम' से तनख्वाह बांटी गई।

आगरा के EPIP (एक्सपोर्ट प्रमोशन इंडस्ट्रियल पार्क) स्थित ओम एक्सपोर्टर्स प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री में करीब 1,200 कारीगरों को माइक्रो एटीएम की मदद से नए नोट तनख्वाह के तौर पर बांटी गई। नोटों की किल्लत के समय नए नोटों में तनख्वाह मिलने से कारीगर खुश हैं।फैक्ट्री मालिक भी मजदूरों की परेशानियां दूर होने पर चैन की सांस ली।

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क्या है माइक्रो एटीएम

-बैंक ऑफ़ इंडिया ने सैलरी सहित अन्य पेमेंट के लिए माइक्रो एटीएम की सुविधा शुरू की है। यह बिलकुल स्वाइप मशीन की तरह है।

-यह लैपटॉप से अटैच होकर काम करती है।

-तनख्वाह बांटने के लिए व्यक्ति पहले बैंक को पेमेंट देता है फिर बैंक निर्धारित लिस्ट के लोगों के खाते में पैसा भेज देता है।

-निर्धारित समय पर कार्यस्थल पर बैंक कर्मी माइक्रो एटीएम मशीन लेकर आते हैं और कर्मचारी मशीन में एटीएम स्वैप कर अंगूठे का निशान मशीन पर देता है और बैंककर्मी उसे पैसे देता है।

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क्या कहते हैं फैक्ट्री मालिक?

ओम एक्सपोर्टर्स के मालिक रवि सहगल ने बताया की हमें हफ्ते में एक बार कारीगरों को तनख्वाह देनी होती है। नोटबंदी के बाद कारीगरों को बहुत दिक्कतें हो रही थी। हमने पहले बिग बाजार और बेस्ट प्राइस से 1 हजार रुपए के कूपन मंगवाए और कारीगरों को दिए। पर वहां ब्रांडेड प्रोडक्ट ही मिलने के कारण कारीगरों को महंगा लगा। साथ ही 1 हजार रुपए का पूरा सामन लेने की बंदिश भी थी। फिर हमने फैक्ट्री में ही एक परचून की दुकान शुरू की पर यहां भी दिक्कतें आ रही थी। तभी बैंक ऑफ इंडिया (BOI) के स्टाफ से बात हुई तो यह उपाय मिला। अब कारीगर खुश हैं।

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मशीन से क्या हैं फायदे

माइक्रो एटीएम के इस्तेमाल के बारे में BOI के एजीएम विजय वर्मा ने बताया की इसके इस्तेमाल के लिए बैंक खाता जरूरी था। हमने नया काम किया कि जिनके खाते हैं वो तो ठीक है और जिनके नही हैं उनके बिना चार्ज के तुरन्त खाता खोले गए। यही नहीं दस मिनट में खाता और एटीएम दोनों चालू कर उसी के खाते से तनख्वाह निकाल कर दे दी गई। इस तरह से आगे तनख्वाह देना भी आसान हो जाएगा और कारीगर अपनी आवश्यकता का पैसा ही निकालेगा। साथ ही एटीएम पर कारीगर का एक लाख का मुफ़्त इनश्योरेन्स और PayTM की चिल्लर सुविधा भी एक्टिवेट है। अभी शुरुआत में हम हफ्ते में तीन बार फैक्ट्री आया करेंगे।

कर्मचारियों में ख़ुशी की लहर

कर्मचारी कारीगर राजकुमार ने बताया की नोटबंदी के बाद से तनख्वाह मिलने और घर खर्च की दिक्कतें आ रही थीं। पर अब हमारे खाते भी खुल गए हैं और नए नोट भी मिल गए। इससे सभी कर्मचारी खुश हैं।

पहली बार हुआ प्रयोग

फैक्ट्री मालिक जूता व्यवसायी रवि सहगल का कहना है कि 'इस मशीन का इस्तेमाल कर तनख्वाह देने वाले पहले व्यवसायी हम ही हैं। मैं चाहता हूं सभी इसका इस्तेमाल करें।

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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