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प्रदेश सरकार शीघ्र ही इण्टरनेट पर
प्रदेश सरकार अब इण्टरनेट पर उपलब्ध होगी। इण्टरनेट के माध्यम से प्रदेश के बारे में जानकारी हासिल करने के साथ ही साथ सरकार की योजनाएं और नीतियां भी शीघ्र ही आॅनलाइन इण्टरनेट पर उपलब्ध हो सकेंगी। इसके लिए सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग ने एक वेबसाइट विकसित की है। यह वेबसाइट आगमी रविवार को बीबीसी के संवाददाता एवं जोखिम भरी पत्रकारिता के लिए ख्याति प्राप्त जसविंदर सिंह की स्मृति में आयोजित भारतीय पत्रकारिता के बदलते आयाम विषयक संगोष्ठी के अवसर पर यहां प्रदर्शित की जायेगी। जसविंदर सिंह की स्मृति मंे राज्य सूचना के न्द्र के एक कक्ष का नामकरण भी किया जाएगा। इस साइट का इण्टरएक्टिव स्वरूप भी होगा जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति किसी प्रकार का प्रश्न पूछ सकता है, स्पष्टीकरण मांग सकता है जिसका उत्तर अविलम्ब दिया जाएगा।
अभी निर्माणाधीन वेबसाइट के माध्यम से प्रदेश के संस्कृति, उद्योग और पर्यटन आदि के बारे में जानकारी इण्टरनेट पर रविवार से उपलब्ध हो जायेगी परन्तु शीघ्र ही प्रदेश सरकार अपनी नीतियों और योजनाओं को लेकर इण्टरनेट पर उपस्थित रहेगी। इण्टरएक्टिव स्वरूप वाली इस साइट के माध्यम से भारत के बहुरंगी प्रदेश से विश्व भर को पूर्णरूपेण परिचित कराने के साथ ही साथ इस साइट को वन स्टाप साइट के रूप में भी विकसित करने की दिशा में काम हो रहा है।
वेबसाइट जारी करने के दिन जोखिम भरी पत्रकारिता के लिए ख्यातिलब्ध रहे जसविंदर सिंह को भी याद किया जायेगा। इन्होंने अपना कैरियर दिनमान में स्वतंत्र लेखन से शुरू किया था। 1987 में उन्होंने बीबीसी ज्वाइन किया और कुछ ही दिनों बाद सीनियर प्रोड्यूसर बनकर लंदन चले गये। प्रकारांतर में बीबीसी ने उन्हें साउथ इंडिया संवाददाता बनाकर भेजा। इन्होंने बीबीसी के लिए भारत की तीन महत्वपूण्र घटनाओं का कवरेज किया। राजीव गांधी हत्याकाण्ड, मुम्बई बम विस्फोट और लातूर भूकम्प जैसी घटनाओं के कवरेज में उन्हें खासी ख्याति भी मिली। जसविंदर सिंह की मृत्यु 94 में गोवा में बीच पर हुई।
1961 में पैदा हुए जसविंदर सिंह ने अपनी शिक्षा-दीक्षा मेरठ में पूरी की। इनके पिता जे.एस. बिन्द्रा बताते हैं, ‘जसविंदर को किताबों का बेहद शौक था। मैं चाहता था कि उकी किताबों की मैं एक लाइब्रेरी बना डालूं, परंतु मुझे बाद में लगा कि निजी तौर पर लाइब्रेरी बनाने से कोई विशेष लाभ नहीं होने वाला है। फलतः मैं किसी ऐसी संस्था की तलाश करने लगा जो उसकी किताबों को लेकर पुस्तकालय चला सके , जिससे आम पाठक लाभान्वित हो सकें। प्रदेश सरकार के सहयोग से मेरा यह सपना साकार हो रहा है।’
स्मृति कक्ष के उद्घाटन के अवसर पर ‘भारतीय पत्रकारिता के बदलते आयाम’ शीर्षक पर एक संगोष्ठी आयोजित की जायेगी। जिसमें हिन्दुस्तान टाइम्स के विनोद शर्मा, स्टार न्यूज के पंकज पचैरी, बीबीसी के विपुल मुद्गल, गार्जियन के सुजैन गोल्डन वर्ग, इंडिया टुडे के अशोक दामोदरन सहित जफर आगा, शकील अख्तर एवं जिलियम राइट जैसे पत्रकार, लेखक, अपने विचार व्यक्त करेंगे। उल्लेखनीय है कि जिलियन राइट ने श्री लाल शुक्ल के उपन्यास राग दरबारी एवं राही मासूम रजा की पुस्तक आधा गांव का अंग्रेजी अनुवाद किया है।
राज्य सूचना के न्द्र के प्रभारी का कहना है कि प्रकारांतर में जसविंदर सिंह कक्ष को रिफरेंस रूम के रूप में विकसित किया जायेगा। वैसे तो जसविंदर सिंह कक्ष के लिए उनके पिता लगभग एक हजार पुस्तकें दान करेंगे परन्तु अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि प्रदेश सरकार को दिवंगत पत्रकारों की स्मृति संजोने की दिशा में काम करने का ध्यान एक हजार पुस्तकों के दान के बाद आया या खुद ही!
अभी निर्माणाधीन वेबसाइट के माध्यम से प्रदेश के संस्कृति, उद्योग और पर्यटन आदि के बारे में जानकारी इण्टरनेट पर रविवार से उपलब्ध हो जायेगी परन्तु शीघ्र ही प्रदेश सरकार अपनी नीतियों और योजनाओं को लेकर इण्टरनेट पर उपस्थित रहेगी। इण्टरएक्टिव स्वरूप वाली इस साइट के माध्यम से भारत के बहुरंगी प्रदेश से विश्व भर को पूर्णरूपेण परिचित कराने के साथ ही साथ इस साइट को वन स्टाप साइट के रूप में भी विकसित करने की दिशा में काम हो रहा है।
वेबसाइट जारी करने के दिन जोखिम भरी पत्रकारिता के लिए ख्यातिलब्ध रहे जसविंदर सिंह को भी याद किया जायेगा। इन्होंने अपना कैरियर दिनमान में स्वतंत्र लेखन से शुरू किया था। 1987 में उन्होंने बीबीसी ज्वाइन किया और कुछ ही दिनों बाद सीनियर प्रोड्यूसर बनकर लंदन चले गये। प्रकारांतर में बीबीसी ने उन्हें साउथ इंडिया संवाददाता बनाकर भेजा। इन्होंने बीबीसी के लिए भारत की तीन महत्वपूण्र घटनाओं का कवरेज किया। राजीव गांधी हत्याकाण्ड, मुम्बई बम विस्फोट और लातूर भूकम्प जैसी घटनाओं के कवरेज में उन्हें खासी ख्याति भी मिली। जसविंदर सिंह की मृत्यु 94 में गोवा में बीच पर हुई।
1961 में पैदा हुए जसविंदर सिंह ने अपनी शिक्षा-दीक्षा मेरठ में पूरी की। इनके पिता जे.एस. बिन्द्रा बताते हैं, ‘जसविंदर को किताबों का बेहद शौक था। मैं चाहता था कि उकी किताबों की मैं एक लाइब्रेरी बना डालूं, परंतु मुझे बाद में लगा कि निजी तौर पर लाइब्रेरी बनाने से कोई विशेष लाभ नहीं होने वाला है। फलतः मैं किसी ऐसी संस्था की तलाश करने लगा जो उसकी किताबों को लेकर पुस्तकालय चला सके , जिससे आम पाठक लाभान्वित हो सकें। प्रदेश सरकार के सहयोग से मेरा यह सपना साकार हो रहा है।’
स्मृति कक्ष के उद्घाटन के अवसर पर ‘भारतीय पत्रकारिता के बदलते आयाम’ शीर्षक पर एक संगोष्ठी आयोजित की जायेगी। जिसमें हिन्दुस्तान टाइम्स के विनोद शर्मा, स्टार न्यूज के पंकज पचैरी, बीबीसी के विपुल मुद्गल, गार्जियन के सुजैन गोल्डन वर्ग, इंडिया टुडे के अशोक दामोदरन सहित जफर आगा, शकील अख्तर एवं जिलियम राइट जैसे पत्रकार, लेखक, अपने विचार व्यक्त करेंगे। उल्लेखनीय है कि जिलियन राइट ने श्री लाल शुक्ल के उपन्यास राग दरबारी एवं राही मासूम रजा की पुस्तक आधा गांव का अंग्रेजी अनुवाद किया है।
राज्य सूचना के न्द्र के प्रभारी का कहना है कि प्रकारांतर में जसविंदर सिंह कक्ष को रिफरेंस रूम के रूप में विकसित किया जायेगा। वैसे तो जसविंदर सिंह कक्ष के लिए उनके पिता लगभग एक हजार पुस्तकें दान करेंगे परन्तु अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि प्रदेश सरकार को दिवंगत पत्रकारों की स्मृति संजोने की दिशा में काम करने का ध्यान एक हजार पुस्तकों के दान के बाद आया या खुद ही!
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