यूपी में अब तक चली आ रही परंपरा को अखिलेश सरकार ने भी नहीं तोड़ा, ​जानिए क्या ?

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Published on: 8 Oct 2016 9:56 AM GMT

लखनऊ। प्रदेश की सत्ता में आने के बाद नयी सरकार अपने घोषणापत्र के मुताबिक जनोपयोगी योजनाएं बनाती है। अखिलेश सरकार ने भी इस परम्परा को कायम रखा है। वर्ष 2017—18 के बजट की तैयारियों में यह दिख भी रहा है।

प्रमुख सचिव वित्त अनूप चन्द्र पाण्डेय ने इस सिलसिले में सभी विभागों को आदेश भी जारी कर दिया है। इसके मुताबिक वर्ष 2016—17 के बजट से अलग अगले वित्तीय वर्ष के सिर्फ एक भाग के लिए लेखानुदान मांगा गया है।

इनके लिए मांगा गया लेखानुदान

यानि की कर्मचारियों के वेतन भत्ते, कार्यालय प्रबंधन व्यय, पेंशन, राज्य सरकार के लिए गए ऋण पर ब्याज का भुगतान और अनुरक्षण कार्यों के लिए ही विभागों से लेखानुदान मांगा गया है। ताकि नयी सरकार के गठन के कुछ महीनों तक बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जा सके। इसका ब्यौरा 31 अक्टूबर तक सभी विभागों को उपलब्ध कराने को कहा गया है।

अब तक रही है यह परम्परा

जानकारों के मुताबिक यूपी में अब तक सरकार चुनाव के अंतिम वर्ष में नये वर्ष के लिए बजट नहीं लाती है। माना जाता है कि यह अगली गठित होने वाली सरकार पर निर्भर करता है कि वह अपने कार्यकाल में किन जनोपयोगी कामों पर फोकस करती है। इसको देखते हुए सिर्फ अगले वित्तीय वर्ष के एक भाग के लिए लेखानुदान प्रस्तुत किया जाता है।

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