जनता का हक मार कर करें करोड़ो खर्चपानी जैसा धन बहे नहीं है कोई फर्कनहीं है कोई फर्क कर्ज बाहर से आयाभूखों जनता मरे यही पंचों की मायाबैठें ए.सी. हाल में सुनें विदेशी साजइसी तरह इस देश में हो पंचायत राज।