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अन्तरराष्ट्रीय व्यापार प्रबंधनः हिन्दी विभाग के पाठ्यक्रम
तेजी से बढ़ते वैश्वीकरण एवं उदारीकरण ने उद्योग एवं व्यापार के क्षेत्र को न के वल अंतर्राष्ट्रीय संपर्कों से जोड़ दिया है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रणाली के प्रबंधन में तकनीक एवं प्रयोगों के नये आयाम भी स्थापित किये हैं। ऐसे में कुशल व्यापार प्रबंधक के लिए विषय की व्यावहारिक बारीकियों का ज्ञान अर्जित करना बेहद जरूरी हो गया है। राष्ट्रीय स्तर पर अस्तित्वमान कुछ चुने हुए व्यापार प्रबंधन का पाठ्यक्रमों में एमआईबीएम (मास्टर आॅफ बिजनेस मैनेजमेंट) पाठ्यक्रम भी शामिल है। यह पाठ्यक्रम लखनऊ विश्वविद्यालय, रूहेलखंड विश्वविद्यालय-बरेली एवं मुरादाबाद में चलाया जाता है। लखनऊ विश्वविद्यालय के एप्लाइड एकोनाॅमिक्स विभाग इस पाठ्यक्रम का संचालन करता है।
दो वर्षों में चार सेमेस्टर वाले इस पाठ्यक्रम की कई विशिष्ट विशेषताएं हैं। मसलन व्यापार प्रबंधन के सम्यक् अध्ययन के अलावा यहां दो से तीन घंटे प्रतिदिन ओजेटी (आॅन दी जाॅब ट्रेनिंग) के भी अवसर दिये जाते हैं। प्रशिक्षुओं को कंम्प्यूटर एप्लीके शन और लाइब्रेरी एसाइंमेंट के अलावा नियमित रूप से कंपनी विजिट और रिसर्च प्रोजेक्ट्स के जरिये व्यावहारिक ज्ञान प्रदान किया जाता है। इन सबके अलावा गर्मियों में समर ट्रेनिंग के लिए छात्रों को 6-8 सप्ताह के लिए किसी प्रतिष्ठित संस्थान में भेजा जाता है। एमआईबीएम के छात्रों के लाभ के लिए हैदराबाद स्थित इंस्टीट्यूट आॅफ चार्टर्ड फाइनेन्सियल एलालिस्ट आॅफ इंडिया (आईसीएफएआई) संयुक्त रूप से सीएफए-एमआईबीएम कार्यक्रम भी संचालित किये जाते हंै।
लखनऊ विश्वविद्यालय के एमआईबीएम पाठ्यक्रम की कुल 60 सीटों में से विदेशी छात्रों, अनिवासी भारतीयों तथा अनिवासी प्रायोजित भारतीय छात्रों के लिए 30 सीटें आरक्षित हैं। शेष तीस सीटों पर प्रवेश के लिए लिखित परीक्षा ग्रुप डिस्कशन और साक्षात्कार की प्रक्रिया सम्पादित की जाती है। लिखित परीक्षा में अंग्रेजी भाषा में निपुणता, आंकिक या गणितीय योग्यता परीक्षण, तर्क शक्ति, सामान्य ज्ञान, लेखा, वाणिज्य, बैंकिंग, व्यापार संस्थान, भारतीय अर्थशास्त्र एवं भारतीय विदेश व्यापार से सम्बन्धित सवाल पूछे जाते हैं।
माॅस्टर आॅफ इंटरनेशनल बिजनेस मैनेजमेंट के इस पाठ्यक्रम में प्रवेश चाहने वाले उम्मीदवारों के लिए अनिवार्य योग्यता 45 प्रतिशत अंकों सहित स्नातक है। जबकि विदेशी छात्रों, अनिवासी भारतीय एवं अनिवासी भारतीयों द्वारा प्रायोजित छात्रों के लिए स्नातक डिग्री में 50प्रतिशत अंक होना जरूरी है। प्रायोजित छात्रों में विदेशी छात्रों को इस पाठ्यक्रम के लिए प्रति सेमेस्टर एक हजार अमरीकी डाॅलर शुल्क के रूप में देना होता है। अन्य छात्र इस पाठ्यक्रम के प्रति सेमेस्टर के लिए छप्पन हजार रूपये शुल्क देते हैं।
इस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए विज्ञापन फरवरी, मार्च में प्रकाशित होता है। अप्रैल में प्रवेश परीक्षा आयोजित होती है और मई में साक्षात्कार के उपरांत अंतिम रूप से चयनित छात्रों के सत्र की शुरूआत जुलाई, अगस्त माह से होती है। आयात-निर्यात क्षेत्र की लगातार बढ़ रही जरूरतों को पूरा करने के लिए खुले इस पाठ्यक्रम के प्रति छात्रों में खासा आकर्षण है। आईआईएम के अध्यापक भी इस पाठ्यक्रम को काफी रिकमेण्ड करते हैं। एप्लाइड एकोनाॅमिक्स के विभागाध्यक्ष प्रो. आर शर्मा ने इस पाठ्यक्रम के संबंध में बताया। भारत के युवाओं के लिए वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यह एक बेहद आकर्षक पाठ्यक्रम है। एक ऐसे समय में जब उदारीकरण और ग्लोबलाइजेशन की पूरी छूट है। यह पाठ्यक्रम निजी क्षेत्र बहुराष्ट्रीय कंपनियों, इंटरनेशनल ट्रेडिंग घरानांे की जरूरतें पूरा करता है। इसके कई छात्र खाड़ी देश और यूरोपीय देशों में अच्छे पदों पर वेतनमान पर कार्य कर रहे हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय में तीन वर्ष पूर्व आरंभ हुए इस पाठ्यक्रम के अधिकांश लड़कों का कैम्पस सेलेक्शन हो गया है। डा. शर्मा का कहना है कि हम लोग मात्र पाठ्यक्रम ही पूरा नहीं करवाते बल्कि अच्छे प्लेसमेंट के लिए काउंसिलिंग भी करते हैं। इसके अधिकांश छात्र 20 से 30 हजार रूपये की मासिक आय वाले हैं।
औद्योगीकरण एवं संचार क्रांति ने पूरे दुनिया को एक सूत्र में बांध सा दिया है। विदेशी मुद्रा का महत्व किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बढ़ गया है। एमआईबीएम के छात्रों को अधिकांशतः उन संस्थानों में कार्य मिलता है, जो आयात-निर्यात से संबंधित हैं। उदारीकरण के इस युग में आयात-निर्यात का महत्व बढ़ता ही जा रहा है। इसके बढ़ते हुए महत्व को देखते हुए यह पाठ्यक्रम बेहद महत्वपूर्ण है और प्रबंध के क्षेत्र में अपने कैरियर की शुरूआत करने वालों के लिए इस पाठ्यक्रम में अनंत संभावनाएं हैं।
दो वर्षों में चार सेमेस्टर वाले इस पाठ्यक्रम की कई विशिष्ट विशेषताएं हैं। मसलन व्यापार प्रबंधन के सम्यक् अध्ययन के अलावा यहां दो से तीन घंटे प्रतिदिन ओजेटी (आॅन दी जाॅब ट्रेनिंग) के भी अवसर दिये जाते हैं। प्रशिक्षुओं को कंम्प्यूटर एप्लीके शन और लाइब्रेरी एसाइंमेंट के अलावा नियमित रूप से कंपनी विजिट और रिसर्च प्रोजेक्ट्स के जरिये व्यावहारिक ज्ञान प्रदान किया जाता है। इन सबके अलावा गर्मियों में समर ट्रेनिंग के लिए छात्रों को 6-8 सप्ताह के लिए किसी प्रतिष्ठित संस्थान में भेजा जाता है। एमआईबीएम के छात्रों के लाभ के लिए हैदराबाद स्थित इंस्टीट्यूट आॅफ चार्टर्ड फाइनेन्सियल एलालिस्ट आॅफ इंडिया (आईसीएफएआई) संयुक्त रूप से सीएफए-एमआईबीएम कार्यक्रम भी संचालित किये जाते हंै।
लखनऊ विश्वविद्यालय के एमआईबीएम पाठ्यक्रम की कुल 60 सीटों में से विदेशी छात्रों, अनिवासी भारतीयों तथा अनिवासी प्रायोजित भारतीय छात्रों के लिए 30 सीटें आरक्षित हैं। शेष तीस सीटों पर प्रवेश के लिए लिखित परीक्षा ग्रुप डिस्कशन और साक्षात्कार की प्रक्रिया सम्पादित की जाती है। लिखित परीक्षा में अंग्रेजी भाषा में निपुणता, आंकिक या गणितीय योग्यता परीक्षण, तर्क शक्ति, सामान्य ज्ञान, लेखा, वाणिज्य, बैंकिंग, व्यापार संस्थान, भारतीय अर्थशास्त्र एवं भारतीय विदेश व्यापार से सम्बन्धित सवाल पूछे जाते हैं।
माॅस्टर आॅफ इंटरनेशनल बिजनेस मैनेजमेंट के इस पाठ्यक्रम में प्रवेश चाहने वाले उम्मीदवारों के लिए अनिवार्य योग्यता 45 प्रतिशत अंकों सहित स्नातक है। जबकि विदेशी छात्रों, अनिवासी भारतीय एवं अनिवासी भारतीयों द्वारा प्रायोजित छात्रों के लिए स्नातक डिग्री में 50प्रतिशत अंक होना जरूरी है। प्रायोजित छात्रों में विदेशी छात्रों को इस पाठ्यक्रम के लिए प्रति सेमेस्टर एक हजार अमरीकी डाॅलर शुल्क के रूप में देना होता है। अन्य छात्र इस पाठ्यक्रम के प्रति सेमेस्टर के लिए छप्पन हजार रूपये शुल्क देते हैं।
इस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए विज्ञापन फरवरी, मार्च में प्रकाशित होता है। अप्रैल में प्रवेश परीक्षा आयोजित होती है और मई में साक्षात्कार के उपरांत अंतिम रूप से चयनित छात्रों के सत्र की शुरूआत जुलाई, अगस्त माह से होती है। आयात-निर्यात क्षेत्र की लगातार बढ़ रही जरूरतों को पूरा करने के लिए खुले इस पाठ्यक्रम के प्रति छात्रों में खासा आकर्षण है। आईआईएम के अध्यापक भी इस पाठ्यक्रम को काफी रिकमेण्ड करते हैं। एप्लाइड एकोनाॅमिक्स के विभागाध्यक्ष प्रो. आर शर्मा ने इस पाठ्यक्रम के संबंध में बताया। भारत के युवाओं के लिए वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यह एक बेहद आकर्षक पाठ्यक्रम है। एक ऐसे समय में जब उदारीकरण और ग्लोबलाइजेशन की पूरी छूट है। यह पाठ्यक्रम निजी क्षेत्र बहुराष्ट्रीय कंपनियों, इंटरनेशनल ट्रेडिंग घरानांे की जरूरतें पूरा करता है। इसके कई छात्र खाड़ी देश और यूरोपीय देशों में अच्छे पदों पर वेतनमान पर कार्य कर रहे हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय में तीन वर्ष पूर्व आरंभ हुए इस पाठ्यक्रम के अधिकांश लड़कों का कैम्पस सेलेक्शन हो गया है। डा. शर्मा का कहना है कि हम लोग मात्र पाठ्यक्रम ही पूरा नहीं करवाते बल्कि अच्छे प्लेसमेंट के लिए काउंसिलिंग भी करते हैं। इसके अधिकांश छात्र 20 से 30 हजार रूपये की मासिक आय वाले हैं।
औद्योगीकरण एवं संचार क्रांति ने पूरे दुनिया को एक सूत्र में बांध सा दिया है। विदेशी मुद्रा का महत्व किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बढ़ गया है। एमआईबीएम के छात्रों को अधिकांशतः उन संस्थानों में कार्य मिलता है, जो आयात-निर्यात से संबंधित हैं। उदारीकरण के इस युग में आयात-निर्यात का महत्व बढ़ता ही जा रहा है। इसके बढ़ते हुए महत्व को देखते हुए यह पाठ्यक्रम बेहद महत्वपूर्ण है और प्रबंध के क्षेत्र में अपने कैरियर की शुरूआत करने वालों के लिए इस पाठ्यक्रम में अनंत संभावनाएं हैं।
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