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विजय शंकर पाण्डेय के पत्र से आईएएस संवर्ग में हड़कम्प
बबहुचर्चित प्रशासनिक अधिकारी विजय शंकर पाण्डेय आजकल फिर सुर्खियों में हैं। मुख्य सचिव को अभी हाल में लिखे गये उनके एक पत्र से आईएएस संवर्ग में खासा हड़कम्प मच गया है। अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि इस संवर्ग के प्रति जनविश्वास कायम करने के लिए यह जरूरी हो गया है कि उच्च पदों पर बैठे वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी स्वयं की चल-अचल सम्पत्ति की जांच कराने के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा है कि निष्पक्ष जांच के लिए माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अथवा के न्द्रीय जांच ब्यूरो की सेवाएं लिया जाना उचित होगा। श्री पाण्डेय ने अपने पत्र में मुख्य सचिव से अपनी सभी चल-अचल सम्पत्ति की जांच सीबीआई से कराये जाने की अनुमति भी मांगी है। मुख्य सचिव को भेजे गये अपने पत्र में श्री पाण्डेय ने उच्च पदों पर बेठै खराब सत्यनिष्ठा वाले अधिकारियों को आईएएस एसोसिएशन द्वारा भ्रष्टाचार उन्मूलन की दिशा मंे चलाये गये अभियान में सफल न हो पाने के लिए दोषी ठहराया है।
चित्रकूट धाम मंडल, बांदा के आयुक्त बनने के तुरंत बाद 7 जून, 99 को मुख्य सचिव को भेजे गये अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि ‘भ्रष्टाचार से मुक्ति’ के प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता की दिशा में सम्पत्ति की जांच कराया जाना एक बेहद जरूरी कदम है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि वरिष्ठ पदों पर आसीन अधिकारियों से जनता का विश्वास उठता जा रहा है, पूर्व में आईएएस एसोसिएशन की ओर से इस बात के गंभीर प्रयास किये गये कि खराब सत्यनिष्ठा वाले अधिकारियों को चिन्हित करके शासन की नीतियों के अनुसार उन्हें दंडित किया जाए, परंतु दुर्भावनावश इन प्रयासों को शासन स्तर पर महत्वपूर्ण बैठे कतिपय अधिकारियों के दुर्भाग्यपूर्ण रवैये के कारण अभी तक वांछित सफलता नहीं मिल पायी है।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष आयकर विभाग ने आधा दर्जन अधिकारियों के यहां छापा मारकर काफी सम्पत्ति बरामद की थी। राज्य सरकार ने आय से अधिक सम्पत्ति रखनपे वाले इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की थी। एसोसिएशन ने आयकर विभाग द्वारा मारे गये छापे को अपनी सफलता माना और भ्रष्टाचार के खिलाु अपने अभियान को और तेज कर दिया। एसोसिएशन ने संवर्गीय अधिकारियों से अपनी सम्पत्ति का ब्योरा देने की अपील भी की, लेकिन कुछेक अधिकारियों को छोड़कर बाकी किसी ने भी अपनी सम्पत्ति का ब्योरा शासन को नहीं दिया जबकि मुख्य सचिव के इस सम्बन्ध में स्पष्ट निर्देश है।
आईएएस एसोसिएशन द्वारा शुरू किये गये अभियान को आकार प्रदान करने के लिए आवश्यक है कि शीर्ष स्तर पर बैठे मुख्य सचिव, कृषि उत्पादन आयुक्त, नियुक्ति सचिव, गृह सचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर बैठे उच्च अधिकारी अपने सम्पत्ति की जांच कराने के लिए आगे आएं। श्री पाण्डेय ने अपने पत्र में इस बात को भी रेखांकित किया है कि कई वरिष्ठ अधिकारी अपने ज्ञात स्रोतों से अधिक सम्पत्ति के मालिक हैं। वे वर्तमान में विद्यमान सम्पत्ति की ब्योरा देने के कानून का ठीक से अनुपालन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि आईएएस संवर्ग के प्रति जन विश्वास पैदा करने के लिए जहां यह एक आवश्यक कदम है वहीं विभिन्न घोटालों में लिप्त रहने के बाद भी मात्र तकनीकी कारणों से बच निकलने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करना संभव हो सके गा।
चित्रकूट धाम मंडल, बांदा के आयुक्त बनने के तुरंत बाद 7 जून, 99 को मुख्य सचिव को भेजे गये अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि ‘भ्रष्टाचार से मुक्ति’ के प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता की दिशा में सम्पत्ति की जांच कराया जाना एक बेहद जरूरी कदम है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि वरिष्ठ पदों पर आसीन अधिकारियों से जनता का विश्वास उठता जा रहा है, पूर्व में आईएएस एसोसिएशन की ओर से इस बात के गंभीर प्रयास किये गये कि खराब सत्यनिष्ठा वाले अधिकारियों को चिन्हित करके शासन की नीतियों के अनुसार उन्हें दंडित किया जाए, परंतु दुर्भावनावश इन प्रयासों को शासन स्तर पर महत्वपूर्ण बैठे कतिपय अधिकारियों के दुर्भाग्यपूर्ण रवैये के कारण अभी तक वांछित सफलता नहीं मिल पायी है।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष आयकर विभाग ने आधा दर्जन अधिकारियों के यहां छापा मारकर काफी सम्पत्ति बरामद की थी। राज्य सरकार ने आय से अधिक सम्पत्ति रखनपे वाले इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की थी। एसोसिएशन ने आयकर विभाग द्वारा मारे गये छापे को अपनी सफलता माना और भ्रष्टाचार के खिलाु अपने अभियान को और तेज कर दिया। एसोसिएशन ने संवर्गीय अधिकारियों से अपनी सम्पत्ति का ब्योरा देने की अपील भी की, लेकिन कुछेक अधिकारियों को छोड़कर बाकी किसी ने भी अपनी सम्पत्ति का ब्योरा शासन को नहीं दिया जबकि मुख्य सचिव के इस सम्बन्ध में स्पष्ट निर्देश है।
आईएएस एसोसिएशन द्वारा शुरू किये गये अभियान को आकार प्रदान करने के लिए आवश्यक है कि शीर्ष स्तर पर बैठे मुख्य सचिव, कृषि उत्पादन आयुक्त, नियुक्ति सचिव, गृह सचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर बैठे उच्च अधिकारी अपने सम्पत्ति की जांच कराने के लिए आगे आएं। श्री पाण्डेय ने अपने पत्र में इस बात को भी रेखांकित किया है कि कई वरिष्ठ अधिकारी अपने ज्ञात स्रोतों से अधिक सम्पत्ति के मालिक हैं। वे वर्तमान में विद्यमान सम्पत्ति की ब्योरा देने के कानून का ठीक से अनुपालन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि आईएएस संवर्ग के प्रति जन विश्वास पैदा करने के लिए जहां यह एक आवश्यक कदम है वहीं विभिन्न घोटालों में लिप्त रहने के बाद भी मात्र तकनीकी कारणों से बच निकलने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करना संभव हो सके गा।
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