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सुनिश्चित भविष्य का अवसर

Dr. Yogesh mishr
Published on: 24 Feb 1997 7:02 PM IST
सरकार ने सभी के  लिए शिक्षा परियोजना के  तहत जहां देश से बेरोजगारी मिटाने का संकल्प लिया है और इस पर विश्व बैंक परियोजना के  तहत करोड़ों रूपये खर्च कर रही है। वहीं दूसरी साक्षर बेरोजगारों की संख्या में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी से सरकार चिंतित भी है। लाख प्रयासों के  बावजूद रोजगार के  इतने अवसर नहीं पैदा किये जा सके  हैं जितनी की जरूरत है। यही कारण है कि देश में बेरोजगारी की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। इस समय उच्च शिक्षा प्राप्त लाखों युवा रोजगार कार्यालयों में नौकरी की तलाश के  लिए दर्ज हैं। अब यह निश्चित रूप से तय हो गया है कि सहज परम्परागत शिक्षा के  बूते पर रोजगार ढूंढ पाना आसान काम नहीं है। वैसे इस दिशा में सरकार ने भी प्रोफेशनल एजूके शन और वोके शनल एजूके शन के  तमाम पाठ्यक्रम आरम्भ किये हैं। प्रोफेशनल एजूके शन की तो आजकल काफी मांग है। तमाम ऐसे पाठ्यक्रम भी हैं, जिन्हें पूरा करने के  बाद रोजगार की गारंटी सी हो जाती है। ऐसा ही एक पाठ्यक्रम है बी.टी.सी. (बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिके ट) इस पाठ्यक्रम में प्रवेश मिल जाने के  बाद युवाओं को नौकरी की लगभग गारंटी तो मिल ही जाती है। साथ ही साथ नौकरी पाने की अधिकतम आयु सीमा 50 वर्ष हो जाती है।
बीटीसी में प्रवेश के  लिए फरवरी, मार्च के  माह में प्रदेश के  सभी जिलों में परीक्षाएं आयोजित होती हैं। यह परीक्षा निदेशक, बेसिक शिक्षा द्वारा विज्ञापित तिथियों के  आधार पर ली जाती हैं। परीक्षा में बैठने के  लिए 30 रूपये का पोस्टल आर्डर शुल्क के  रूप में अभ्यर्थी से लिया जाता है। आवेदन फार्म सभी जिलों के  बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमा किये जाते हैं। पूरे प्रदेश में यह परीक्षा एक निश्चित तिथि को एक साथ ही ली जाती है। इस परीक्षा की कापियां मंडलों में जांची जाती हैं। एक मंडल की काॅपी को दूसरे मंडल में भेजकर परीक्षण कराया जाता है। इस परीक्षण के  बाद ग्रेडेशन लिस्ट बनती है। ग्रेडेशन लिस्ट में दो कैटेगरी होती है। एक सामान्य वर्ग की और दूसरी विज्ञान वर्ग की। पूरे प्रदेश में बीटीसी ट्रेनिंग के  लिए कुल 4400 सीटे हैं। आरक्षण नियमानुसार देय होता है। न्यायालय से तलाकशुदा महिलाओं को प्रवेश में वेटेज मिलता है। इसके  अलावा शिक्षक/कर्मचारियों के  आश्रितों को भी वेटेज देने की सुविधा है लेकिन यह वेटेज लेक्चरर से नीचे पदों पर कार्य करने वाले कर्मचारियों, शिक्षकों के  आश्रितों को ही मिलता है। इसके  लिए अनिवार्य योग्यता इंटरमीडिएट है। इंटरमीडिएट प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को 9, 6 एवं 3 शैक्षणिक गुणवत्ता अंक दिये जाते हैं। एनसीसी के  बी सर्टिफिके ट होल्डर को 10 नंबरों का वेटेज प्रदान किया जाता है। जिला, मंडल तथा राज्य स्तर के  खिलाड़ियों को भी 3,5 और 10 अंकों का वेटेज मिलता है। लेकिन यह वेटेज कुल मिलाकर 10 अंकों से अधिक नहीं हो सकता।
उपरोक्त वेटेज और मंडल स्तर पर तैयार की गयी गे्रडेशन लिस्ट पर एक पद पर एक जगह के  लिए 3 लोगों को साक्षात्कार के  लिए बुलाया जाता है। साक्षात्कार जनपद स्तर पर आयोजित होते हैं और बेसिक शिक्षा अधिकारी साक्षात्कार लेते हैं। साक्षात्कार के  अंक फिर मंडल कार्यालय को भेजे जाते हैं और मंडल कार्यालय पर ही अंतिम वरिष्ठता सूची तैयार की जाती है। इस आधार पर चयनित अभ्यर्थियों को प्रवेश के  लिए डायट भेज दिया जाता है। मेरठ, आगरा, लखनऊ एवं वाराणसी मंडलों में 50-50 सीटें उर्दू अभ्यर्थियों के  लिए भी हैं। प्रदेश के  किसी भी जिले में अगर कोई अभ्यर्थी उर्दू के  साथ बीटीसी ट्रेनिंग करना चाहता है तो उनके  आवेदन फार्म को इन्ही मंडलों में भेज दिया जाता है। इन मंडलों के  कुछ जिले उर्दूदा लोगों की ट्रेनिंग के  लिए निर्धारित किये गये हैं।
बीटीसी ट्रेनिंग 02 वर्ष की होती है। प्रदेश के  सभी जनपदों में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान(डायट) के  माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रवेश के  लिए आयोजित परीक्षा 200 अंकों की होती है, जिसमें 100 अंक शिक्षण अभिरूचि एवं 100 अंक शिक्षण अभिगम के  होते हैं। प्रवेश परीक्षा के  प्रश्न पत्र आब्जेक्टिव टाइप होते हैं। शिक्षण अभिरूचि एवं शिक्षण अभिगम के  प्रश्नपत्रों में 100-100 सवाल होते हैं। प्रत्येक प्रश्न 1-1 नंबर का होता है और सभी प्रश्न अनिवार्य होता है।
बीटीसी की उपाधि प्राप्त अभ्यर्थी को नौकरी वर्ष क्रम के  हिसाब से मिलती है। पर्वतीय संवर्ग में उसी वर्ष अभ्यर्थियों को नौकरी मिल जाती है। पर्वतीय संवर्ग में नैनीताल में 60, अल्मोड़ा में 110, पिथौरागढ़ में 100, पौड़ी में 240, टिहरी में 200, चमोली में 230, उत्तरकाशी में 180, देहरादून में 180 सीटें होती हैं। कुछ जनपदों को छोड़कर सभी जगहों पर लगभग उसी वर्ष बीटीसी वाले अभ्यर्थी को नौकरी मिल जाती है। इस तरह कहा जा सकता है कि बीटीसी की उपाधि प्राप्त अभ्यर्थियों को रोजगार की लगभग गारंटी सी होती है। एक जिले का अभ्यर्थी अगर दूसरे जिले में नौकरी करना चाहता है, तो उसे अपने मंडल के  मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक द्वारा दूसरे जनपद में नौकरी के  लिए आवेदन कर सकता है। परंतु दूसरे जनपद में जाने के  कारण उस अभ्यर्थी की वरिष्ठता वर्षवार सबसे नीचे तय होगी। 02 वर्ष के  इस पाठ्यक्रम में पाठ्यक्रम शिक्षण एवं व्यावहारिक शिक्षण की ट्रेनिंग दी जाती है। बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिके ट प्राप्त अभ्यर्थी कक्षा-1 से कक्षा-8 तक के  छात्रों को पढ़ाने के  लिए रखे जाते हैं। बीटीसी में व्यावहारिक पाठ्यक्रमों पर खासा ध्यान दिया जाता है। बच्चों की मानसिकता के  आधार पर उनके  पाठ्यक्रम खेल-खेल में शिक्षा, ज्वायफुल लर्निंग एवं बाल मनोवैज्ञानिक पर आधारित होती है। इसमें प्रवेश पाने के  लिए आयु सीमा 18 से 26 वर्ष है। परिपक्वता महिलाओं की अधिकतम आयु सीमा में पांच वर्ष की छूट भी प्रदान की जाती है।
आजकल शिक्षा के  क्षेत्र में लगातार हो रहे विस्तार और साक्षर करने के  लिए आयी ढेर सी योजनाओं तथा सभी के  लिए शिक्षा के  लक्ष्य को पूरा करने के  लिए ट्रेंड अध्यापकों की मांग बेहद बढ़ गयी है। इन परिस्थितियों को देखते हुए जहां लोगों ने बीए और एलटी के  प्रति रूझान बढ़ा है वहीं आज भी रोजगार की सुनिश्चितता के  दृष्टिकोण से बीटीसी का कोई सानी नहीं है। रोजगार प्राप्ति के  लिए बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिके ट एक महत्वपूर्ण एवं महात्वाकांक्षी पाठ्यक्रम है।
Dr. Yogesh mishr

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