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औपचारिकता बनी ‘साहित्यिक के न्द्र स्थापना योजना’

Dr. Yogesh mishr
Published on: 7 Feb 1998 10:03 PM IST
हिन्दी संस्थान द्वारा आयोजित होने वाली साहित्यिक के न्द्र स्थापना की कडऋी इस बार थमती नजर आ रही है। इस योजना के  अंतर्गत वाराणसी में वृहद स्तर पर आयोजित होने वाला संत रविदास समारोह अब यहां आगामी मंगलवार को मात्र औपचारिकता के  साथ संस्थान के  प्रेमचन्द्र सभागार में होगा।
उल्लेखनीय है कि साहित्यिक के न्द्र स्थापना की श्रंखला में तुलसी के  नाम पर आयोध्या में, संत रविदास के  नाम पर वाराणसी में, जायसी के न्द्र जायस, सूरदास की कर्मस्थली आगरा एवं मथुरा में जाकर वार्षिक आयोजन करने की योजना थी। इस योजना के  तहत अभी हाल ही में कबीर के  समाधि स्थल मगहर एवं गोरखपुर में संयुक्त रूप से कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कबीर पर कार्यक्रम आयोजित हो जाने के  बाद भी आगामी दस फरवरी को प्रेमचंद सभागार में संत रविदास पर होने वाले कार्यक्रम को कबीर व संत रविदास कार्यक्रम का स्वरूप दे दिया गया है। संस्थान इस अवसर पर डा. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी द्वारा लिखित कबीर पुस्तक के  लोकार्पण की भी औपचारिकता पूरी कर लेगा। इस कार्यक्रम के  प्रति संस्थान का रवैया मात्र इसी से स्पष्ट हो जाता है कि इस संक्षिप्त आमंत्रण के  लिए जो आमंत्रण पत्र वितरित हुए हैं। उसमें उल्लिखित वक्ताओं में कुछेक ऐसे नाम हैं जिनके  बारे में संस्थान के  कार्यकारी अध्यक्ष शरण बिहारी गोस्वामी स्वयं खासे अनभिज्ञ हैं।
आमंत्रण पर प्रमुख वक्ता की सूची में तीसरे नम्बर पर दिल्ली के  अजय श्रीवास्तव का नाम छपा है। जब श्री श्रीवास्तव के  बारे में जानकारी प्राप्त करने के  लिए संस्थान के  कार्यकारी अध्यक्ष से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने कहा, ‘भाई मैं यही बता सकता हूं कि मेरी कम जानकारी है। यह नाम संस्थान के  निदेशक ने दिया है। संभवतः ये कोई सरकारी अधिकारी हैं।’ जबकि अन्य प्रमुख वक्ताओं में डा. कन्हैया सिंह, भाषा संस्थान के  कार्यकारी अध्यक्ष, योगेन्द्र सिंह पोस्ट ग्रेजुएट कालेज मैनपुरी के  पूर्व प्राचार्य हैं। इन्होंने संत रविदास पर ही डाक्टरेट भी किया है। वक्ताओं की सूची में डा. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी का भी नाम है जिनकी पुस्तक का विमोचन इस कार्यक्रम में किया जाएगा।
सूत्र बताते हं कि दोनों कार्यक्रमों को एक साथ करने के  पीछे जहां संस्थान के  निदेशक मधुकर द्विवेदी द्वारा बचत ड्राइव है वहीं झांसी और इलाहाबाद में आयोजित संस्थान में निदेशक की भागीदारी का न हो पाना है। उल्लेखनीय है कि संस्थान द्वारा गत 9 जनवरी और पहली दूसरी फरवरी को झांसी व इलाहाबाद में सम्पन्न हुए कार्यक्रम में भी वह शरीक नहीं हो पाये थे।
यह कार्यक्रम हिन्दी संस्थान, भाषा संस्थान एवं हिन्दुस्तानी अकादमी के  संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया था।
Dr. Yogesh mishr

Dr. Yogesh mishr

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