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दलबदलू सांसदों को मंत्रिमण्डल में हाशिये पर रखेगी भाजपा

Dr. Yogesh mishr
Published on: 5 March 1998 10:21 PM IST
दलबदल करके  भाजपा टिकट पर बारहवीं लोकसभा के  लिए निर्वाचित सांसदों को पार्टी अपने संभावित मंत्रिमण्डल में हाशिये पर रखेगी। यह निर्णय नयी दिल्ली स्थित पार्टी के  के न्द्रीय कार्यालय में आज हुई। कोर ग्रुप की एक बैठक में लिया गया। पार्टी सूत्रों का मानना है कि मित्र दलों के  साथ समझौता करके  चुनाव लड़ने के  बाद भी के न्द्र में सरकार बनाने के  लिए कल्याण डाक्ट्रिन का उपयोग करना ही पड़ेगा। कल्याण डाक्ट्रिन के  तहत के न्द्र मंे सरकार बनाने में मदद देने वाली पार्टियों एवं व्यक्तियों को मंत्रिमण्डल आॅफर करना जरूरी होगा। पार्टी सूत्रों के  अनुसार मई 96 में भाजपा की 13 दिन की सरकार में पूर्व प्रधानमंत्री और वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी के  साथ रहे मंत्रियों को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। इन मंत्रियों को तरजीह देने के  लिए बारहवीं लोकसभा चुनाव में पराजित पूर्व मंत्रियों को भी मंत्रिमण्डल में स्थान देने की संभावना है। मंत्रिमण्डल में मित्र दलों की संख्या के  अनुपात में प्रतिनिधित्व प्रदान करने की रणनीति पर गंभीरता से विचार किया गया।
चुनाव के  पहले भाजपा की यह रणनीति थी कि मित्र दलों को संख्या बल पर नहीं बल्कि बराबर बराबर भागीदारी बनाया जाएगा। लेकिन चुनाव परिणाम आने के  बाद बदली परिस्थितियों मंे यह उचित नहीं लग रहा है और न ही व्यवहारिक। जबकि पार्टी की बैठक में यह तय किया गया कि इस बार मंत्रिमण्डल में उन राज्यों को विशेष तरजीह दी जाएगी जहां भाजपा ने पहली दफा अपना खाता खोला। जिन राज्यों में भाजपा मित्र दलों के  सहयोग से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल हुई है वहां सहयोगी दलों को के न्द्रीय मंत्रिमण्डल में स्थान देने के  साथ साथ भाजपा अपनी पार्टी के  जीते हुए सांसदों एवं पदाधिकारियों को भी प्रमुखता देगी, जिससे भविष्य में भाजपा की जड़ें सहयोगी दलों के  गठबंधन के  बिना उस राज्य में जमी रहें। जो संके त मिल रहे हैं उससे यह साफ हो गया है कि यदि के न्द्र में भाजपा पदारूढ़ होती है तो वहां भी उसका मंत्रिमण्डल जम्बो आकार का होगा। भाजपा के  वरिष्ठ नेताओं की यह मान्यता है कि सरकार के  स्थायित्व के  लिए मित्र दलांे को खुश रखना बहुत जरूरी है।
मंत्रिमण्डल में इस बार राज्य के  क्षेत्र और सांसदों की संख्या को वरीयता नहीं प्रदान की जाएगी। इस बार के न्द्र में मंत्रिमण्डल बनाने के  लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम की रणनीति तैयार की जा रही है, जिसके  तहत भाजपा को संविधान के  अनुच्छेद 370 और राम मंदिर जैसे अपने महत्वपूर्ण मुद्दों को हाशिये पर रखना होगा। क्योंकि भाजपा के  कई मित्र दल उसके  चुनाव घोषणा पत्र में उल्लिखित इन मुद्दों से पहले ही असहमति जता चुके  हैं। वैसे भी भाजपा यह मान रही है कि अनुच्छेद 370 और राम मंदिर मसले पर अके ले निर्णय का अधिकार उसे मतदाताओं ने नहीं दिया है। भाजपा के  थिंक टैंक गोविन्दाचार्य ने यह संके त दिया है कि मंदिर और अनुच्छेद 370 के  साथ साथ समान नागरिक संहिता पर हमारा कोई कदम मित्र दलों से बातचीत के  बाद आम सहमति से ही उठेगा। कांग्रेस संयुक्त मोर्चा तथा अन्य पार्टियां छोड़कर भाजपा को टिकट पर विजयी सांसदों को हाशिये पर रखने के  पीछे पार्टी सूत्रों का यह तर्क कि इनको बढ़ावा देने से जहां एक ओर पार्टी का अनुशासन टूटेगा वहीं दूसरी ओर पार्टी के  लिए काम करने की मनोवृत्ति को भी धक्का लगता है। बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई थी कि उप्र में विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पूर्व अन्य पार्टियां छोड़कर आए और भाजपा के  टिकट पर जीते विधायकों, मंत्रियों की मनोवृत्ति पार्टी के  सिद्धांत एवं अनुशासन के  अनुरूप नहीं हो पाती है। ये राजनीतिक पार्टी के  मेरुदण्ड, राष्ट्रीय स्वयं संघ के  प्रति भी गाहे-बगाहे अपनी खासी प्रतिक्रिया व्यक्त करते रहते हैं। इस बार के न्द्र में सरकार बनाते समय भाजपा जहां कल्याण डाक्ट्रिन का उपयोग करेगी, वहीं उप्र की घटना से हुए अनुभव का लाभ उठाने पर भी विचार किया गया।
Dr. Yogesh mishr

Dr. Yogesh mishr

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