राजनीति में चल रहा कुर्सी का हर दांवहिंसा अत्याचार भी हो गए अंगद के पांवहो गए अंगद के पांव छांव की रही न आशाराजसत्ता दगा दे रही बड़ी निराशाइसी व्यथा के नाते जीना हुआ हरामकैसे फिर सत्ता मिले साथ नहीं श्रीराम।