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Nagaland : नागालैंड में शांति के लिए सब दल सरकार में, विपक्ष खत्म
Nagaland : नागालैंड (Nagaland) दूसरी बार देश का पहला विपक्ष-मुक्त राज्य (opposition-free state) बन गया है।
Nagaland : नागालैंड (Nagaland) दूसरी बार देश का पहला विपक्ष-मुक्त राज्य (opposition-free state) बन गया है। राज्य में शांति के लिए सभी राजनीतिक दलों ने मिल कर सरकार बनाई है सो अब विपक्ष में कोई बचा ही नहीं है।
नागालैंड में सत्तारूढ़ पीपल्स डेमोक्रेटिक एलायंस (पीडीए) और मुख्य विपक्षी पार्टी नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने सर्वदलीय सरकार- नागालैंड यूनाइटेड गवर्नमेंट की स्थापना के लिए एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं। इन दलों का कहना है कि नागा राजनीतिक समस्या के स्थायी शांतिपूर्ण समाधान के लिए उन्होंने आपसी प्रतिद्वन्द्विता को भुला कर हाथ मिलाने का फैसला किया है।
एनपीएफ वर्ष 2018 में चुनाव हार कर सत्ता से बाहर हो गया था लेकिन अब वह फिर सत्ता में आ गया है। राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा में एनडीपीपी के 20, भाजपा के 12 और एनपीएफ के 25 विधायकों के अलावा दो निर्दलीय भी हैं। एक सीट फिलहाल खाली है। नागालैंड में सर्वदलीय सरकार के गठन का यह दूसरा मौका होगा। इससे पहले वर्ष 2015 में विपक्षी कांग्रेस के आठ विधायकों के सत्तारूढ़ नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) में शामिल होने पर ऐसी सरकार बनी थी।
भारतीय जनता पार्टी, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेस पार्टी (एनडीपीपी) और दो निर्दलीय विधायक सत्तारूढ़ पीडीए में शामिल हैं। इन सबने राजधानी कोहिमा में आयोजित एक बैठक में आम राय से सर्वदलीय सरकार के गठन का फैसला किया। इस प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो, उप-मुख्यमंत्री यानथूंगो पैट्टन और विपक्ष के नेता टीआर जेलियांग और एनपीएफ और उसके सहयोगी के अध्यक्षों ने हस्ताक्षर किए।
प्रस्ताव में कहा गया है कि नागा राजनीतिक समस्या एक बेहद अहम मुद्दा है जो दशकों से चला आ रहा है। समस्या के स्थायी और स्वीकार्य राजनीतिक समाधान के लिए ही तमाम दलों ने हाथ मिलाने का फैसला किया है। प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाली पार्टियों का कहना है कि राज्य में स्थायी शांति बहाल करने के लिए वे सकारात्मक विचारधारा के साथ नागा शांति प्रक्रिया को बढ़ावा देने का प्रयास करेंगी ताकि इस समस्या का शीघ्र समाधान हो सके।
युद्धविराम समझौता
नागालैंड में शांति के मकसद से केंद्र सरकार ने सबसे बड़े उग्रवादी संगठन एनएससीएन (आई-एम) के साथ 24 साल पहले वर्ष 1997 में युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने तीन अगस्त 2015 को एनएससीएन के इसाक मुइवा गुट के साथ एक फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए थे लेकिन उसके प्रावधानों को गोपनीय रखा गया था। इसके बाद शांति प्रक्रिया के किसी अंजाम तक पहुंचने की कुछ उम्मीद जरूर पैदा हुई थी लेकिन इसके बावजूद उसके इस प्रक्रिया में अक्सर गतिरोध पैदा होते रहे हैं।
वर्ष 2017 में नागा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप जैसे सात विद्रोही गुटों को शांति समझौते में शामिल किए जाने से कुछ नागा संगठनों ने निराशा जताई थी और इसे शांति प्रक्रिया को लंबा खींचने का बहाना बताया था। कुछ दिनों पहले एनएससीएन ने फ्रेमवर्क समझौते के प्रावधानों को सार्वजनिक करते हुए लंबे अरसे तक शांति प्रक्रिया में मध्यस्थ रहे एन. रवि पर साझा संप्रभुता का हवाला देते हुए मूल समझौते में कुछ लाइनें बदलने का आरोप लगाया था।
बहरहाल, तमाम राजनीतिक पार्टियों ने नागा संगठनों से आपसी मतभेद भुलाकर राज्य के हित में एकजुट होने की अपील की है। उन्होंने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से बातचीत करने की बात भी कही है।