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अमेठी हो गयी मगन, अनूप जलोटा के संग
‘मीरा हो गयी मगन’ यह कल यहां प्रतीक था। इस प्रतीक को अमेठी वासियों के सामने रखा था भजन सम्राट अनूप जलोटा ने। इस प्रतीक के साथ था डाॅ. संजय सिंह के विजय पर्व एवं अनूप जलोटा की भजन संध्या में डूबने-उतराने का अवसर। विजय पर्व एवं होली के बहाने मीरा को प्रतीक मानकर अपनी भजन संध्या में श्री जलोटा ने अमेी का आधा सच जताया था। पूरा सच देखने और जानने के लिए अमेठी वासियों के पास तक जाने पर साफ हो जा रहा था, ‘अमेठी हो रही मगन।... वो तो गली, गली, राजा साहब के गुन गाने लगी।’ ब्रिटैनिया भजन संध्या के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में यहां अनूप जलोटा ने भजन के साथ-साथ अमेठी वासियों को मनोरंजन के लिए भोजपुरी, पंजाबी गीतों के साथ गज़ल को भी बड़ी ठसक से परोसा।
अपनी भजन गायिकी के लिए ख्यात अनूप जलोटा के भक्ति का रंग जब तक श्रोताओं पर चढ़ता था तब तक वो लोगों की गज़ल की ओर बहा ले जाते थे। उनकी गायिकी का प्रवाह इतना तेज और असरकारक था कि श्रोताओं के बीच पंजाबी और भोजपुरी गानों का अंतर भी खो जाता था। ‘ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयीं मगन’ नामक अपने प्रिय गीत के साथ भजन संध्या शुरू करके श्री जलोटा ने राम-राम की लूट है, लूट सको तो लूट’ जेसे कई भजन गाकर लोगों को खासा इन्वाल्व किया। अभी श्रोता भक्तिमय हो ही रहे थे कि अनूप जलोटा ने उन पर गज़ल का रंग पोतना शुरू कर दिया और गाने लगे, ‘मैं नजर से पी रहा हूं/ये समां बदल न जाये...’ यह कहते हुए मंदिर/मस्जिद झगड़े का एक शायराना हल जताया-‘ये मंदिरों-मस्जिद का झगड़ा मिटाया जाये/दोनों के बीच में मयखाना बनाया जाये।’ गज़ल का आनंद उठा रहे श्रोताओं को भी श्री जलोटा ने फिर भजन की ओर मोड़ दिया और गाने लगे, ‘कभी-कभी भगवान को भी भक्तों से काम पड़े/जाना था गंगा पार के वट की नाव चढें।’
श्रोता अभी भक्ति का भव सागर अनूप के भजन के जरिये पार करने का मन बना ही रहे थे कि श्री जलोटा ने उन्हें इश्क की ओर मुखातिब किया।
अनूप जलोटा ने इश्क की सिफ़त यह थी कि उसमें जायस के समीप होने के बाद भी सूफ़ियाना अंदाज नहीं था। वे अपनी गज़लों के माध्यम से जिस़्मानी इश्क बयां करते हुए यह मतला अर्ज करने लगे, ‘इश्क जब एक तरफ हो तो सजा देता है/और दोनों तरफ हो तो मजा देता है/... जब उन्हें दिल से भुलाने की कसम खायी है/और पहले से भी ज्यादा तेरी याद आयी है।’... चांद अंगड़ाईयां ले रहा है/चांदनी मुस्कराने लगी है/एक भूली हुई सी कहानी/फिर मुझे याद आने लगी है।’
अपनी ग़ज़लों में अनूप जलोटा ने नज़र अंदाज-ए-बयां को यूं कहा, ‘नज़र ऊंची कर दी दुआ बन गयी/नज़र नीची कर दी हया बन गयी/नज़र फेर ली तो कज़ा बन गयी/.. लज्जते गम बढ़ा दीजिए/आप फिर मुस्कुरा दीजिए।’ अपनी गज़ल गायिकी को विराम देते हुए वे कह उठे, ‘बेवफा ये तेरा मुस्कुराना/भूल जाने के काबिल नहीं है।’ अपनी गज़लों में जहां अनूप जलोटा ने उर्दू शायरी के अद़ब और इश्क को परवान चढ़ाया वहीं भजनों में तमाम हिदायतें दीं। और लोगों को चेताते हुए कहा, ‘नाम हरि का जप ले बन्दे/फिर पीछे पछताएगा। उन्होंने पंजाबी गीतों के माध्यम से श्रोताओं में जो इन्वाॅलमेण्ट पिरोया उससे लोग थिरकने लगे। अवध क्षेत्र में भोजपुरी के ‘गौरिया मारे नजरिया/ज़ियरा लहर-लोट हाइ जाय’ गाकर थ्रील पैदा कर दिया। इनके साथ तबला पर प्रदीप आचार्य, संतूर पर पीयूष पवार, स्पाइनिंग गिटार पर चन्द्रजीत गांगुली और ओम प्रकाश अग्रवाल संगत कर रहे थे।
ब्रिटैनिया के सहयोग से सम्पन्न इस आयोजन में जहां अमेठी वासियों ने भजन, गज़ल और गीत सुना वहीं विजय पर्व एवं होली के बहाने अपने सांसद की क्षेत्रच के विकास के प्रति वचनबद्धता एवं लोकतंत्र के माध्यम से अपनी प्रिय राजशाही के पुनः सत्तारूढ़ होने का अवसर एकसाथ बुना। ब्रिटैनिया ने इस अवसर पर अपना नया प्रोडक्ट टाइगर ओरो वितरित किया।
डाॅ. संजय सिंह एवं रानी अमिता सिंह की ओर से भेजे गये आमंत्रण पत्र पर लगभग बीस हजार अमेठीवासी तो जुटे ही साथ ही साथ आस-पास के जिलों के अधिकारियों और संजय सिंह के सर्मथकों और शुभेच्छुओं ने भी शिरकत की। डाॅ. संजय सिंह ने जिन्होंने वोट दिया और जिन्होंने नहीं दिया उन दोनों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए अपनी वचनबद्धता दोहरायी।
अपनी भजन गायिकी के लिए ख्यात अनूप जलोटा के भक्ति का रंग जब तक श्रोताओं पर चढ़ता था तब तक वो लोगों की गज़ल की ओर बहा ले जाते थे। उनकी गायिकी का प्रवाह इतना तेज और असरकारक था कि श्रोताओं के बीच पंजाबी और भोजपुरी गानों का अंतर भी खो जाता था। ‘ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयीं मगन’ नामक अपने प्रिय गीत के साथ भजन संध्या शुरू करके श्री जलोटा ने राम-राम की लूट है, लूट सको तो लूट’ जेसे कई भजन गाकर लोगों को खासा इन्वाल्व किया। अभी श्रोता भक्तिमय हो ही रहे थे कि अनूप जलोटा ने उन पर गज़ल का रंग पोतना शुरू कर दिया और गाने लगे, ‘मैं नजर से पी रहा हूं/ये समां बदल न जाये...’ यह कहते हुए मंदिर/मस्जिद झगड़े का एक शायराना हल जताया-‘ये मंदिरों-मस्जिद का झगड़ा मिटाया जाये/दोनों के बीच में मयखाना बनाया जाये।’ गज़ल का आनंद उठा रहे श्रोताओं को भी श्री जलोटा ने फिर भजन की ओर मोड़ दिया और गाने लगे, ‘कभी-कभी भगवान को भी भक्तों से काम पड़े/जाना था गंगा पार के वट की नाव चढें।’
श्रोता अभी भक्ति का भव सागर अनूप के भजन के जरिये पार करने का मन बना ही रहे थे कि श्री जलोटा ने उन्हें इश्क की ओर मुखातिब किया।
अनूप जलोटा ने इश्क की सिफ़त यह थी कि उसमें जायस के समीप होने के बाद भी सूफ़ियाना अंदाज नहीं था। वे अपनी गज़लों के माध्यम से जिस़्मानी इश्क बयां करते हुए यह मतला अर्ज करने लगे, ‘इश्क जब एक तरफ हो तो सजा देता है/और दोनों तरफ हो तो मजा देता है/... जब उन्हें दिल से भुलाने की कसम खायी है/और पहले से भी ज्यादा तेरी याद आयी है।’... चांद अंगड़ाईयां ले रहा है/चांदनी मुस्कराने लगी है/एक भूली हुई सी कहानी/फिर मुझे याद आने लगी है।’
अपनी ग़ज़लों में अनूप जलोटा ने नज़र अंदाज-ए-बयां को यूं कहा, ‘नज़र ऊंची कर दी दुआ बन गयी/नज़र नीची कर दी हया बन गयी/नज़र फेर ली तो कज़ा बन गयी/.. लज्जते गम बढ़ा दीजिए/आप फिर मुस्कुरा दीजिए।’ अपनी गज़ल गायिकी को विराम देते हुए वे कह उठे, ‘बेवफा ये तेरा मुस्कुराना/भूल जाने के काबिल नहीं है।’ अपनी गज़लों में जहां अनूप जलोटा ने उर्दू शायरी के अद़ब और इश्क को परवान चढ़ाया वहीं भजनों में तमाम हिदायतें दीं। और लोगों को चेताते हुए कहा, ‘नाम हरि का जप ले बन्दे/फिर पीछे पछताएगा। उन्होंने पंजाबी गीतों के माध्यम से श्रोताओं में जो इन्वाॅलमेण्ट पिरोया उससे लोग थिरकने लगे। अवध क्षेत्र में भोजपुरी के ‘गौरिया मारे नजरिया/ज़ियरा लहर-लोट हाइ जाय’ गाकर थ्रील पैदा कर दिया। इनके साथ तबला पर प्रदीप आचार्य, संतूर पर पीयूष पवार, स्पाइनिंग गिटार पर चन्द्रजीत गांगुली और ओम प्रकाश अग्रवाल संगत कर रहे थे।
ब्रिटैनिया के सहयोग से सम्पन्न इस आयोजन में जहां अमेठी वासियों ने भजन, गज़ल और गीत सुना वहीं विजय पर्व एवं होली के बहाने अपने सांसद की क्षेत्रच के विकास के प्रति वचनबद्धता एवं लोकतंत्र के माध्यम से अपनी प्रिय राजशाही के पुनः सत्तारूढ़ होने का अवसर एकसाथ बुना। ब्रिटैनिया ने इस अवसर पर अपना नया प्रोडक्ट टाइगर ओरो वितरित किया।
डाॅ. संजय सिंह एवं रानी अमिता सिंह की ओर से भेजे गये आमंत्रण पत्र पर लगभग बीस हजार अमेठीवासी तो जुटे ही साथ ही साथ आस-पास के जिलों के अधिकारियों और संजय सिंह के सर्मथकों और शुभेच्छुओं ने भी शिरकत की। डाॅ. संजय सिंह ने जिन्होंने वोट दिया और जिन्होंने नहीं दिया उन दोनों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए अपनी वचनबद्धता दोहरायी।
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