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पर्यटन के क्षेत्र में आकर्षक रोजगार

Dr. Yogesh mishr
Published on: 24 March 1997 7:26 PM IST
संचार व यातायात के  इस युग में जीवन के  तौर तरीकों में भी खासा बदलाव हुआ है। इस बदलाव ने हमारे जिज्ञासु मन को दूरदराज की चीजों, स्थानों एवं सभ्यता व संस्कृति से भिज्ञ कराया है। आज हम घर बैठे डिजनी लैण्ड, कश्मीर की वादियों, कुल्लू मनाली, फूलों की घाटी के  दृश्य देख सकते हैं। ये दृश्य हमें इन स्थानों की ओर खींचते हैं। एक-दूसरे को जानने-समझने की लालसा एवं स्थानों के  दृश्यों को देख कर मोहित होने के  साथ-सााि उसे साकार रूप में देखने की अभिलाषा ने जहां यातायात की दिशा में सार्थक क्रान्ति की है, वहीं पर्यटन को उद्योग के  रूप में विकसित करने की परिस्थितियां भी जनी हैं। हमारे देश के  कश्मीर व गोवा सरीखे कुछ प्रान्तों में तो पर्यटन उद्योग से इन प्रदेशों की खासी आय भी होती है और तमाम कुटीर उद्योग एवं उद्योग पर्यटन पर निर्भर करते हैं।
स्विट्जरलैण्ड, पेरिस, मारीशस जेसे देश पर्यटन के  लिए खासे चर्चित हैं। पर्यटन यहां का सबसे बड़ा उद्योग है। प्रकृति को करीब से देखने और उसे कैमरे में कैद करने का प्रचलन भी बढ़ा हैं मानव सभ्यता का इतिहास इस बात का साक्षी है कि पर्यटन सभ्यता के  विकास का महत्वपूर्ण कारण रहा है। पर्यटन के  लिए खासे चर्चित राहुल सांस्कृत्यायन को अथोता घुमक्कड़ की उपाधि मिली थी। आज विश्व स्तर पर पर्यटन को उद्योग का दर्जा प्राप्त हैं इस उद्योग की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें बिना किसी निर्यात के  विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। पर्यटन के  क्षेत्र में सरकारी और निजी दोनों तरह की एजेंसियां कार्य करती हैं। हमारे यहां राष्ट्रीय स्तर पर इंडियन टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन एवं राज्य स्तर पर पर्यटन निगम जैसे विभाग पर्यटन को बढ़ावा देने के  लिए कार्यरत हैं। इसके  अतिरिक्त निजी क्षेत्र की कई इकाइयां भी पर्यटन के  क्षेत्र में लगी हुई हैं।
भारत में अनेकता में एकता का जो सूत्र वाक्य प्रचलित है उसके  पीछे पर्यटन के  विकास के  तत्व भी छिपे हैं। हमारे देश का नैसर्गिक सौंदर्य सैलानियों का बरबस मन मोह लेता है। कश्मीर की हरी-भरी वादियां हों, अजंता एलोरा की चित्ताकर्षक मूर्तियां, देहरादून की सुरम्य घाटियां हो, असम की लम्बी सुरंगे हों, नालन्दा महाविहार के  भव्य खण्डहर, बोधगया, सांची, सारनाथ और कुशीनगर के  बौद्ध स्थल, कोणार्क का सूर्य मंदिर, आगरे का ताज, जुहू का समुद्री किनारा, हिमालय की हिमाच्छादित चोटियां, देश भर में फैले राष्ट्रीय पार्क, पक्षी विहार, झील, जंगल, बंदरगाह, किले, हमारे राष्ट्रीय धरोहर हैं। ये ही पर्यटकों के  आकर्षण का केंद्र भी हैं।
विगत तीन दशकों के  दौरान पूरे विश्व में पर्यटन महत्वपूर्ण आर्थिक क्रिया के  रूप में विकसित हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि हर वर्ष पूरी दुनिया में चालीस करोड़ पर्यटक भ्रमण करते हैं। पर्यटकों के  इन आंकड़ों मेें प्रतिवर्ष औसतन आठ फीसदी की दर से इजाफा भी होता है। आने वाले पर्यटकों की दृष्टि से भारत का विश्व में 16वां स्थान है। पर्यटन उद्योग से आय अर्जन की दृष्टि से विश्व में होने वाली कुल आय का 0.04 फीसदी हिस्सा भारत अर्जित करता है। इस हिस्से के  आधार पर विश्व पर्यटन उद्योग में विदेशी मुद्रा के  अर्जन में भारत का पांचवा स्थान है।
पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के  लिए भारत सरकार ने भारतीय पर्यटन विकास निगम की स्थापना की है। पर्यटन के  क्षेत्र में वित्तीय सहायता प्रदान करने के  लिए 89 में भारतीय पर्यटन वित्त निगम की स्थापना एक महत्वपूर्ण कदम है। पर्यटन को बढ़ावा देने के  लिए विभिन्न देशों द्वारा महोत्सव का आयोजन एक उल्लेखनीय प्रयास है। भारत द्वारा प्रति वर्ष भारत महोत्सव का आयोजन कर भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का प्रचार किया जाता है। आठवीं पंचवर्षीय योजना में पर्यटन उद्योग के  लिए 282 करोड़ रूपये का आवंटन किया गया है। पर्यटन क्रियान्वयन योजना के  तहत इसी वित्तीय वर्ष में पांच मिलियन पर्यटकों को आकर्षित करने के  लिए सरकारी स्तर पर तमाम प्रयास किये गये हैं।
पर्यटन के  विकास के  साथ-साथ और रोजगार की दृष्टि से भी पर्यटन उद्योग काफी महत्वपूर्ण रोजगार माना जाता है। अनुमान है कि आगामी वर्षों में 67.7 प्रतिशत लोगों को इस सेवा क्षेत्र में रोजगार मिल सकता है। इतना ही नहीं पर्यटन और उससे जुड़ी संस्थाओं में प्रतिवर्ष 3.3 लाख लोगों के  लिए रोजगार की सम्भावना है। पर्यटन के  क्षेत्र में रोजगार के  लिए विभिन्न संस्थाएं पर्यटन प्रबन्धन में डिप्लोमा एवं डिग्री के  पाठ्यक्रम संचालित करते हैं। स्नातकोत्तर और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में नामांकन के  लिए संस्थाएं अपने ढंग से चयन प्रक्रिया अपनाती हैं। अभ्यर्थी को लिखित परीक्षा, समूह परिचर्चा और साक्षात्कार से गुजरना पड़ता है। लिखित परीक्षा में आब्जेक्टिव टाइप प्रश्न पूछे जाते हैं। इसमें मुख्यतः अंग्रेजी, गणित और रीजनिंग के  सवाल शामिल होते हैं। समूह परिचर्चा और साक्षात्कार में पर्यटन स्थलों, अभिरूचि से सम्बन्धित सवाल पूछे जाते हैं। पर्यटन के  क्षेत्र में काम करने के  लिए वाकपटु एवं कार्यकुशल होने के  साथ साथ कई भाषाओं की जानकारी भी होनी चाहिए।
पर्यटन के  क्षेत्र में लेखक, पत्रकार, सूचना अधिकारी, टूर आपरेटर्स, ट्रेवल एजेंट, कैटरिंग, होटल प्रबन्ध, टूरिस्ट गाइड, पर्यटन अधिकारी आदि रोजगार की सम्भावना होती है। डिग्री, डिप्लोमा प्राप्त अभ्यर्थियों को पर्यटन विभाग, भारतीय पर्यटन विकास निगम, भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान के  अलावा राजकीय पर्यटन विभाग में भी रोजगार प्राप्त होता है।
पर्यटन के  क्षेत्र में रोजगार की सम्भावना तलाशने वाले युवकों को देश-विदेश देखने के  अवसर तो मिलते ही हैं साथ ही साथ उच्च जीवन संस्कृति से भी उनका साबका होता रहता है। जैसे-जैसे ‘ग्लोबलाइजेशन’ बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे पर्यटन के  क्षेत्र में सम्भावनाएं बेहतर होती जा रही हैैं। पश्चिमी देशों में तो वीकएंड में घूमने-फिरने का फैशन है।
पर्यटन से सम्बन्धित डिप्लोमा/डिग्री देने वाले मुख्य संस्थान हैं-
ऽ           भारतीय पर्यटन और यात्रा प्रबन्ध संस्थान, 9-न्याय मार्ग, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली। इस संस्थान की स्थापना 1963 में हुई थी। इसकी शाखएं तीन अन्य नगरों में भी हैं-
ऽ           ग्राविएरा इंस्टीट्यूट, मुम्बई।
ऽ           इंस्टीट्यूट आॅफ टूरिज्म मैनेजमेन्ट, लखनऊ
ऽ           के रवल इंस्टीट्यूट आॅफ टूरिज्म मैनेजमेन्ट-त्रिवेन्द्रम। इस संस्थान में पर्यटन प्रशासन में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम सहित सर्टिफिके ट /डिप्लोमा पाठ्यक्रम एवं विदेशी भाषा प्रशिक्षण पाठ्यक्रम संचालित किये जाते हैं। सर्टिफिके ट एवं डिप्लोमा पाठ्यक्रम एक वर्ष के  होते हैं। प्रवेश के  लिए अनिवार्य योग्यता स्नातक है। प्रवेश वर्ष भर चलता रहता है। पर्यटन प्रशासन में स्नातकोत्तर की डिग्री दो वर्ष की होती है। ‘पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा पाठ्यक्रम इन ट्रेवेल मैनेजमेन्ट’ एक वर्ष का पाठ्यक्रम है। प्रत्येक पाठ्यक्रम में प्रवेश के  लिए 40-40 सीटे हैं।
ऽ           इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेन्ट स्टडीज, के एच-3, कविनगर, गाजियाबाद, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली, पर्यटन में स्नातक की डिग्री देते हैं। इसकी अवधि 3 वर्ष है और प्रवेश के  लिए योग्यता 10$2 है। पांडिचेरी विश्वविद्यालय, पांडिचेरी में एवं मदुराई कामराज विश्वविद्यालय, मदुराई में भी पर्यटन में स्नातक की डिग्री दी जाती है।
ऽ           दिल्ली विश्वविद्यालय एवं अन्नामलाई विश्वविद्यालय, पर्यटन में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम वर्ष है और इसमें प्रवेश के  लिए योगयता स्नातक है जबकि हेमवतीनन्दन बहुगुणा विश्वविद्यालय, श्रीनगर (गढ़वाल)-246174 से पर्यटन में स्नातकोत्तर डिग्री की अवधि मात्र एक वर्ष है और प्रवेश के  लिए योग्यता स्नातक है।
ऽ           बरकतुल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल-462026 पर्यटन प्रशासन में स्नातकोत्तर डिग्री प्रदान करता है। इसमें प्रवेश के  लिए बीएससी होना अनिवार्य है, जबकि इस पाठ्यक्रम की अवधि मात्र एक वर्ष है।
ऽ           अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय-अलीगढ,़ कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय-कुरूक्षेत्र, जोधपुर विश्वविद्यालय-जोधपुर, पांडिचेरी विश्वविद्यालय-पांडिचेरी में पर्यअन प्रशासन में स्नातकोत्तर डिग्री प्रदान की जाती है। इस कोर्स में प्रवेश के  लिए अनिवार्य योग्यता स्नातक है। जबकि इसकी अवधि 2 वर्ष है।
इसी तरह हम कह सकते हैं कि पर्यटन के  क्षेत्र में डिग्री/डिप्लोमा प्रज्ञप्त करने के  बाद आकर्षक रोजगार की सम्भावनाएं बढ़ जाती हैं। संचार और यातायात माध्यमों से क्रांति पर्यटन उद्योग के  सार्थक विकास के  दिशा में सहयोगी हैं। पर्यटन उद्योग का विकास में रोजगार की अनंत संभावनाएं समेटे हुए हैं।


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Dr. Yogesh mishr

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