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गांधी की पुण्यतिथि पर...
देश में भक्ति संगीत के लिए खासे रूप से लोकप्रिय सिंह बंधु राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित भजन गायन के लिए यहां पधारे। कई पुरस्कारों और भक्ति संगीत के तमाम रिकार्ड्स इनके खाते में हैं। यहां आज सिंह बंधु ने भक्ति संगीत गाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। गांधी भवन प्रेक्षागृह में आयोजित इस कार्यक्रम में सिंह बंधुओं ने स्रोताओं की खूब वाहवाही लूटी और पूरा माहौल भक्तिमय कर दिया। कार्यक्रम की शुरूआत सिंह बंधु ने महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण करके किया। इंदौर घराने के इन गायकों ने सबसे पहले मधुवंती के खयाल गायन में ‘भज मन राम नाम जेहि सुमिरत संकट मिटे, पूरन होई सब काम, भज मन राम नाम’ गाया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के राम रहीम की संकल्पना को साकार करते हुए उन्होंने विलम्बित लय और द्रुत में ‘करम करो मो पे हजरत निजामुद्दीन औलिया’ गाया। राग मधुवंती में गाये इन पदों को श्रोताओं ने ताली बजाकर खूब स्वागत किया। इसके बाद चल निकले इनके भजनों के कारवां और मिश्र माड़ में इन्होंने रविदास जी का भजन ‘ऐसी लाल तुझ बिन कौन करे, गरीब निवाज गुसइयां मेरा माथे छत्र धरे’ गाया।
राग हेमंत में कबीर का भजन ‘अव्वल अल्ला नूर उपाया, कुदरत के सब बंदे, एक नूर के सब जग उपजा, कौन बुरे कौन बंदे’ राग कल्याण के सुरों में नामदेव का भजन-‘देवा पाहन तारिय ले, राम कहत जन कस न तरे’ गाया। नानकवाणी गाकर भक्ति संगीत में उन्होंने श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। इन्होंने बिलावल के सुरों में ‘जगत जलंदा रक्ख लै, प्रभु अपनी कृपा धार, जित द्वारे उबरै, तितै लेहू उबारी’ नानकवाणी गायी। कार्यक्रम के अंत में इन्होंने महात्मा गांधी का नरसी भक्ति द्वारा लिखा सबसे प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए, जे पीड़ पराई जाणे रे’ गाया। राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देने के इस भक्ति संगीत में सिंह बंधु ने जहां पंजाबी, मराठी और गुजराती भाषा के भक्ति गीत गाये। वहीं सधुक्कड़ी भाषा के पद और ब्रज की रचनाएं भी सुनायीं।
राग हेमंत में कबीर का भजन ‘अव्वल अल्ला नूर उपाया, कुदरत के सब बंदे, एक नूर के सब जग उपजा, कौन बुरे कौन बंदे’ राग कल्याण के सुरों में नामदेव का भजन-‘देवा पाहन तारिय ले, राम कहत जन कस न तरे’ गाया। नानकवाणी गाकर भक्ति संगीत में उन्होंने श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। इन्होंने बिलावल के सुरों में ‘जगत जलंदा रक्ख लै, प्रभु अपनी कृपा धार, जित द्वारे उबरै, तितै लेहू उबारी’ नानकवाणी गायी। कार्यक्रम के अंत में इन्होंने महात्मा गांधी का नरसी भक्ति द्वारा लिखा सबसे प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए, जे पीड़ पराई जाणे रे’ गाया। राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देने के इस भक्ति संगीत में सिंह बंधु ने जहां पंजाबी, मराठी और गुजराती भाषा के भक्ति गीत गाये। वहीं सधुक्कड़ी भाषा के पद और ब्रज की रचनाएं भी सुनायीं।
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