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सरकार के एंटी रोमियो अभियान को HC ने सही ठहराया, कहा- ये प्रिवेंटिव पुलिसिंग है
लखनऊ: हाईकोर्ट बेंच ने महिलाओं से छेड़खानी की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए गठित 'एंटी रोमियो पुलिस स्क्वॉड' के गठन पर मुहर लगा दी है। कोर्ट ने कहा, कि इसमें कोई कानूनी या संवैधानिक अवरोध नहीं है। कोर्ट ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए तमिलनाडु और गोवा की तर्ज पर यूपी में भी कानून बनाने को कहा है।
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यह आदेश जस्टिस एपी साही और जस्टिस संजय हरकौली की बेंच ने वकील गौरव गुप्ता की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने सादे कपड़ों में पुलिस द्वारा कई जगह छापेमारी कर महिलाओं से छेडख़ानी करने वाले शोहदों का वीडियो बनाने और इसे मीडिया और सोशल मीडिया पर वायरल करने में कोई गलती नहीं पाई।
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ख़ारिज की रोक की याचिका
कोर्ट ने ऐसे पुलिस दलों के जरिए कार्यवाही पर रोक की याची की मांग सिरे से ख़ारिज कर दी। कहा, कि 'वास्तव में यह मॉरल पुलिसिंग नहीं, बल्कि प्रिवेंटिव पुलिसिंग यानी ऐसी पुलिसिंग है, जिसका काम महिलाओं के खिलाफ सरेआम छेड़खानी को होने से पहले से रोकना है।'
आगे की स्लाइड में पढ़ें जब एसएसपी मंजिल सैनी को कोर्ट ने तलब किया ...
क्या था याचिका में?
याचिका में कहा गया था कि एंटी रोमियो स्क्वॉड के जरिए पुलिस लोगों की निजता भंग कर रही है। साथ ही नौजवान जोड़ों को परेशान कर रही है। याची ने पुलिस दल का नामकरण एंटी रोमियो स्क्वॉड करने पर भी एतराज जताया था।
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मंजिल सैनी हुईं कोर्ट में हाजिर
हाईकोर्ट ने सुनवाई करते समय सरकार के खिलाफ सख्त रुख अपनाया और लखनऊ की एसएसपी मंजिल सैनी को दोपहर 2 बजे तलब किया। कहा, कि वह बताएं कि किस नियम-कानून के तहत इस प्रकार के स्क्वॉड का गठन किया गया है और किस नियम के तहत पुलिस वाले सादी वर्दी में छापेमारी कर रहे हैं। मंजिल सैनी निश्चित समय पर कोर्ट में हाजिर हुईं और बताया कि यह काम सीआरपीसी, आइपीसी पुलिस एक्ट और पुलिस रेगुलेशन के प्राविधानों के तहत बिल्कुल कानूनी है। उन्होंने डीजीपी के दिशानिर्देश और स्वयं की ओर से जारी ऑफिस मेमोरेंडम को भी कोर्ट में पेश किया। इसमें साफ कहा गया था कि किसी पर किसी प्रकार की ज्यादती न होने पाए।
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