राजनीति में हिंसा का नहीं कोई स्थानफिर भी अपराधी सभी घूमें सीना तानघूमें सीना तान यहां है उनका ताना-बानाहर दल में है पैठ उन्हीं की सत्ता बनी निशानाऐसे दल-दल में फंसी सत्ता मिले भी कैसेबेचारी तो त्रस्त है लूट मची हो जैसे।